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शिवसेना-मनसे ने मुंबई में बेचा मांस, जैन समुदाय पर निशाना

जैन पर्व पर्यूषण के मौके पर मुंबई में मांस की बिक्री पर प्रतिबंध को लेकर राजनीति तेज होती जा रही है। आज शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) बीएमसी के आदेश का उल्लंघन करते हुए मुंबई के व्यस्त दादर इलाके में स्‍टॉल लगाकर मांस बिक्री कर रही है।
शिवसेना-मनसे ने मुंबई में बेचा मांस, जैन समुदाय पर निशाना

राज ठाकरे के नेतृत्व वाली मनसे ने सांकेतिक प्रदर्शन के तौर पर मुर्ग का मांस बेचने के लिए एक स्टाॅल लगाया है। शिवसेना र्कायकर्ताओं ने मुंबई में चार दिन 10, 13, 17 और 18 सितंबर को प्रतिबंध के लिए निकाय संस्था के नोटिस को फाड़ दिया। गौरतलब है कि जैन समुदाय इस अवधि में धार्मिक उपवास करेंगे। मुंबई के नजदीक मीरा रोड-भयंदर और नवी मुंबई निगमों ने पर्यूषण पर्व के दौरान मांस बिक्री पर प्रतिबंध लगाया है।

भाजपा की सहयोगी शिवसेना के साथ ही विपक्षी मनसे, कांग्रेस और राकांपा ने इस पर विरोध प्रकट करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा 2017 में होने वाले निकाय चुनावों के पहले वोटरों के धुब्रीकरण और समाज के एक धड़े के तुष्टीकरण की कोशिश कर रही है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि उनकी पार्टी निश्चित करेगी कि मांस की बिक्री पर प्रतिबंध नहीं हो। आज विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले मनसे पार्षद संदीप देशपांडे ने कहा, हम शिवसेना कार्यकर्ताओं के साथ दादर इलाके में मांस बेच रहे थे तभी वहां पुलिस पहुंची और धक्का देना शुरू कर दिया। बाद में हमें हिरासत में ले लिया गया। लेकिन, प्रतिबंध के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा। देशपांडे ने कहा कि पार्टी प्रतिबंध के दौरान शहर भर में मांस के स्टाॅल लगाएगी। 

शिवसेना ने जैन समुदाय पर साधा निशाना

पर्यूषण पर्व के दौरान मांस की बिक्री पर प्रतिबंध को लेकर जैन समुदाय की आलोचना करते हुए शिवसेना ने कहा कि अहिंसा के प्रति समुदाय का रूख अब हैरान करने वाला है क्योंकि उन लोगों ने शहर में 1993 के दंगे के वक्त कथित तौर पर हिंसा का समर्थन किया था। शिवसेना ने अहिंसा को लेकर जैन लोगों पर अपना पाला बदलने का आरोप लगाया है।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के एक संपादकीय में कहा, अब तक कट्टरपंथी मुसलमान ही धर्म के नाम पर लोगों पर धौंस जमाते रहे हैं। अगर जैन भी मुसलमान की राह जाएंगे तब तो ऊपरवाला ही उन्हें बचाएगा। 1992-93 मुंबई दंगे के दौरान मराठियों ने जैन लोगों को बचाया था। वे बच गए क्योंकि हिंसा का जवाब हिंसा से दिया गया। उस समय भी पर्यूषण था। लेकिन जैनियों ने तब हिंसा का खुलकर समर्थन किया था। शिवसेना ने सवाल किया, मातोश्री में तब कई जैन लोग आते थे और मदद के लिए बालासाहेब का शुक्रिया अदा करते थे...आज ये लोग अहिंसा की बात करते हैं...यह हैरान करने वाला है। किस वजह से यह परिवर्तन हो गया है?

शिवसेना ने सवाल उठाया कि क्या सिर्फ जानवरों की कुर्बानी पर प्रतिबंध ही अहिंसा है? हिंसा दिमाग में है और काम में है। क्या जैन भाई इस तरह की हिंसा से मुक्त हैं? शहर में कई जैन बिल्डर्स हैं जो काले और सफेद धन का खेल करते हैं। काला धन स्वीकार करना भी पाप है। क्या जैन इस पर्व के दौरान काला धन नहीं लेंगे। शिवसेना ने कहा है कि महाराष्ट में ब्राह्मण, गुजरात में पटेल और माहेश्वरी, हरियाणा में वैष्णव, कर्नाटक और महाराष्ट्र सीमा पर लिंगायत और मध्यप्रदेश तथा राजस्थान के काफी हिस्से के लोग शाकाहारी हैं लेकिन किसी ने भी अब तक मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की मांग नहीं की है। मुखपत्र में कहा गया है, पर्यूषण के नाम पर महाराष्ट्र को नहीं भड़काया जाए। जीओ और जीने दो के सिद्धांत पर यकीन करो और लोग जो चाहे खाने दो।

 

 

 

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