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बोपैया ही रहेंगे प्रोटेम स्पीकर, लेकिन फ्लोर टेस्ट का होगा सीधा प्रसारण

भाजपा विधायक केजी बोपैया को कर्नाटक विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किए जाने के खिलाफ...
बोपैया ही रहेंगे प्रोटेम स्पीकर, लेकिन फ्लोर टेस्ट का होगा सीधा प्रसारण

भाजपा विधायक केजी बोपैया को कर्नाटक विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किए जाने के खिलाफ कांग्रेस-जनता दल (एस) की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को खारिज कर दी। वह प्रोटेम स्पीकर बने रहेंगे और बीएस येदियुरप्पा सरकार के विश्वासमत हासिल करने के दौरान  सदन की कार्यवाही का संचालन करेंगे। ले‌किन कार्यवाही का सीधा प्रसारण होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि विश्वासमत हासिल करने के दौरान विधानसभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया जाएगा। ऐसा होने से पारदर्शिता बनी रहेगी। सीधा प्रसारण कराने की बात एएसजी तुषार मेहता ने कही थी। इस मामले की सुनवाई जस्टिस एके सिकरी, जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने की।

सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि कर्नाटक में पुरानी परंपरा तोड़ी गई और सुप्रीम कोर्ट पहले भी दो फैसलों को ठीक कर चुका है इस पर जस्टिस बोबडे ने टिप्पणी की और कहा कि 'ऐसे भी कई उदाहरण हैं जहां वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नहीं बनाया गया।' कपिल सिब्बल ने कहा कि बात सिर्फ वरिष्ठतम की नहीं है, बल्कि पुराने इतिहास की भी है, ऑपरेशन लोटस की बात है।

जस्टिस बोबडे ने कहा कि अगर आप (सिब्बल) निर्णय पर सवाल उठाएंगे तो हमे प्रोटेम स्पीकर को नोटिस जारी करना होगा। ऐसे में फ्लोर टेस्ट को भी टालना पड़ सकता है, क्योंकि पहले बोपैया की नियुक्ति की जांच करनी होगी। जस्टिट बोबडे ने सिब्बल से कहा कि आप विरोधाभास के जोन में हैं। आप प्रोटेम स्पीकर के खिलाफ हमलावर हैं लेकिन उन्हें अपना पक्ष रख्‍ाने के लिए वक्त भी नहीं देना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल से कहा कि वे कैसे राज्यपाल को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने के लिए कह सकते हैं।

इससे पहले कपिल सिब्बल ने कोर्ट से अपील की कि बोपैया को बहुमत परीक्षण की इजाजत न दी जाए। उन्होंने यह दलील भी दी कि प्रोटेम स्पीकर बोपैया का इतिहास दागदार रहा है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट को भी उनके कामकाज की आलोचना करनी पड़ी थी।

कांग्रेस-जेडीएस की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल ने बहस की जबकि प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति के पक्ष में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और एएसजी तुषार मेहता ने बहस की। इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी भी कोर्ट में मौजूद थे।

 

 

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