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कई विपक्षी नेताओं का आप को समर्थन, पीएम आवास घेराव में येचुरी भी होंगे शामिल

दिल्ली के उपराज्यपाल और केजरीवाल सरकार के बीच के बढ़ते विवाद का असर अब व्यापक होता दिख रहा है। गैर...
कई विपक्षी नेताओं का आप को समर्थन, पीएम आवास घेराव में येचुरी भी होंगे शामिल

दिल्ली के उपराज्यपाल और केजरीवाल सरकार के बीच के बढ़ते विवाद का असर अब व्यापक होता दिख रहा है। गैर भाजपा शासित 4 प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से मिले समर्थन के बाद अब कई विपक्षी नेता केजरीवाल के प्रति एकजुटता दिखा रहे हैं। आप ने प्रधानमंत्री आवास पर प्रदर्शन के लिए प्रोटेस्ट मार्च निकालने की पूरी तैयारी कर ली है। इस घेराव में सीपीआईए(एम) महासचिव सीताराम येचुरी भी हिस्सा लेंगे।

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, कर्नाटक के कुमारस्वामी, आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू और केरल के सीएम पी विजयन ने केजरीवाल को समर्थन की घोषणा की है। ये चारों सीएम शनिवार को केजरीवाल के घर पहुंचे थे और रविवार को नीति आयोग में पीएम मोदी के सामने इस मसले को उठाया भी था। रविवार को आम आदमी पार्टी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्हें सूबे के बाहर से दूसरे राजनीतिक दलों से ऐसे समर्थन की उम्मीद नहीं थी।

इसके अलावा झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी ‘दिल्ली संकट’ को संविधान का उल्लंघन बताते हुए केजरीवाल को समर्थन दिया।

संघीय ढांचे को तोड़ रही है भाजपा सरकार: येचुरी

सीपीआईएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने पीएम आवास घेराव में शामिल होने की बात कहते हुए कहा कि संविधान की मौलिक विशेषता संघीय ढांचे को केन्द्र की भाजपा सरकार कमजोर कर रही है जिसकी वे कड़ी निंदा करते हैं।

उन्होंने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार गैर-बीजेपी शासित राज्यों में राज्यपाल और उपराज्यपाल, के कार्यालय का उपयोग लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित सरकार को अस्थिर करने के लिए कर रही है। उन्होंने कहा कि यह दिल्ली और पुडुचेरी में हो रहा है।

येचुरी ने कहा “राज्यपाल के कार्यालय का इस्तेमाल कर्नाटक में लोगों के जनादेश को अपहरण करने के लिए किया गया, जो विफल हो गया।”

उन्होंने कहा कि गोवा, मणिपुर और मेघालय जैसे राज्यों में चुनाव हारने के बाद राज्यपाल के कार्यालय का इस्तेमाल भाजपा सरकारों को स्थापित करने के लिए किया गया था। विधानसभा चुनावों में व्यापक रूप से हार के बाद पिछे के दरवाजे से प्रवेश करने के लिए बिहार में राज्यपाल कार्यालय का दुरुपयोग किया गया।

उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयास पहले से ही नाजुक केंद्र-राज्य संबंधों को नष्ट कर रहे हैं। इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। भारत में कम्युनिस्ट सरकार पहले पीड़ित हैं जो केन्द्र सरकार के द्वारा संवैधानिक प्रावधानों के दुरुपयोग के शिकार हुए। केरल में निर्वाचित सरकार को 1957 में अनौपचारिक रूप से खारिज कर दिया गया था। केरल और पश्चिम बंगाल में बार-बार वामपंथी सरकारों के साथ ऐसा हुआ है।

क्या है मामला? 

दिल्ली की केजरीवाल सरकार अब आर-पार के मूड में दिखाई दे रही है। केजरीवाल दिल्ली में नौकरशाहों की कथित ‘‘हड़ताल’’ खत्म करवाने के लिए अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ पिछले सात दिनों से उपराज्यपाल के कार्यालय में धरना पर बैठे हैं। केजरीवाल पिछले चार महीने से सरकार के कामकाज का बहिष्कार करनेवाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। साथ ही दिल्ली सरकार की डोर टू डोर राशन योजना को मंजूरी देने की बात कह रहे हैं। उपराज्यपाल ने मांगों को मानने से मना कर दिया है जबकि केजरीवाल का कहना है कि मांगे पूरी होने तक वह डटे रहेंगे। उनका कहना है कि अफसरों की हड़ताल के कारण दिल्ली के लोगों के कामों पर असर पड़ रहा है। उपराज्यपाल ने जहां अफसरों में अविश्वास और डर का माहौल होने की बात कही है तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे उपराज्यपाल द्वारा प्रायोजित हड़ताल करार दिया है।

ये हैं तीन मांगें

#उपराज्यपाल स्वयं आईएएस अधिकारियों की गैरकानूनी हड़ताल फौरन खत्म कराएं, क्योंकि वो सेवा विभाग के प्रमुख हैं।

#काम रोकने वाले आईएएस अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करें।

#राशन की डोर-स्टेप-डिलीवरी की योजना को मंजूर करें।

क्या कह रहे हैं उपराज्यपाल?

इधर, उपराज्यपाल निवास की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में किसी भी तरह के हड़ताल का खंडन किया गया है। राज्यपाल दफ्तर की ओर से कहा गया है कि अफसरों में डर और अविश्वास का माहौल है, जिसे सीएम ही दूर कर सकते हैं। जहां तक डोर स्टेर राशन डिलीवरी की फाइल की बात है तो वह खाद्य मंत्री इमरान हुसैन के पास ही है। उसके लिए केंद्र की मंजूरी जरूरी है जिसके लिए दिल्ली सरकार को ही कदम उठाने हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी बाकायदा दिल्ली सरकार की बैठकों में भाग ले रहे हैं और विरोध के बावजूद अपना काम कुशल तरीके से कर रहे हैं। सरकार की ओर से अफसरों के साथ सकारात्मक बातचीत की कोशिश तक नहीं हुई। आज भी तीन आईएएस अफसरों को विधानसभा से राहत के लिए कोर्ट जाना पड़ा।

क्या है कथित हड़ताल की वजह?

मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर कथित मारपीट के बाद आईएएस पिछले करीब चार माह से  कथित तौर पर हड़ताल पर हैं।

 

 

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