दिल्ली विधानसभा ने बजट पेश करने में देरी के संबंध में मुख्य सचिव नरेश कुमार, वित्त सचिव ए सी वर्मा और अन्य अधिकारियों की कथित भूमिका की विशेषाधिकार समिति से जांच कराने के लिए मंगलवार को एक प्रस्ताव पारित किया।
आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं ने आरोप लगाया कि अधिकारी गृह मंत्रालय द्वारा बजट प्रस्तावों पर कुछ सवाल उठाने वाले पत्र को दबाये रहे और संबंधित मंत्री को सूचित नहीं किया, जिसके कारण 2023-24 के बजट की प्रस्तुति में देरी हुई। मंगलवार को बजट पेश किया जाना था।
आप विधायक संजीव झा ने जांच की मांग वाला प्रस्ताव पेश किया। झा ने कहा, ‘‘मुख्य सचिव, वित्त सचिव और अन्य अधिकारियों ने उपराज्यपाल कार्यालय और केंद्र के साथ मिलकर बजट के संबंध में गृह मंत्रालय के एक महत्वपूर्ण पत्र को दबा दिया। मैं सदन में बजट पेश करने में देरी के कारण विशेषाधिकार समिति द्वारा उनकी भूमिका की जांच की सिफारिश करता हूं।’’
विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने प्रस्ताव को ध्वनि मत के लिए रखा और उसके बाद मामला विशेषाधिकार समिति को भेज दिया गया।
वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने विधानसभा को बताया कि उन्हें सोमवार दोपहर करीब 2 बजे पता चला कि गृह मंत्रालय ने कुछ सवाल उठाए हैं। गहलोत ने कहा, ‘‘मैंने मुख्य सचिव और वित्त सचिव से कई बार पूछा और आखिरकार शाम 6 बजे के आसपास मैंने फाइल देखी और मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद इसे उपराज्यपाल को भेज दिया गया।’’
गहलोत ने कहा कि वह गृह मंत्रालय के पत्र से अनभिज्ञ थे, जो 17 मार्च को शाम 5:30 बजे ई-मेल के माध्यम से आया था। गहलोत ने कहा कि मुख्य सचिव को आपत्ति को तुरंत वित्त मंत्री और दिल्ली सरकार के संज्ञान में लाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा असंवैधानिक कुछ नहीं हो सकता और मामले की जांच की मांग की।
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने पूर्व में कहा था कि मंत्रालय ने आप नीत सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था, क्योंकि उसके बजट प्रस्तावों में विज्ञापन के लिए उच्च आवंटन और बुनियादी ढांचे तथा अन्य विकास पहल के लिए अपेक्षाकृत कम खर्च का प्रावधान था।
प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि देरी के लिए अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। केजरीवाल ने कहा, ‘‘उपराज्यपाल को फाइल पर लिखने का अधिकार नहीं है। अगर उपराज्यपाल को सरकार चलानी है, तो जो चुने गए हैं, उनकी क्या भूमिका है? गृह मंत्रालय ने (अधिकारियों को) तीन दिन तक बजट (से जुड़े पत्र) को दबाए रखने का आदेश दिया। 20 मार्च को अधिकारियों ने बताया कि सवाल पूछे गए हैं। अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।’’