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सोनिया से मीटिंग के पहले शरद पवार ने बढ़ाया सस्पेंस, बोले- “भाजपा-शिवसेना तलाशें अपना रास्ता”

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार की कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के...
सोनिया से मीटिंग के पहले शरद पवार ने  बढ़ाया सस्पेंस, बोले- “भाजपा-शिवसेना तलाशें अपना रास्ता”

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार की कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ बैठक से पहले चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि भाजपा और शिवसेना एक साथ चुनाव लड़े और अब उन्हें अपने रास्ते चुनने होंगे। पवार के इस बयान से महाराष्ट्र में एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने को लेकर अब असमंजस खड़ा हो गया है।

शरद पवार के बयान का मतलब

संसद में मीडिया से बात करते हुए पवार ने कहा, “भाजपा-शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा, हमने (राकांपा) और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा। उन्हें अपना रास्ता चुनना होगा और हम अपनी राजनीति करेंगे।” हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वह सोनिया गांधी से उनके आवास पर दिन में मुलाकात करेंगे।

फिर भी उम्मीद बाकी

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, बैठक में, दोनों गठबंधन दलों के प्रमुख आगे की संभावनाओं पर भी चर्चा करेंगे। महाराष्ट्र में किसी भी पार्टी को जनादेश नहीं मिला है। सरकार बनाने की समयसीमा खत्म होने के बाद पिछले मंगलवार वहां राष्ट्रपति शासन लगाया गया। हालांकि कांग्रेस और शिवसेना के बीच वैचारिक रूप से असमानता है लेकिन फिर भी गठबंधन की कोशिश की जा रही है।  

न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर काम

पार्टी सूत्रों ने कहा कि चुनाव पूर्व गठबंधन सहयोगियों- कांग्रेस और राकांपा सरकार बनाने के लिए शिवसेना के साथ न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) पर काम कर रहे हैं। कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि गठबंधन के लिए हां कहने से पहले, पार्टी चाहती है कि शिवसेना अपनी कट्टर हिंदुत्व की विचारधारा को कम करे और कुछ मुद्दों पर धर्मनिरपेक्ष रुख अपनाए। उन्होंने यह भी कहा कि राकांपा चाहती है कि कांग्रेस सरकार का हिस्सा हो।

मुख्यमंत्री पद को लेकर रार

चुनाव से पहले सहयोगी भाजपा और शिवसेना ने 21 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ा था। भाजपा को 288 सीटों में से 105 सीटें मिलीं जबकि शिवसेना 56 सीटें जीतने में सफल रही। लेकिन भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार नहीं बन सकी क्योंकि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री पद की मांग की थी। भाजपा द्वारा इस मांग को नकार दिए जाने के बाद गठबंधन टूट गया था। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और एनसीपी ने राज्य में क्रमशः 44 और 54 सीटें जीतीं हैं।

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