दिल्ली उच्च न्यायालय ने पंजाब में सरकार की निष्क्रियता और पराली जलाने के चलन को नरसंहार के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए आज कहा कि भयानक प्रदूषण स्तर दिल्लीवासियों के लिए वस्तुत: मौत की सजा है जिसकी वजह से उनके जीवन के तीन साल कम किए जा रहे हैं।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण :एनजीटी: ने पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए कदम ना उठाने को लेकर मंगलवार को दिल्ली और अन्य पड़ोसी राज्यों को फटकार लगाते हुए वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए उन्हें बुधवार तक उसके निर्देशों के कार्यान्वयन की खातिर पूरे तंत्र की जानकारी देने का निर्देश दिया।
प्रदूषण की गंभीर स्थिति के चलते उत्पन्न स्वास्थ्य खतरे के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने आज 15 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाना शुरू कर दिया जबकि पटाखा छोड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। 15 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहनों की संख्या करीब दो लाख है।
केंद्र सरकार ने आज कहा कि दिल्ली खतरनाक प्रदूषण स्तर के चलते एक आपात स्थिति का सामना कर रही है। केंद्र ने किसानों द्वारा खूंटी जलाने पर अंकुश के लिए सभी पड़ोसी राज्यों के पर्यावरण मंत्रिायों की सोमवार को एक बैठक बुलाई है।
इस समय धानकटाई का समय चल रहा है। हालांकि किसान पराली जला तो नहीं सकते हैं लेकिन पंजाब और हरियाणा में जला रहे हैं। पराली जलाने से प्रदूषण होता है, जिससे निकली जहरीली गैस पर्यावरण के साथ-साथ लोगों को भी नुकसान पहुंचाती है। सबसे अहम बात यह है कि इससे हवा में धुंए के बादल बन जाते हैं जो अस्थमा के मरीजों के लिए जानलेवा साबित होते हैं। दिल्ली की हवा में इन दिनों पसरा धुंआ दिवाली के पटाखों और पराली जलाने के परिणाम है।