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लखीमपुर खीरी हिंसा: कांग्रेस ने किया 'मौन व्रत' कार्यक्रम का आयोजन, की केंद्रीय गृह राज्यमंत्री बर्खास्तगी की मांग

लखीमपुर खीरी हिंसा: कांग्रेस ने किया 'मौन व्रत' कार्यक्रम का आयोजन, की केंद्रीय गृह राज्यमंत्री बर्खास्तगी की मांग

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में कांग्रेस लगातार केंद्र और राज्य सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस पार्टी...
बेटों के साथ न हो 'अनहोनी' इसलिए पारले जी खरीदने लगे लोग, व्रत के खत्म होते ही दुकानों पर क्यों लग गई भीड़

बेटों के साथ न हो 'अनहोनी' इसलिए पारले जी खरीदने लगे लोग, व्रत के खत्म होते ही दुकानों पर क्यों लग गई भीड़

बीते दिनों बिहार के सीतामढ़ी में पार्ले-जी बिस्किट से जुड़ी एक अफवाह इतनी तेजी से फैली कि वहां मौजूद...
ट्रैक्टर परेड हिंसाः किसान संगठनों का एक फरवरी का संसद मार्च स्थगित, शहीदी दिवस पर रखेंगे व्रत

ट्रैक्टर परेड हिंसाः किसान संगठनों का एक फरवरी का संसद मार्च स्थगित, शहीदी दिवस पर रखेंगे व्रत

कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संगठन ट्रैक्टर परेड में हिंसा के बाद बैकफुट पर हैं। किसान...
किसान आंदोलन: केंद्र के साथ नहीं बनी बात, मीटिंग के दौरान किसानों ने धारण किया 'मौन-व्रत'; वॉक-आउट की दी धमकी

किसान आंदोलन: केंद्र के साथ नहीं बनी बात, मीटिंग के दौरान किसानों ने धारण किया 'मौन-व्रत'; वॉक-आउट की दी धमकी

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 10वें दिन भी जारी है। किसानों ने आठ दिसंबर को ‘भारत बंद’ का...
खरना कूटनीति में दिखा लालू का दम

खरना कूटनीति में दिखा लालू का दम

बिहार में चुनाव नतीजे आने के बाद भले ही नीतीश कुमार बिहार का मुख्यमंत्री बनने की तैयारी कर रहे हों मगर राज्य के नेताओं और नौकरशाहों को पता है कि सत्ता का केंद्र कहां रहने वाला है। तभी तो छठ पर्व के खरना वाले दिन पटना में लाल और नीली-पीली बत्ती लगी गाड़ियों की सबसे लंबी कतार लालू प्रसाद के निवास के बाहर दिखाई दे रही थी।
साबूदाना खिचड़ी

साबूदाना खिचड़ी

साबूदाना खिचड़ी व्रत में खाने के लिए बढ़िया विकल्प है। यह स्वाद में भी शानदार है और बनाने में भी आसान। इसमें स्टार्च की मात्रा अधिक होती है इसलिए यह पेट को भरा रखती है।
हिंदी व्रत और उर्दू रोजा वालों की हो गई

हिंदी व्रत और उर्दू रोजा वालों की हो गई

हाल ही में दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान शायर और फिल्म लेखक जावेद अख्तर ने श्रोताओं से रूबरू होते हुए कई राज जाहिर किए। उन्होंने बताया कि उन्होंने 1976 तक उन्होंने शायरी शुरू नहीं की थी। उस वक्त वह 31 वर्ष के थे, जबकि इस उम्र में लोग शायरी कर चुके होते हैं। 12 वर्ष की उम्र तक उन्हें सैकड़ों और 15 वर्ष की उम्र तक उन्हें लाख से ज्यादा शेयर याद थे। वह अपने को खुशकिस्मत मानते हैं क्योंकि लखनऊ में अपने ननिहाल में उन्हें अपने मामा मजाज साहब समेत उस दौर के तमाम नामी शायरों का साथ मिला, जिनके साथ वह बच्चों की तरह रहे।
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