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झारखंडः टीएसी पर गरमाई राजनीति, भाजपा ने कहा- अपूर्ण और असंवैधानिक, सत्ताधारी दल ने किया पलटवार

टीएसी (जनजातीय सलाहकार परिषद) से विवाद का पीछा नहीं छूट रहा है। टीएसी की पहली बैठक में ही मुख्‍य विरोधी...
झारखंडः टीएसी पर गरमाई राजनीति, भाजपा ने कहा- अपूर्ण और असंवैधानिक, सत्ताधारी दल ने किया पलटवार

टीएसी (जनजातीय सलाहकार परिषद) से विवाद का पीछा नहीं छूट रहा है। टीएसी की पहली बैठक में ही मुख्‍य विरोधी दल भाजपा के सदस्‍य (बाबूलाल मरांडी, नीलकंठ सिंह मुंडा, कोचे मुंडा) गायब रहे तो सत्‍ताधारी झामुमो और कांग्रेस ने भाजपा को आड़े हाथों लिया। बता दें कि टीएसी के गठन के लिए अलग नियमावली बनाकर हेमन्‍त सरकार ने इससे राज्‍यपाल की भूमिका को किनारे कर दिया। दरअसल सदस्‍यों के मनोनयन को लेकर राज्‍य सरकार ने दो बार प्रस्‍ताव राजभवन भेजा था मगर कुछ आपत्तियों के साथ राजभवन ने प्रस्‍ताव को वापस कर दिया। अंतत: हेमन्‍त सरकार ने नई नियमावली गठित करते हुए इससे राज्‍यपाल की भूमिका को ही गौण कर दिया। तब भाजपा के नेता राज्‍यपाल से मिले और इसका विरोध करते हुए सरकार के फैसले को असंवैधानिक करार दिया था।
बैठक से गैरहाजिर रहे टीएसी के सदस्‍य और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने टीएसी को ले सरकार पर आक्रमण किया। कमियां गिनाते हुए कहा कि टीएसी का गठन असंवैधानिक, अपूर्ण है। कहा कि पांचवीं अनुसूची का उल्‍लंघन करते हुए इसका गठन किया गया है। जनजाति समाज के सदस्‍य को इसका अध्‍यक्ष बनाना चाहिए था न कि मुख्‍यमंत्री को। महिलाओं और आदिम जनजाति के लोगों को भी सदस्‍य बनाना चाहिए था। जब तक इसमें सुधार नहीं होगा भाजपा के सदस्‍य इसकी बैठक में शामिल नहीं होंगे। प्रेस वार्ता में संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह, प्रदेश अध्‍यक्ष दीपक प्रकाश से लेकर टीएसी के भाजपा सदस्‍य आदि शामिल थे।
इधर बाबूलाल मरांडी के आरोप का काउंटर करते हुए झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा शासन में तो गैर जनजातीय मुख्‍यमंत्री रघुवर दास ही इसके अध्‍यक्ष थे। अभी तो जनजातीय समाज के हेमन्‍त सोरेन अध्‍यक्ष हैं। और अगले पचास साल तक भाजपा यहां शासन में आने वाली नहीं है इसी को ध्‍यान में रखते हुए गैर मुख्‍यमंत्री आदिवासी को अध्‍यक्ष बनाने की बात कह रहे हैं। जहां तक महिला सदस्‍य का सवाल है शिबू सोरेन के बड़े पुत्र स्‍वर्गीय दुर्गा सोरेन की पत्‍नी, झामुमो महासचिव सीता सोरेन इस कमेटी की सदस्‍य हैं। आदिम जनजाति से प्रतिनिधित्‍व की बात है तो एक सीट अभी खाली है। छत्‍तीसगढ़ में रमन सिंह की सरकार ने भी इसी तरह की नियमावली बनाई थी। हाई कोर्ट ने उसे सही करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्‍वीकार नहीं किया। भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के अध्‍यक्ष छह जून को राज्‍यपाल से मिले थे, कहा था कि इसके खिलाफ हाई कोर्ट जायेंगे। छत्‍तीसगढ़ मामले में अदालत में हस्र को जानते थे इसलिए आज तक हाई कोर्ट नहीं गये। पांचवें शिड्यूल पर बहस के लिए तैयार हूं। इधर भाजपा प्रवक्‍ता राजीव रंजन ने कहा कि बैठक का बहिष्‍कार कर भाजपा ने अपना आदिवासी विरोधी चेहरा सामने कर दिया है। छत्‍तीसगढ़ में जब भाजपा की डॉ रमन सिंह की सरकार थी जो जनजातीय सलाहकार परिषद नियमावली में परिवर्तन इन्‍हें स्‍वीकार्य था मगर यहां नहीं।

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