Advertisement

'सांप्रदायिक नागरिक संहिता’ वाली प्रधानमंत्री की टिप्पणी अम्बेडकर का घोर अपमान: कांग्रेस

कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से यह कह...
'सांप्रदायिक नागरिक संहिता’ वाली प्रधानमंत्री की टिप्पणी अम्बेडकर का घोर अपमान: कांग्रेस

कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से यह कह कर संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर का घोर अपमान किया है कि आजादी के बाद से अब तक देश में ‘‘सांप्रदायिक नागरिक संहिता’’ है।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया कि आंबेडकर हिंदू पर्सनल लॉ में जिन सुधारों के बड़े पैरोकार थे, उनका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनसंघ ने पुरजोर विरोध किया था। रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री की दुर्भावना और विद्वेष की कोई सीमा नहीं है। आज के उनके लाल किले के भाषण में यह पूरी तरह से दिखा।’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘यह कहना कि हमारे पास अब तक ‘‘सांप्रदायिक नागरिक संहिता’’ है, डॉ. आंबेडकर का घोर अपमान है, जो हिंदू पर्सनल लॉ में सुधारों के सबसे बड़े समर्थक थे। ये सुधार 1950 के दशक के मध्य तक वास्तविकता बन गए। इन सुधारों का आरएसएस और जनसंघ ने कड़ा विरोध किया था।’’ उन्होंने 21वें विधि आयोग द्वारा 31 अगस्त, 2018 को पारिवारिक कानून के सुधार पर दिए गए परामर्श पत्र के कथन का उल्लेख किया।

रमेश के अनुसार, मोदी सरकार में बने इस विधि आयोग ने कहा था, ‘‘हालांकि भारतीय संस्कृति की विविधता का जश्न मनाया जा सकता है और मनाया जाना चाहिए, लेकिन इस प्रक्रिया में विशिष्ट समूहों या समाज के कमजोर वर्गों को वंचित नहीं किया जाना चाहिए। इस संघर्ष के समाधान का मतलब सभी मतभेदों का खत्म होना नहीं है। इसलिए इस आयोग ने उन कानूनों पर विचार किया है जो समान नागरिक संहिता प्रदान करने के बजाय भेदभावपूर्ण है तथा जो इस स्तर पर न तो आवश्यक हैं और न ही वांछनीय हैं। अधिकतर देश मतभेदों को पहचानने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और केवल मतभेदों का अस्तित्व भेदभाव नहीं दर्शाता है, बल्कि यह एक मजबूत लोकतंत्र का संकेत है।’’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में देश में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता (एससीसी) की जोरदार पैरवी करते हुए भारत को ‘विकसित राष्ट्र’ बनाने का संकल्प व ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का सपना साकार करने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा, ‘‘देश का एक बहुत बड़ा वर्ग मानता है कि जिस नागरिक संहिता को लेकर हम लोग जी रहे हैं, वह सचमुच में साम्प्रदायिक और भेदभाव करने वाली संहिता है। मैं चाहता हूं कि इस पर देश में गंभीर चर्चा हो और हर कोई अपने विचार लेकर आए।’’

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad