माखनलाल फोतेदार की पुस्तक 'द चिनार लीव्स’ में नेहरु-गांधी परिवार के बारे में कई खुलासे किए है। इस खुलासे के बाद कांग्रेस असहज महसूस कर रही है। पुस्तक ऐसे समय में आई है जब कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को कमान सौंपने की तैयारी चल रही है। पुस्तक में जो खास बाते हैं प्रस्तुत है उसका प्रमुख अंश:
कभी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे नटवर सिंह ने साल 2014 में जब अपनी पुस्तक में यह खुलासा किया था कि 2004 में राहुल गांधी ने सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनने से रोका था। उस समय सोनिया और राहुल ने नटवर से मुलाकात कर पुस्तक से कुछ बातों को निकालने के लिए कहा था। बाद में नटवर सिंह ने खुद ही खुलासा कर दिया कि सोनिया और राहुल उनसे मिलने आए थे। किताब के जरिए कांग्रेस में जो नई सियासत शुरू हुई है उससे पार्टी के कई नेता बेचैन हैं।
साल 1990 में वी पी सिंह सरकार के पतन के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमन चाहते थे कि प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री बनें लेकिन राजीव गांधी ऐसा नहीं चाहते थे। वह कुछ और ही सोच रहे थे।
एकता परिषद के संस्थापक और प्रख्यात गांधीवादी विचारक राजगोपाल पी.व्ही. को साल 2013-14 के 29वें इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है।
देश में आपातकाल की घोषणा कर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जितनी आलोचनाएं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके राजनीतिक दल की झेलीं, उतनी आलोचना शायद ही किसी और राजनीतिक दल ने की हो। लेकिन अब खुफिया ब्यूरो के पूर्व प्रमुख टीवी राजेश्वर की मानें तो संघ ने भी आपातकाल का समर्थन किया था और उस वक्त के संघ प्रमुख बालासाहेब देवरस ने इंदिरा गांधी से संपर्क साधने की भी कोशिश की थी।
केंद्रीय संचार एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी पर नियत डाक टिकट निकले जाने का मुद्दा उठाकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। उनके आरोपों में एक तरफ आंशिक सच्चाई है तो दूसरी तरफ राजनीति की गंध भी है।
इंदिरा गांधी और राजीव गांधी पर जारी किए गए डाक टिकट और अंतरदेशीय डाक पत्र बंद किए जाने के फैसले को लेकर आज विवाद शुरू हो गया और सरकार ने कहा कि सिर्फ एक ही परिवार को यह सम्मान नहीं मिल सकता वहीं कांग्रेस ने इस कदम को इतिहास का अपमान बताते हुए माफी मांगे जाने की मांग की।