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केजरीवाल का आरोप, भाजपा का दिल्ली सचिवालय पर कब्जा

दिल्ली में आप सरकार पिछले चार दिनों से धरने पर है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने मंत्रियों के साथ...
केजरीवाल का आरोप, भाजपा का दिल्ली सचिवालय पर कब्जा

दिल्ली में आप सरकार पिछले चार दिनों से धरने पर है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने मंत्रियों के साथ एलजी निवास में डटे हुए हैं। मुख्यमंत्री ने गुरुवार ट्वीट कर आरोप लगाया कि भाजपा ने दिल्ली सचिवालय पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से सचिवालय पर बैनर लगा दिया गया है वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इसकी अनुमति कैसे दी और किसने इसकी अनुमति दी। केजरीवाल ने सवाल किया कि पुलिस, सुरक्षा और ब्यूरोक्रेसी कहां है। केजरीवाल के समर्थन में माकपा नेता बृंदा करात भी राजघाट पर चल रहे धरने में शामिल हुईं।

इसके बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर कहा कि दिल्ली के सचिवालय पर केंद्र के सत्ताधारी राजनीतिक दल के क़ब्ज़े की खबर लोकतंत्र की हत्या से भी बदतर हालात की ओर इशारा कर रही है। ये सत्ता का अहंकार है। जो आज ताकत से जनतंत्र पर कब्जा कर रहे हैं, वो कल जनता के घरों पर भी कब्जा करेंगे। केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों के समर्थन में खड़े होने के लिए अखिलेश यादव का शुक्रिया अदा किया है।

राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी कहा कि दिल्ली की जनता ने 20वर्ष से भाजपा को दिल्ली से बेदखल किया हुआ है। इसलिए अब केंद्र की भाजपा सरकार रिकॉर्ड तोड़ बहुमत से चुनी हुई केजरीवाल सरकार के कामकाज मे निम्नस्तरीय दखलंदाजी कर दिल्ली की विकासप्रिय जनता से चुन-चुन कर बदला ले रही है। लोकतंत्र में ये अस्वस्थ परंपरा की शुरुआत है

दरअसल, आईएएस अफसरों की कथित हड़ताल को लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच यह टकराव देखने को मिल रहा है। अब इस मसले पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है।

केजरीवाल सोमवार शाम 5.30 उपराज्यपाल से मिलने पहुंचे थे और मांगें पूरी न होने पर वह अपने मंत्रियों- मनीष सिसोदिया, मंत्री गोपाल राय, सत्येंद्र जैन के साथ एलजी दफ्तर में धरने पर बैठ गए।

केजरीवाल ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर कहा है कि उपराज्यपाल उनकी बात नहीं सुन रहे हैं। उन्होंने पीएम से अपील किया कि वे इस मामले में दखल दें और पिछले तीन महीने से जो आईएएस अफसरों की हड़ताल खत्म कराएं। केजरीवाल ने लिखा है कि इन अफसरों का ट्रांसफर करना या इनपर कार्रवाई करना सब केंद्र सरकार और एलजी के हाथ में है। इसलिए हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने लिखा है, “अब तो लोगों ने भी कहना शुरू कर दिया है कि ये हड़ताल केंद्र सरकार और एलजी मिलकर करवा रहे हैं।”

मंत्री सत्येन्द्र की तबीयत बिगड़ी

आमरण अनशन पर बैठे मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन का गुरुवार सुबह रुटीन चैकअप हुआ। चैकअप में सामने आया है कि सत्येंद्र जैन की तबीयत ठीक नहीं है।

क्या है वजह?

केजरीवाल पिछले चार महीने से सरकार के कामकाज का बहिष्कार करनेवाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। साथ ही दिल्ली सरकार की डोर टू डोर राशन योजना को मंजूरी देने की बात कह रहे हैं। उपराज्यपाल ने मांगों को मानने से मना कर दिया है जबकि केजरीवाल का कहना है कि मांगे पूरी होने तक वह डटे रहेंगे। उनका कहना है कि अफसरों की हड़ताल के कारण दिल्ली के लोगों के कामों पर असर पड़ रहा है। उपराज्यपाल ने जहां अफसरों में अविश्वास और डर का माहौल होने की बात कही है तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे उपराज्यपाल द्वारा प्रायोजित हड़ताल करार दिया है।

ये हैं तीन मांगें

#उपराज्यपाल स्वयं आईएएस अधिकारियों की गैरकानूनी हड़ताल फौरन खत्म कराएं, क्योंकि वो सेवा विभाग के प्रमुख हैं।

#काम रोकने वाले आईएएस अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करें।

#राशन की डोर-स्टेप-डिलीवरी की योजना को मंजूर करें।

क्या कह रहे हैं उपराज्यपाल?

इधर, उपराज्यपाल निवास की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में किसी भी तरह के हड़ताल का खंडन किया गया है। राज्यपाल दफ्तर की ओर से कहा गया है कि अफसरों में डर और अविश्वास का माहौल है, जिसे सीएम ही दूर कर सकते हैं। जहां तक डोर स्टेर राशन डिलीवरी की फाइल की बात है तो वह खाद्य मंत्री इमरान हुसैन के पास ही है। उसके लिए केंद्र की मंजूरी जरूरी है जिसके लिए दिल्ली सरकार को ही कदम उठाने हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी बाकायदा दिल्ली सरकार की बैठकों में भाग ले रहे हैं और विरोध के बावजूद अपना काम कुशल तरीके से कर रहे हैं। सरकार की ओर से अफसरों के साथ सकारात्मक बातचीत की कोशिश तक नहीं हुई। आज भी तीन आईएएस अफसरों को विधानसभा से राहत के लिए कोर्ट जाना पड़ा।

क्या है कथित हड़ताल की वजह?

मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर कथित मारपीट के बाद आईएएस पिछले करीब चार माह से  कथित तौर पर हड़ताल पर हैं।

 

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