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मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार को ईडी ने किया गिरफ्तार

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को कर्नाटक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार को गिरफ्तार कर...
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार को ईडी ने किया गिरफ्तार

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को कर्नाटक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार को गिरफ्तार कर लिया है। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में चार दिन की पूछताछ के बाद डीके शिवकुमार को गिरफ्तार किया है। इससे पहले जांच अधिकारियों ने उनसे शुक्रवार को चार घंटे और शनिवार को आठ घंटे तक पूछताछ की थी। पहले की गई पूछताछ के दौरान कर्नाटक के पूर्व कैबिनेट मंत्री ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत अपना बयान दर्ज कराया।

कर्नाटक हाईकोर्ट से खारिज हुई थी याचिका

कर्नाटक विधानसभा के सदस्य शिवकुमार 30 अगस्त को पहली बार ईडी के सामने पेश हुए थे। विमान के जरिये बेंगलुरु से दिल्ली पहुंचने पर उन्होंने ईडी की जांच में सहयोग करने की बात कही थी। पिछले गुरुवार को कर्नाटक हाईकोर्ट ने ईडी के समन को चुनौती देने वाली शिवकुमार की याचिका खारिज कर दी थी जिसके बाद उन्हें एजेंसी के सामने पेश होना पड़ा।

पिछले साल ईडी ने शिवकुमार और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया गया था। अधिकारियों के अनुसार, कथित कर चोरी और हवाला लेनदेन के मामले के आधार पर मामले दर्ज हुए थे।

'मैं कानून का पालन करूंगा'

इससे पहले 2017 में आयकर विभाग ने शिवकुमार के 64 ठिकानों पर जबरदस्त छापेमारी की थी। डीके शिवकुमार ने बताया, 'मैंने कोर्ट से अनुरोध किया था कि यह एक साधारण इनकम टैक्स का मामला है। मैं पहले से ही आईटीआर दाखिल कर चुका हूं। यहां प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग (पीएमएलए) का कोई केस नहीं है। बीती रात, उन्होंने (ईडी) मुझे शुक्रवार को दोपहर 1 बजे तक दिल्ली आने के लिए समन भेजा है। मैं कानून का पालन करूंगा।'

'हमारा सारा खून चूसा जा चुका है'

डीके शिवकुमार ने आगे कहा, 'पिछले दो साल से, मेरी 84 साल की मां की पूरी प्रॉपर्टी बेनामी संपत्ति के रूप में विभिन्न जांच अथॉरिटी द्वारा अटैच की जा चुकी है और मैं उसमें बेनामी हूं। हमारा सारा खून पहले ही चूसा जा चुका है।'

कौन हैं शिवकुमार

हजारों करोड़ की संपत्ति के मालिक डीके शिवकुमार जहां 'चुनावी प्रबंधन के चाणक्‍य' हैं, वहीं पार्टी को हर संकट से उबारने का भी माद्दा रखते हैं। वे फंड जुटाने के साथ-साथ सभाओं में भीड़ जुटाने का काम करते रहे हैं। पिछले साल नवंबर में राज्‍य में हुए 3 लोकसभा और 2 विधानसभा सीटों के उपचुनाव परिणामों ने यह साबित कर दिया था कि डीके शिवकुमार की कांग्रेस में क्या भूमिका है। शिवकुमार ने विपक्ष का गढ़ समझे जाने वाली बेल्‍लारी लोकसभा सीट और रामनगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस को जीत दिलाई थी और पार्टी में अपनी जगह मजबूत कर ली थी। खासकर बेल्लारी सीट पर यह शिवकुमार का ही कमाल था कि कांग्रेस ने 14 साल बाद यहां जीत का स्वाद चखा था।

वहीं पिछले दिनों जब कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन वाली सरकार खतरे में थी तो शिवकुमार दोनों पार्टी के शीर्ष नेताओं से अलग मुंबई में अकेले मोर्चा संभाले हुए थे और रूठे विधायकों को मनाने जा चुके थे। हालांकि उनकी कोशिश काम नहीं आई और कर्नाटक में बीजेपी की सरकार बन गई। 2017 में गुजरात राज्यसभा चुनाव के दौरान विधायकों को बीजेपी के पाले में जाने से रोकने के लिए शिवकुमार को जिम्मेदारी सौंपी गई थी और कांग्रेस के 44 विधायकों को बेंगलुरु के रिजॉर्ट में रखा गया था। वह रिजॉर्ट डीके शिवकुमार का ही था।

कुमारस्वामी ने बदले की कार्रवाई बताया

शिवकुमार को जनता दल सेक्यूलर और कांग्रेस के नेताओं की ओर सहानुभूति मिली है। इन नेताओं का मानना है कि शिवकुमार को राजनीतिक बदले की भावना से परेशान किया जा रहा है क्योंकि वे कांग्रेस में हैं। पूर्व मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने उनके समर्थन में ट्वीट किया। उन्होंने कहा कि शिवकुमार को ईडी के अधिकारियों ने गौरी गणेश के त्यौहार पर पूजा की अनुमति भी नहीं दी। क्या यह बदले की कार्रवाई नहीं है।

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