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मंदिर-मंदिर राहुल, सत्‍ता की सीढ़ी चढ़ पाएगी कांग्रेस?

गुजरात में 22 साल से सत्ता से जारी वनवास को समाप्त करने के लिए कांग्रेस पूरा जोर लगा रही है। विधानसभा...
मंदिर-मंदिर राहुल, सत्‍ता की सीढ़ी चढ़ पाएगी कांग्रेस?

गुजरात में 22 साल से सत्ता से जारी वनवास को समाप्त करने के लिए कांग्रेस पूरा जोर लगा रही है। विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ताबड़तोड़ जनसभाएं कर रहे हैं। इस बीच वो मंदिर जाना भी नहीं भूलते। शनिवार को उत्तरी गुजरात दौरे की शुरुआत उन्होंने गांधीनगर के अक्षरधाम मंदिर से की। शनिवार की रात अंबा जी मंदिर में पूजा की। रविवार को बनासकांठा के प्रसिद्ध वाडीनाथ मंदिर पहुंचे।

इससे पहले कांग्रेस की चुनावी रणनीति में मंदिर इस तरह कभी केंद्र में नहीं रहा। हालांकि राहुल की दादी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अंबा जी मंदिर से अपने प्रचार अभियान की शुरुआत करती थीं। लेकिन, ऐसा पहली बार है जब राहुल अपनी चुनावी यात्रा के दौरान बार-बार मंदिर जा रहे हैं। जानकार इसे ‘हिंदू विरोधी’ और ‘अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण’ जैसे भाजपा के आरोपों का जवाब देने की कांग्रेस की रणनीति के तौर पर देख रहे हैं।

गुजरात चुनाव में ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ का कार्ड चलने के संकेत कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों के ऐलान से पहले ही दे दिए थे। राहुल ने 25 दिसंबर को द्वारकाधीश मंदिर में पूजा कर नवसर्जन यात्रा की शुरुआत की। इसके बाद 47 मिनट में करीब 900 सीढ़ियां चढ़ पहाड़ी पर स्थित मां चामुंडा के दर्शन किए। पटेल समुदाय के लिए बेह‌द महत्वपूर्ण कागवाड गांव के खोडलधाम मंदिर गए। यहां लेउवा पटेल समुदाय के लोगों ने भव्य मंदिर बनाया है। राजकोट में वे जलाराम बापा के मंदिर गए, जबकि उनका यहां जाने का पहले से कोई निर्धारित कार्यक्रम नहीं था। डेडियापाड़ा के एक आदिवासी मंदिर में दर्शन किए। मध्य गुजरात के दौरे के दौरान संतराम मंदिर गए। इससे हिंदू-मुस्लिम दोनों धर्म के लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं। अक्टूबर में वे वडोदरा में बाबासाहेब आंबेडकर की 'संकल्प भूमि' दाहोद में कबीर मंदिर भी गए थे।

दिलचस्प यह है कि बनासकांठा के अंबाजी मंदिर से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने गुजरात गौरव महासंपर्क अभियान की शुरुआत की थी। कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री मोदी गांधीगनर के अक्षरधाम मंदिर गए थे। पर राहुल के बार-बार मंदिर जाने भाजपा की बैचेनी साफ महसूस की जा सकती है। उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल कहते हैं, ‘हम चाहते हैं कि कांग्रेस अपनी छद्म धर्मनिरपेक्षता को छोड़ हिन्दुत्व का सम्मान करे, लेकिन वोट हासिल करने के उसके ये हथकंडे गुजरात में सफल नहीं होंगे। राहुल गांधी क्यों चुनावों के पहले मंदिरों की यात्रा कर रहे हैं? लोग उनके इरादे जानते हैं कि वे ऐसे हथकंडों से वोट हासिल करना चाहते हैं। उनका भक्ति के प्रति कोई झुकाव नहीं है। अपने पहले की यात्राओं के दौरान राहुल गांधी कभी किसी मंदिर में नहीं गए।’’

कांग्रेस प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ऐसे आरोपों को खारिज करते हैं। वे कहते हैं, ‘राहुल गांधी मंदिरों के अलावा जैन मंदिर और गुरूद्वारे भी गए हैं। हम धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करते हैं। क्या किसी के पास भक्ति का पेटेंट है? जो लोग मंदिर की यात्रा का विरोध कर रहे हैं, गुजरात के लोग उन्हें सबक सिखाएंगे।’

 

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