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भूमिपूजन से भला नहीं

वह एक हिंदू राजा की तरह अपनी पत्नी और बेटे के साथ बैठकर आंध्र की नई राजधानी के लिए भूमि पूजन कर रहे थे। वैदिक रीति से मंत्रोच्चार की गूंज चहुं दिशाओं में उठ रही थी। मुहूर्त का ध्यान पल-पल रखा जा रहा था। घड़ी ने जैसे ही सुबह के 8.49 मिनट बजाए, यह सब शुरू हो गया। बाकी तमाम साथी थोड़ी दूरी पर थे, क्यांेकि यह प्रक्रिया पति, पत्नी और बेटे (यहां राजा,रानी और राजकुमार पढ़ा जाए) द्वारा ही पूरी की जाने की बात शास्त्रों में लिखी है। बिल्कुल वैसा ही किया गया।
भूमिपूजन से भला नहीं

कृष्णा नदी के तट पर बसे इस गांव में वैष्णव परंपरा के अनुसार शुभ मुहूर्त में 3 बजे पूजा शुरू कर दी थी। आखिर मौका भी ऐतिहासिक था। आंध्र प्रदेश को नई राजधानी मिल रही है, अमरावती। इसके लिए भूमि पूजन का कार्यक्रम गुंटूर जिले के मदादम गांव में ऐतिहासिक भव्यता के किया गया। इसके बाद राजा ने परंपरागत हल जोता और उनकी पत्नी ने नवरतालु (नौ प्रमुख अनाज) जमीन पर बोए।

 

इस ब्यौरे से राजा, रानी और राजकुमार की जगह आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, उनकी पत्नी भुवनेश्वरी और उनके बेटे एन. लोकेश का नाम लिखा जा सकता है यानी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने नई राजधानी के लिए जो आयोजन किया, वह ठीक उसी तरह का था, जैसा कोई हिंदू राजा करता। हैदराबाद में भूमि सुधारों और विस्थापन पर लंबे समय से काम कर रहे अधिवक्ता रवि ने आउटलुक को बताया कि जिस तरह सारा आयोजन हुआ, वह एक राज्य की राजधानी से ज्यादा चंद्रबाबू नायडू का निजी कार्यक्रम था। इसे देखकर लगा रहा था, जैसे यह सारी जमीन उनकी हो और वह अपनी पत्नी-बेटे के साथ इसमें भूमि-पूजन करने जा रहे हों। हालांकि यह सारा आयोजन जनता के पैसे से हो रहा था, लेकिन पारिवारिक बना दिया गया था।

 

रवि का कहना है कि यह सारी धार्मिक भव्यता लोगों को असल मुद्दे और असल सवाल से मुंह मोड़ने के लिए भी की गई। सवाल उन 20 हजार परिवारों के अस्तित्व का है, जो इस राजधानी के बनने से अपनी आजीविका से वंचित हो गए हैं। रवि सहित अन्य सामाजिक कार्यकर्ता नई राजधानी में जाति और वर्ग का सवाल भी देखते हैं। उनका कहना है कि गुंटूर जिले में अधिकांश जमीन मालिक कम्मा जाति के हैं जबकि जमीन पर फसल उगाने वाले और मजदूरी करने वाले दूसरी जाति के हैं, अधिकांशत: दलित हैं। आने वाले दिनों में इतने बड़े पैमाने पर होने वाले विस्थापन का आक्रोश पनपेगा। आंध्र प्रदेश के दलित बहुजन फ्रंट संस्था के कोरिवि विनय कुमार का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुश करने के लिए आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, दोनों राज्य सरकारें बढ़-चढ़ कर हिंदुत्व का एजेंडा चला रही हैं। गरीबों को बेदखल करके जिस पैमाने पर राजधानी तैयार की जा रही है, उससे साफ हो रहा है कि इसमें गरीब सिर्फ कामगार के तौर पर आस-पास के शहरों से आएंगे। हैदराबाद में कृषि संकट और किसानों की आत्महत्या पर काम कर रही सज्जिया ने बेहद व्यंग्यात्मक अंदाज में कहा कि नायडू ने हैदराबाद को राजधानी बनाने के समय भी ऐसा ही जमीन का खेल खेला था, जैसा अभी अमरावती में चल रहा है। लेकिन पिछली बार भी यह उन पर भारी पड़ा और इस बार भी सारा हवन, पूजा कराने के तुरंत बाद ही वह एमएलसी चुनावों में विधायकों की खरीद-फरोक्त में फंस गए। इतनी पूजा-पाठ और करोड़ों रुपये का खर्चा किसी काम नहीं आया। उन्हें जान बचाने के लिए तुरंत दिल्ली दरबार में राहत के लिए भागना पड़ा।

 

इस समय आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों में ठनी हुई है। कैश फॉर वोट घोटाले में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू फंस भी गहरे गए हैं। उन पर तेलंगाना के विधान परिषद चुनावों के लिए तेलंगाना राष्ट्र्र समिति (टीआरएस) विधायक इविस स्टीफनसन को पांच करोड़ रुपये की रिश्वत देने के लिए अपने विधायक रेवांत रेड्डी को भेजने का आरोप है। इस संदर्भ में एक ऑडियो टेप भी सामने आया, जिसमें आरोप है कि खुद मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने टीआरएस के विधायक से बात की और कहा, हमारे लोगों ने मुझे जानकारी दी है। मैं आपके साथ हूं, आप चिंता न करें। हर चीज के लिए मैं आपके साथ हूं। जो भी उन्होंने वादा किया है, वह पूरा होगा। अब इसके बारे में आंध्र प्रदेश सरकार का कहना है कि यह टेप असल नहीं है। लेकिन फिर घबराकर सीधे तेलंगाना सरकार पर यह आरोप लगाया कि वह गैर-कानूनी ढंग से चंद्रबाबू नायडू का फोन टेप कर रही है।

 

तेलंगाना सरकार का दांव चंद्रबाबू नायडू पर भारी पड़ा। तेलुगु देशम के विधायक ए. रेवांत रेड्डी गिरफ्तार है। तेलंगाना के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने उन्हें रंगे हाथ पकड़ा है। उन्हें 31 मई को एसीबी ने 50 लाख रुपये के साथ पकड़कर यह बात उजागर की कि किस तरह आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू तेलंगाना की राजनीति को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। चर्चा यह भी है कि नायडू ने पांच विधायकों की खरीद का मामला तय किया था। हर विधायक का रेट पांच करोड़ रुपये तय किया गया था। उसने जिस तरह फोन टेप करके उसे जारी किया उससे साफ है कि तेलंगाना सरकार लंबी लड़ाई लड़ने की तैयारी में है।  संभवत: नायडू देश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो इस तरह ऑडियो टेप में रिश्वत के साथ आश्वासन देते हुए पकड़े गए हैं। आंध्र प्रदेश में नायडू के मुख्य प्रतिद्वंद्वी वाईएसआर के वाई.एस. जगन ने मांग की है कि भ्रष्ट मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को जेल भेजना चाहिए। उन्हें एफआईआर में दोषी नंबर वन बनाया जाना चाहिए। उनका कहना है कि अगर इतने प्रमाण किसी और के खिलाफ होते तो ञ्चया उस पर भी कार्रवाई नहीं होती।

 

अभी तक वोट के बदले नकदी मामले में मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ एफआईआर नहीं है। चंद्रबाबू नायडू ने भी बचाव में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव पर फोन टैपिंग के कई मामले दर्ज करने की बात कही है। आंध्र प्रदेश सरकार ने गृह मंत्रालय से कहा है कि उनके 120 विधायकों तथा मंत्रियों का फोन टेप होने की आशंका है। उन्हें उम्मीद है कि इस संबंध में टेलीकॉम मंत्रालय से कभी भी आदेश आ सकता है। वह देख रहा है कि फोन टैपिंग की प्रक्रिया पूरी हुई कि नहीं। वैसे तेलंगाना के एसीबी ने इस प्रक्रिया के बारे में चुनाव आयोग को पहले ही सूचित कर दिया था। उधर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने फोन टेपिंग के आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा, 'तेलंगाना सरकार ने किसी का फोन टेप नहीं किया। कैश फॉर वोट जिन लोगों ने किया, वे अपना दोष मानने के बजाय ये सारे ड्रामे कर रहे हैं। यह गजब का खेल है। रिश्वत देकर जो लोग विधायकों को खरीद रहे हैं, दोषी तो वही होंगे। हम कानून की परिधि में काम कर रहे हैं। बदले की भावना दूसरी तरफ है।’

 

बहरहाल, एक साल के भीतर दोनों राज्यों के बीच खुलेआम ठन गई है। राजा की तरह नई राजधानी के लिए भूमि पूजन का जश्न मानने वाले चंद्रबाबू नायडू के अच्छे दिन शायद पूरी तरह नहीं आए हैं। मौजूदा संकट की आंच उन्हें देर तक परेशान करेगी।

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