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पाकिस्तान में आम चुनाव बुधवार को, सेना की भूमिका को लेकर उठ रहे सवाल

पाकिस्तान के लोग बुधवार को होने वाले आम चुनाव में नए प्रधानमंत्री को चुनने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।...
पाकिस्तान में आम चुनाव बुधवार को, सेना की भूमिका को लेकर उठ रहे सवाल

पाकिस्तान के लोग बुधवार को होने वाले आम चुनाव में नए प्रधानमंत्री को चुनने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। हालांकि चुनाव प्रक्रिया में ताकतवर सेना की भूमिका पर सवाल उठाये जा रहे हैं और बड़ी संख्या में इस्लामी कट्टरपंथियों के चुनाव में हिस्सा लेने को लेकर भी चिंता जाहिर की जा रही है।

पाकिस्तान के चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 3,459 उम्मीदवार नेशनल असेंबली की 272 सीटों के लिए चुनावी मैदान में है जबकि पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान और खैबर-पख्तूनख्वा प्रांतीय असेंबली की 577 सीटों के लिए 8,396 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

पाकिस्तान में 10.596 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं। देशभर के 85,000 मतदान केंद्रों पर सुबह आठ बजे से शाम छह बजे तक मतदान होगा। मतदान खत्म होने के तुरंत बाद इन्हीं केंद्रों पर मतों की गिनती की जाएगी और 24 घंटों के भीतर परिणाम की घोषणा कर दी जाएगी।

चुनाव से पूर्व मीडिया पर लगाम कसने की कई कोशिशें देखने को मिली हैं। इसके अलावा सेना द्वारा गुपचुप तरीके से पूर्व क्रिकेटर इमरान खान के अभियान के समर्थन और उनके राजनीतिक विरोधियों के निशाना बनाने के भी आरोप लगे हैं।

इस बार तैनात किए गए हैं सबसे ज्यादा सैनिक

पाकिस्तान में बुधवार को होने वाले चुनाव के दौरान 3,70,000 से भी ज्यादा सैनिकों को तैनात किया गया है। देश के इतिहास में यह पहला मौका है जब चुनाव संचालन के लिए इतनी बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की गई है। शक्तिशाली सेना को मजिस्ट्रेट की शक्ति दिए जाने की वजह से चुनाव के दौरान इसके दखल की आशंका जताई जा रही है।

पाकिस्तानी सेना ने कहा है कि 25 जुलाई को होने वाले चुनाव के लिए 85,000 मतदान केद्रों पर 3,71,388 सैनिक तैनात किए गए हैं। देश भर में चला चुनाव अभियान सोमवार को समाप्त हो गया। इस दौरान कई आतंकी हमले हुए जिसमें कुछ बड़े नेताओं समेत बड़ी संख्या में लोग मारे गए।

राजधानी इस्लामाबाद में सशस्त्र सैनिक चुनाव कार्यालयों, बैलेट बॉक्सों, मतदान सामग्री को पोलिंग बूथ तक ले जाने के दौरान सुरक्षा में लगे रहे। सेना ने एक बयान में कहा कि पूरे देश में सेना की तैनाती का काम पूरा गया हो गया है। इसमें कहा गया है कि सैनिक स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों से मिलकर वोटिंग के लिए लोगों को सुरक्षित माहौल देने में लगे हैं। सुरक्षा बलों ने मुख्यधारी की पार्टियों के बड़े नेताओं और कई उम्मीदवारों की गंभीर सुरक्षा के खतरों का सामना करना पड़ सकता है। इसकी वजह से भी पारंपरिक चुनावी उत्साह प्रभावित हुआ है।

चुनाव प्रचार के दौरान उम्मीदवारों और रैलियों पर कई आतंकी हमले भी हुए। सबसे बड़ा आतंकी हमला 13 जुलाई को बलूचिस्तान में हुआ जिसमें 151 लोगों की जान गई। सेना को मजिस्ट्रेट की शक्ति दिए जाने की वजह इसकी भूमिका पर भी चिंता जताई गई। पाकिस्तान चुनाव आयोग की भी पोलिंग बूथ के भीतर और बार सेना को तैनात करने के फैसले के कारण आलोचना की गई।

सैना प्रमुख जनरल कमर बाजवा ने कहा कि जो सैनिक चुनावी ड्यूटी में लगाए गए है वे चुनाव आयोग द्वारा घोषित आचार संहिता का सख्ती से पालन करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सेना केवल सहायक भूमिक निभाएगी। वोटिंग की प्रक्रिया पूरी तरह चुनाव के नियंत्रण और अधिकार में रहेगी।

गौरतलब है 1947 में पाकिस्तान के गठन के बाद यहां आधे समय तक कई बार हुए तख्तापलट के कारण सत्ता पर सेना का कब्जा रहा है।

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