Advertisement

दस दिनों के बाद धीरज साहू ने खोला मुंह, कहा- पैसे पारिवारिक फर्म के हैं कांग्रेस या किसी पार्टी के नहीं

झारखंड से कांग्रेस के राज्‍यसभा सदस्‍य धीरज साहू के ठिकानों से आयकर छापे में बरामद साढ़े तीन सौ...
दस दिनों के बाद धीरज साहू ने खोला मुंह, कहा- पैसे पारिवारिक फर्म के हैं कांग्रेस या किसी पार्टी के नहीं

झारखंड से कांग्रेस के राज्‍यसभा सदस्‍य धीरज साहू के ठिकानों से आयकर छापे में बरामद साढ़े तीन सौ करोड़ रुपये से अधिक नकद बरामदगी से मचे बवाल के बीच धीरज साहू ने मुंह खोला। उनके ओडिशा, झारखंड, बंगाल के ठिकानों पर छह दिसंबर से ही छापे चल रहे थे नौ-दस दिनों तक छापेमारी चलती रही। मगर दस दिनों के बाद धीरज साहू सामने आये। चुप्‍पी तोड़ी। प्रत्‍यक्ष रूप से खुद को इससे किनारा कर लिया।

मीडिया से कहा कि हमलोगों का सारा बिजनेस, फर्म परिवार के नाम से है। बरामद राशि काला धन है या नहीं है ये तो आयकर वाले बतायेंगे। उनका जवाब भी आने दीजिए। मैं बिजनेस में नहीं हूं, मेरे परिवार वाले इसका जवाब देंगे। मैं बिल्‍कुल इस मामले से दूर हूं। परिवार बहुत बड़ा है और मैं तीस-पैंतीस साल से राजनीति में हूं। इसके अलावा मैं कुछ नहीं कह सकता। यह आयकर का छापा है उसे लोग किस तरह से देख रहे हैं मैं क्‍या कह सकता हूं। यह दावे के साथ कह सकता हूं कि यह कांग्रेस या किसी दूसरे राजनीतिक दल का पैसा नहीं है।

साहू के ठिकानों से नोटों के बंडलों की बरामदगी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद एक्‍स पर पोस्‍ट किया था। केंद्रीय गृह मंत्री से लेकर देश और राज्‍य के बड़े-बड़े भाजपा नेता इसे लेकर कांग्रेस पर आक्रामक रहे। रेड के कोई चार दिनों के बाद दस दिसंबर को रांची पहुंच कांग्रेस के झारखंड प्रभारी अविनाश पांडेय साफ कर दिया था कि इससे पार्टी का कोई लेना देना नहीं। धीरज साहू कांग्रेस के राज्‍यसभा सदस्‍य हैं इसलिए पार्टी आलाकमान ने उनसे स्‍पष्‍टीकरण मांगा है। कहा है कि जो भी परिस्थिति बनी है उसे स्‍पष्‍ट करें। कि पैसा कहां से आया और ये पैसे किसके हैं।

बहरहाल धीरज साहू के सामने आने के अलग मायने निकाले जा रहे हैं। समझा जा रहा है कि साहू अपना राजनीतिक भविष्‍य बचाने के लिए इस तरह का बयान दिया है। दरअसल वे तीन टर्म झारखंड से राज्‍यसभा के सदस्‍य रहे। अभी तीसरा टर्म चल रहा है जो मार्च 2024 में पूरा होगा। उसी समय संसदीय चुनाव का मौका आ जायेगा। जानकार मानते हैं कि धीरज साहू चतरा संसदीय सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। चतरा से वे 2009 और 2014 में चुनाव लड़ चुके हैं, हालांकि दोनों बार पराजित हुए थे। नोटों की बरामदगी को केंद्रीय भाजपा ने कांग्रेस के भ्रष्‍टाचार पर आक्रमण का एजेंडा बना लिया है। उनकी गिरफ्तारी से लेकर सीबीआई और ईडी से जांच की मांग हो रही है।

जाहिर है अगर नकदी की बरामदगी के मामले में केंद्रीय एजेंसियों की घेराबंदी में सीधे तौर पर धीरज साहू फंसे तो चुनाव में भी कांग्रेस उनसे किनारा कर सकती है। जो धीरज साहू नहीं चाहते हैं। उनका 35 साल का राजनीतिक करियर रहा है। वैसे हकीकत यह भी है कि साहू कुनबे का कारोबार अभी भी संयुक्‍त है और पुराना ठोस पैसे वाले हैं। आने वाला समय बतायेगा कि धीरज साहू कितना बच पाते हैं और अपनी मंशा में कितना कामयाब होते हैं।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad