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Search Result : "न्यायमूर्ति रंजन गोगोई"

उपद्रवी वकीलों पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र-पुलिस से मांगा जवाब

उपद्रवी वकीलों पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र-पुलिस से मांगा जवाब

जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया की पेशी के दौरान हुई मारपीट के मामले में दायर एक याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है। याचिका में उन तीन वकीलों के खिलाफ एसआईटी जांच और अवमानना कार्रवाई शुरू करने की भी मांग की गई है।
कन्हैया ने ही जेएनयू में आयोजित किया था कार्यक्रम: दिल्ली पुलिस

कन्हैया ने ही जेएनयू में आयोजित किया था कार्यक्रम: दिल्ली पुलिस

दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट मे दावा किया कि देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए गए जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने ही परिसर में उस कार्यक्रम का आयोजन किया था जिसमें कथित तौर पर देश विरोधी नारेबाजी की गई थी।
कन्हैया ने सुप्रीम कोर्ट में दी जमानत अर्जी, कल होगी सुनवाई

कन्हैया ने सुप्रीम कोर्ट में दी जमानत अर्जी, कल होगी सुनवाई

देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की ओर से जमानत के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गई है। न्यायालय इस याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करेगी। वहीं इस बीच प्रकरण में यह बात निकलकर सामने आई है कि कन्हैया पर देशद्रोह का मामला एक टीवी चैनल पर प्रसारित एक विडियो क्लिप के आधार पर दर्ज किया गया था।
कन्हैया की पेशी में सुरक्षा बढ़ाएं - सुप्रीम कोर्ट

कन्हैया की पेशी में सुरक्षा बढ़ाएं - सुप्रीम कोर्ट

जेएनयू राष्ट्रविरोधी नारेबाजी मामले में आरोपी जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की सोमवार को कोर्ट में हुई पेशी के दौरान कुछ वकीलों और अन्य द्वारा जेएनयू छात्रों और शिक्षकों के साथ ही पत्रकारों पिटाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बुधवार को अंतरिम आदेश जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस और कोर्ट प्रशासन को कन्हैया की पेशी के दौरान सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने को कहा है। साथ ही अदालत ने पेशी के दौरान कोर्ट रुम में वकीलों, पत्रकारों और अन्य के प्रवेश को भी सीमित कर दिया है।
अरुणाचल: नई सरकार के गठन पर रोक लगाने से कोर्ट का इनकार

अरुणाचल: नई सरकार के गठन पर रोक लगाने से कोर्ट का इनकार

उच्चतम न्यायालय ने आज कांग्रेसी नेताओं के इस अनुरोध पर अंतरिम आदेश पारित करने से इंकार किया कि अरूणाचल प्रदेश के राज्यपाल जेपी राजखोवा को फिलहाल राष्ट्रपति शासन के अधीन इस राज्य में नई सरकार को शपथ दिलाने से रोका जाए।
हाईकोर्ट जज ने अपने ही तबादले के आदेश पर लगाई रोक

हाईकोर्ट जज ने अपने ही तबादले के आदेश पर लगाई रोक

एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में मद्रास हईकोर्ट के न्यायमूर्ति कर्णन ने अपने ही तबादले के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर स्थगन लगा दिया है। प्रधान न्यायाधीश ने विवादों के लिए मशहूर मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सी. एस. कर्णन का तबादला कलकत्ता उच्च न्यायालय कर दिया था।
निष्पक्षता से हो राज्यपाल के अधिकारों का इस्तेमाल: सुप्रीम कोर्ट

निष्पक्षता से हो राज्यपाल के अधिकारों का इस्तेमाल: सुप्रीम कोर्ट

अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन के मुद्दे पर सुनाई कर रही सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि किसी मुख्यमंत्री के विशिष्ट अधिकार को राज्यपाल नहीं हड़प सकते। साथ ही अदालत ने कहा कि संविधान में राज्यपालों के सीमित अधिकार हैं जिनका इस्तेमाल लोकतंत्र की अक्षुण्णता सुनिश्चित करने के लिए न्यायोचित और निष्पक्ष तरीके से किया जाना चाहिए।
धारा 377 मामला: पांच जजों की पीठ को सौंपी याचिका

धारा 377 मामला: पांच जजों की पीठ को सौंपी याचिका

भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत स्वेच्छा से दो वयस्कों के बीच समलैंगिक यौन संबंध स्थापित करने को अपराध की श्रेणी में रखने संबंधी शीर्ष अदालत के फैसले पर फिर से गौर करने के लिए दायर सुधारात्मक याचिका को आज उच्चतम न्यायालय ने पांच सदस्यीय संविधान पीठ को सौंप दी।
डीडीसीए: सरकार और जेटली के खिलाफ अदालत जाएंगे आजाद

डीडीसीए: सरकार और जेटली के खिलाफ अदालत जाएंगे आजाद

निलंबित भाजपा सांसद कीर्ति आजाद ने आज डीडीसीए मामले में मोदी सरकार को भी घसीटते हुए कहा कि वह सरकार के अलावा वित्त मंत्री अरूण जेटली के विरूद्ध अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। आजाद ने दावा किया कि सीबीआई अब भी पिंजड़े का तोता ही है।
मोदी ने जो सबक बिहार में नहीं सीखा वो सबक असम सिखाएगा उन्हें- मणिशंकर अय्यर

मोदी ने जो सबक बिहार में नहीं सीखा वो सबक असम सिखाएगा उन्हें- मणिशंकर अय्यर

पूर्वोत्तर के बारे में मैं कहना चाहूंगा कि असम एक ऐसा राज्य है, जहां अस्थिरता रही है। 70 के दशक में वहां भारी हंगामा रहा और 80 का दशक आते-आते हंगामा बढ़ता रहा। उसके समाधान के लिए, वहां लोकतंत्र लाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने जो कदम उठाए वह आज तक किसी ने नहीं उठाए। सन 1985 में वहां हंगामा करने वालों की जीत हुई थी, उन्होंने सरकार चलाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने असम को बरबाद करके छोड़ दिया। उनमें हुकूमत बनाए रखने की क्षमता नहीं थी। लेकिन यह लोकतंत्र है, यहां जो जनता चाहेगी उसी की सरकार बनेगी। बेहतर प्रदर्शन के आधार पर वोट मिलेंगे। आखिरकार जनता ने सही सरकार चुनी।
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