Advertisement

मुफ्ती पर बुरी फंसी भाजपा

कभी जिन मुद्दों को लेकर भाजपा नेता पानी पी-पीकर कश्मीर की दूसरी पार्टियों को कोसा करते थे अब वही मुद्दे उसके गले की फांस बनने लगे हैं। कल्पना करें कि अगर आज जम्मू-कश्मीर में भाजपा सरकार की साझेदार न होती तो मुफ्ती मोहम्मद सईद के यह कहने पर कि राज्य में शांतिपूर्ण चुनाव के लिए सीमा पार के लोग और अलगाववादी भी बधाई के पात्र हैं, भाजपाईयों की प्रतिक्रिया क्या होती।
मुफ्ती पर बुरी फंसी भाजपा

क्या पार्टी ने कश्मीर से लेकर दिल्ली तक हंगामा खड़ा नहीं कर दिया होता? मगर अब पार्टी इस मुद्दे पर चुप्पी साधने के लिए मजबूर है। शायद इसी को राजनीति की विडंबना कहते हैं। कमाल वैसे इस बात का भी है कि मुफ्ती ने जो कहा उसके लिए विरोधी उन्हें नहीं बल्कि भाजपा को घेरने में जुटे हुए हैं। संविधान के अनुच्छेद पर पहले ही यू टर्न ले चुकी भाजपा को विपक्षी दलों ने संसद के दोनों सदनों में जमकर घेरा।

सोमवार को संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के निशाने पर आई नरेंद्र मोदी सरकार ने कहा कि वह सईद के बयान से अपने को पूरी तरह अलग करती है। लोकसभा में विपक्ष ने इस मामले में प्रधानमंत्री से स्पष्टीकरण देने एवं सदन में निंदा प्रस्ताव पारित करने की मांग की और इसे नहीं माने जाने पर सदन से वाकआउट किया। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस विवादास्पद बयान से पल्ला झाड़ते हुए लोकसभा में कहा, सरकार और उनकी पार्टी सईद के बयान से अपने आपको पूरी तरह से अलग करती है। लोकसभा में शून्यकाल के दौरान कांग्रेस के के. सी. वेणुगोपाल ने यह मामला उठाते हुए कहा कि सईद के इस विवादास्पद बयान देने के समय भाजपा नेता और राज्य के उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह भी उनके साथ बैठे थे लेकिन उन्होंने कोई आपत्ति नहीं जताई।

सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस बारे में प्रधानमंत्री के बयान की मांग की और कहा कि सईद ने कहा है कि उन्होंने प्रधानमंत्री से भी कहा कि वह महसूस करते हैं कि जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण विधानसभा चुनाव कराने का श्रेय पाकिस्तान और हुर्रियत को जाता है। ऐसे में प्रधानमंत्री ही स्पष्ट कर सकते हैं कि दोनों के बीच क्या बात हुई, इसलिए प्रधानमंत्री को सदन में आकर स्पष्टीकरण देना चाहिए। इस पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्होंने इस बारे में प्रधानमंत्री से बात की है और वह सदन में बयान उनकी जानकारी और सहमति से दे रहे हैं। गृह मंत्री ने कहा कि अपने विवादास्पद बयान के बारे में सईद ने प्रधानमंत्री से बात नहीं की थी। उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण ढंग से विधानसभा चुनाव कराने का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वे हैं चुनाव आयोग, सेना, अर्धसैनिक बल और राज्य के लोग। राज्य में चुनाव में भारी हिस्सेदारी का श्रेय राज्य के लोगों को जाता है। सदन से निंदा प्रस्ताव पारित कराने की विपक्ष की मांग पर अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि उनके पास ऐसा कोई नोटिस नहीं आया है और उसके बिना यह कैसे संभव हो सकता है। वेणुगोपाल ने कहा कि सईद का यह कहना कि उन्होंने यह बात प्रधानमंत्री से भी कही, इस विषय को काफी गंभीर बनाता है। उन्होंने कहा, इस बारे में प्रधानमंत्री की चुप्पी स्तब्धकारी है... सदन को इसकी निंदा करनी चाहिए। हमें सदन में प्रस्ताव पारित कराना चाहिए।

उधर, राज्यसभा में शून्यकाल में कांग्रेस के शांताराम नाइक ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि सईद का यह बयान राष्ट्रविरोधी है और राष्ट्र विरोधी ताकतों का समर्थन कर सईद ने अपनी शपथ का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों, चुनाव आयोग और सुरक्षा बलों के कारण यह चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो पाए जबकि नए मुख्यमंत्री ने उन्हें कोई श्रेय नहीं दिया है। नाइक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान संविधान के अनुच्छेद 370 के बारे में कहा था, कम से कम चर्चा तो करो। लेकिन वह अब इससे बच रहे हैं। इस मुद्दे पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि पिछले साल मई में हुए लोकसभा चुनाव और अब विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से कराने का सारा श्रेय जम्मू कश्मीर, लेह एवं करगिल के लोगों, चुनाव आयोग एवं सुरक्षा बलों को जाता है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad