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चर्चाः कहां हैं धर्म के रखवाले | आलोक मेहता

चर्चाः कहां हैं धर्म के रखवाले | आलोक मेहता

सीताराम, राधेश्याम, लक्ष्मीपति विष्‍णु, शिव-पार्वती की जयकार के साथ धर्म ध्वजा फहराने वाले धर्मगुरु, नेता, समाजसेवी की आवाज अहमदाबाद-पुणे में क्यों नहीं सुनाई दी? ब्रह्मांड न सही, विश्व हिंदू परिषद के गरजने वाले नेता तिलक और कमंडल के साथ मातृशक्ति के लिए मैदान में ‘संकीर्ण’ और सत्ता व्यवस्‍था के समक्ष खड़े क्यों नहीं दिखाई दिए?
चर्चा: गणतंत्र की रोशनी पर बादल | आलोक मेहता

चर्चा: गणतंत्र की रोशनी पर बादल | आलोक मेहता

भारत में सूरज की पहली किरण अरुणाचल प्रदेश में दिखती है। अरुणाचल और सात पूर्वोत्तर राज्यों की सुंदरता, भोली-भाली जनता की मधुरता, शौर्य और संस्कृति की शक्ति भारत का गौरव बढ़ाती है। सुदूर अरुणाचल प्रदेश में हिंदी का पठन-पाठन और प्रयोग सबको प्रभावित करता है। अपराध संभवतः दुनिया में सबसे कम और जेल केवल प्रादेशिक व्यवस्‍था की दृष्टि से बने और कभी नहीं भरे।
चर्चाः प्रचार, पैसा और पद |आलोक मेहता

चर्चाः प्रचार, पैसा और पद |आलोक मेहता

प्रचार मास्टर प्रशांत किशोर बिहार सरकार के सलाहकार नियुक्त हो गए। कोई चुनाव लड़े बिना कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिल गया। लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की सफलता का ताज अपने सिर पर पहन कर प्रशांत किशोर ने पाटलीपुत्र में भी अशोक चक्र का तमगा प्राप्त कर लिया।
चर्चाः नियम-कानून आतंक न बने | आलोक मेहता

चर्चाः नियम-कानून आतंक न बने | आलोक मेहता

सुप्रीम कोर्ट ने सही राय दी है कि प्रदूषण नियंत्रण के नियम-कानून इस तरह न लागू हों, जिससे अर्थव्यवस्‍था ही चौपट हो जाए। दिल्ली या केंद्र सरकार हड़बड़ी या दबावों के कारण पिछले कुछ अर्से से ऐसे कदम उठाती रही हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट की राय के बाद विभिन्न मंत्रालयों में तालमेल और पूर्वाग्रहों-दबावों से हटकर पर्यावरण संरक्षण के प्रयास करने होंगे।
चर्चाः शिक्षा के मंदिरों में राजनीति| आलोक मेहता

चर्चाः शिक्षा के मंदिरों में राजनीति| आलोक मेहता

हैदराबाद अकेला नहीं है। देश के विभिन्न भागों में शिक्षा के मंदिरों को राजनीतिक अखाड़ा बनाया जा रहा है। हैदराबाद विश्वविद्यालय में दलित छात्र द्वारा की गई आत्महत्या की दुःखद घटना के बाद केंद्र की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेता अपने मंत्रियों के बचाव के साथ घटना पर लीपापोती की कोशिश कर रहे हैं। इस घटना को स्‍थानीय चुनावों से जोड़ा जा रहा है।
चर्चाः उच्च सदन, ऊंचे पद, काम अधूरे | आलोक मेहता

चर्चाः उच्च सदन, ऊंचे पद, काम अधूरे | आलोक मेहता

प्रसिद्ध पत्रकार और राज्यसभा के पूर्व सदस्य कुलदीप नायर ने बहुत पहले यह कानूनी लड़ाई लड़ी थी कि संसद के उच्च सदन में मूलतः संबंधित प्रदेश के नेता को ही चुने जाने का प्रावधान हो। श्री नायर यह लड़ाई जीत नहीं सके, लेकिन विभिन्न प्रदेशों के लोग, प्रादेशिक नेता और कार्यकर्ता बाहरी नेताओं को फूलमालाएं पहनाने और जय-जयकार करने के बाद भी मन से दुःखी और दर्द झेलते रहे। इसलिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर नरेंद्र मोदी द्वारा असम की अनदेखी तथा योजनाओं का क्रियान्वयन न करने के आरोप राजनीतिक होने के बावजूद सही हैं।
चर्चाः मैदान से सिंहासन तक फिक्सिंग | आलोक मेहता

चर्चाः मैदान से सिंहासन तक फिक्सिंग | आलोक मेहता

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सा‌थ अब टेनिस में भी। मैच फिक्सिंग के आरोपों की पुष्टि खिलाड़ियों से हो रही है। विश्व के शीर्षस्‍थ टेनिस खिलाड़ी नोवाक जोकोविच ने स्वीकारा कि आस्ट्रेलियाई ओपन के शुरुआती दिनों में उनसे मैच फिक्सिंग के लिए संपर्क हुआ था।
चर्चाः कर्ज लेकर घी पीने के खतरे | आलोक मेहता

चर्चाः कर्ज लेकर घी पीने के खतरे | आलोक मेहता

कर्ज लो, नई कंपनी बनाओ, चलाओ, मुनाफा कमाओ। सुनकर निश्चित रूप से अच्छा लगेगा। प्रारंभिक मुनाफे पर टैक्स न लगना भाता है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली की घोषणाओं से युवा उद्यमियों को अवश्य प्रोत्साहन मिल रहा है।
चर्चाः केसरिया ‘नीति’ की कछुआ चाल | आलोक मेहता

चर्चाः केसरिया ‘नीति’ की कछुआ चाल | आलोक मेहता

‘योजना भवन’ की दीवार पोतकर ‘नीति आयोग’ का बोर्ड लगाने की पहली वर्षगांठ पर रोशनी और धूमधाम की तैयारी नहीं हो रही है। ‘नीति सम्राट’ आयोग के कामकाज और अब तक की ढिलाई से अप्रसन्न हैं। नवगठित आयोग में मुख्यमंत्रियों के उपसमूहों की रिपोर्ट अवश्य बनती गई, लेकिन अफसरों-बाबुओं ने पूरे एक वर्ष में केवल एक रिपोर्ट सरकार को दी। अब एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी अमिताभ कांति को मुख्य कार्यकारी ‌अधिकारी बनाया गया है, ताकि पूंजी निवेश और वितरण की योजना एवं व्यवस्‍था को पश्चिमी देशों की तर्ज पर आगे बढ़ाया जा सके।
चर्चाः ऑपरेशन के बाद सड़क पर सांस | आलोक मेहता

चर्चाः ऑपरेशन के बाद सड़क पर सांस | आलोक मेहता

राजधानी दिल्ली में प्रदूषण मुक्ति का एक आपरेशन सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। आलीशान कार वालों से लेकर ऑटो-मेट्रो में चलने वालों ने भी केजरीवाल सरकार के आदेश के समक्ष समर्पण किया। अदालतों ने हस्तक्षेप से इंकार करने के अलावा न्यायाधीशों को भी नई राह पर चलना सिखा दिया। शीर्षस्‍थ डॉक्टर और पर्यावरणवादियों ने भरपूर आशीर्वाद दिया।
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