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जापान के ओहसुमी को कोशिकाओं के पुनर्चक्रण पर नोबेल चिकित्सा पुरस्कार

जापान के ओहसुमी को कोशिकाओं के पुनर्चक्रण पर नोबेल चिकित्सा पुरस्कार

जापान के योशिनोरी ओहसुमी ने सोमवार को आॅटोफैगी से संबंधित अपने काम के लिए इस साल का नोबल चिकित्सा पुरस्कार जीता। आॅटोफैगी एक एेसी प्रक्रिया है, जिसमें कोशिकाएं खुद को खा जाती हैं और उन्हें बाधित करने पर पार्किंसन एवं मधुमेह जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
आसाराम होना चाहते हैं जवान, नर्स के गाल लगते हैं उन्‍हें कश्‍मीरी सेब जैसे

आसाराम होना चाहते हैं जवान, नर्स के गाल लगते हैं उन्‍हें कश्‍मीरी सेब जैसे

नाबालिग के यौन शोषण के आरोप में जोधपुर की जेल में बंद आसाराम अब भी नहीं सुधर रहे हैं। मीडिया की रिपोर्ट के अनुुसार हाल ही में मेडिकल चेकअप के लिए आसाराम को जोधपुर से दिल्ली के एम्स लाया गया था। जहां आसाराम ने एम्स के नर्स के गालों की तुलना कश्मीरी सेब से कर दी, जिससे वो झेंप गई।
मधुमेह, अस्थमा और बीपी के मरीज भी कर सकते हैं नेत्रदान

मधुमेह, अस्थमा और बीपी के मरीज भी कर सकते हैं नेत्रदान

देश में इस समय लाखों लोग नेत्रदान के जरिए आंखों की रोशनी पाने का इंतजार कर रहे हैं लेकिन कई प्रकार की भ्रांतियों के चलते आज भी लोग उतनी संख्या में नेत्रदान के लिए आगे नहीं आ रहे हैं जितनी जरूरत है। सच्चाई यह है कि मधुमेह, अस्थमा और ब्लड प्रेशर के मरीज भी आसानी से नेत्रदान कर सकते हैं।
लोढ़ा कमेटी की टिप्‍पणी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय पोस्टमैन जैसा

लोढ़ा कमेटी की टिप्‍पणी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय पोस्टमैन जैसा

देशभर में 35 नए मेडिकल कॉलेजों में पांच हजार से ज्यादा नई एमबीबीएस सीटों को मान्यता देने वाली सुप्रीम कोर्ट की हाई पॉवर कमेटी ने केंद्र सरकार और एमसीआई पर कई गंभीर टिप्पणियां की हैं। पूर्व चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा, पूर्व सीएजी प्रमुख विनोद राय और एमसीआई के पूर्व चेयरमैन डाॅ. एसके सरीन की कमेटी ने अपने आदेश में कहा है कि देशहित से जुड़े इस अहम मुद्दे पर जहां केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय पोस्टमैन जैसा काम कर रहा था, वहीं एमसीआई दोहरा,कुंठित और अड़ियल रवैया अपना रही थी। मजबूरन हमें ही कॉलेजों का पक्ष जांच कर मान्यता देने या नहीं देने का निर्णय लेना पड़ा।
आसाराम को अंतरिम जमानत देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, मेडिकल बोर्ड गठित किया

आसाराम को अंतरिम जमानत देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, मेडिकल बोर्ड गठित किया

उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को बलात्कार के एक मामले में आसाराम को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया। साथ ही अदालत ने एम्स को एक मेडिकल बोर्ड गठित कर उनकी स्वास्थ्य स्थिति पता करने को कहा।
सावधान : 57 % डॉक्‍टर बिना मेडिकल क्वालिफिकेशन के कर रहे आपका ईलाज

सावधान : 57 % डॉक्‍टर बिना मेडिकल क्वालिफिकेशन के कर रहे आपका ईलाज

विदेशों में शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य को जीवन का सबसे महत्‍वपूर्ण पहलू माना जाता है। लेकिन इससे उलट हमारे देश में इन दोनों क्षेत्रों पर घोर लापरवाही की जाती है। इसका एक सटीक उदाहरण विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की एक रिपोर्ट में आपको मिल सकता है।
मेडिकल रिसर्च के लिए अपना ‘मंदिर’ दान कर गए ‘पॉकेट हरक्युलिस’

मेडिकल रिसर्च के लिए अपना ‘मंदिर’ दान कर गए ‘पॉकेट हरक्युलिस’

वे मानव शरीर को ‘मंदिर’ मानते थे। मंदिर की तरह ही अपने शरीर की उन्होंने देखभाल की। 104 साल की उम्र पाई। यहां बात देश के पहले मिस्टर यूनिवर्स मनोहर आइच की हो रही है। रविवार को उनका निधन हो गया। वे अपने ‘मंदिर’ को मेडिकल रिसर्च के लिए दान कर गए। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में उनका ‘मंदिर’ यानी शरीर मेडिकल के विद्यार्थियों के रिसर्च के काम आएगा।
पाक की बेटी हमारे यहां बनेगी डॉक्‍टर, सुषमा ने दिलाई मेडिकल सीट

पाक की बेटी हमारे यहां बनेगी डॉक्‍टर, सुषमा ने दिलाई मेडिकल सीट

पाकिस्‍तान की बेटी मशाल माहेश्‍वरी को कर्नाटक में एक मेडिकल सीट ऑफर की गई है। इस तरह उसका डाॅॅक्‍टर बनने का सपना पूरा हो जाएगा। विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज के हस्‍तक्षेप के बाद उसे यह सीट ऑफर की गई है। मशाल ने जयपुर में रहते हुए अभी सीबीएसई से अभी हाल ही में 12 वीं की परीक्षा 91 फीसदी अंक के साथ पास की है। निसंदेह यह प्रतिभा अब अमन चैन के साथ डॉक्‍टरी कैरियर को एक नया परवान देगी।
मेडिकल जांच के लिए अस्पतालों का चक्कर लगाती रही मूक-बधिर बलात्कार पीड़िता

मेडिकल जांच के लिए अस्पतालों का चक्कर लगाती रही मूक-बधिर बलात्कार पीड़िता

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में कुछ दिनों पहले कथित रूप से बलात्कार की शिकार हुई एक मूक-बधिर महिला का पिछले छह दिनों में डाक्टरी परीक्षण केवल इसलिए नहीं किया जा सका क्योंकि सरकारी अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं थी।
भारतीयों की विकसित तकनीक से कैंसर का प्रभावी इलाज संभव

भारतीयों की विकसित तकनीक से कैंसर का प्रभावी इलाज संभव

प्रतिष्ठित मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल से जुड़े भारतीय वैज्ञानिकों के एक दल ने एक नैनो-तकनीक विकसित कर कैंसर के उपचार में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यह नैनो-तकनीक उपचार के कुछ ही घंटे के भीतर कैंसर थैरेपी के प्रभाव का निरीक्षण कर सकती है।
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