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दक्षिण भारत से गांधी परिवार का नाता पुराना, इंदिरा और सोनिया भी लड़ चुकी हैं यहां से चुनाव

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस बार लोकसभा चुनाव में अमेठी के साथ-साथ केरल की वायनाड संसदीय सीट से भी...
दक्षिण भारत से गांधी परिवार का नाता पुराना, इंदिरा और सोनिया भी लड़ चुकी हैं यहां से चुनाव

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस बार लोकसभा चुनाव में अमेठी के साथ-साथ केरल की वायनाड संसदीय सीट से भी चुनाव लड़ने जा रहे हैं। इसे केरल ही नहीं बल्कि पूरे दक्षिण भारत को साधने की रणनीति मानी जा रही है। राहुल का यह फैसला राजनीतिक सूझ से भरा माना जा रहा है। बता दें कि दक्षिण भारत को साधने की ऐसी कवायद पहले भी होती रही हैं। गांधी परिवार पहले भी यहां से चुनावी मैदान में उतरता रहा है। यानी राहुल से पहले सोनिया गांधी और इंदिरा गांधी भी दक्षिण भारत में लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं।

कांग्रेस परिवार का दक्षिण भारत से चुनाव लड़ने का इतिहास पुराना है। हालांकि जीतने के बाद यहां की सीट से त्याग पत्र देने की भी परिपाटी रही है। हालांकि राहुल के वायनाड सीट पर उम्मीदवारी को लेकर कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि केरल की वायनाड सीट सांस्कृतिक और भौगोलिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। यह सीट केरल, तमिलनाडु और तमिलनाडु को जोड़ती है। ऐसे में राहुल गांधी यदि वायनाड सीट से लड़ते हैं तो यह दक्षिण भारत का प्रतिनिधित्व होगा।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में लगातार दक्षिण भारत से अन्याय होता रहा है। ऐसे में उत्तर और दक्षिण भारत को सांस्कृतिक तौर पर जोड़े रखना बेहद जरूरी था। राहुल गांधी वायनाड से चुनाव लड़कर तीनों राज्यों का प्रतिनिधित्व करेंगे।

चिकमंगलूर और मेडक से इंदिरा गांधी लड़ चुकी हैं चुनाव

गांधी परिवार का दक्षिण भारत से चुनाव लड़ने का पुराना इतिहास रहा है। 1978 में इंदिरा गांधी ने कर्नाटक के चिकमंगलूर में उप चुनाव में जीत हासिल कर अपनी वापसी का संकेत दिया था।

जब इंदिरा गांधी 1980 में कांग्रेस को दोबारा सत्ता में लाने में सफल हुई थीं, तब उन्होंने आंध्र प्रदेश में मेडक और उत्तर प्रदेश में रायबरेली की सीटें जीती थीं।

कर्नाटक के बेल्लारी से सोनिया को मिली थी जीत

1999 के चुनाव में सोनिया गांधी ने कर्नाटक के बेल्लारी में बीजेपी की सुषमा स्वराज को हराने के साथ ही अमेठी सीट भी जीती थी। हालांकि, सोनिया ने बाद में बेल्लारी से त्यागपत्र दे दिया था।

वायनाड सीट के बारे में

भौगोलिक रूप से वायनाड दक्षिण के तीन राज्यों केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक से जु़ड़ा हुआ है इसके अलावा इस सीट पर कांग्रेस का लगातार कब्जा रहा है। यही वजह है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने इसे दूसरी सीट के तौर पर चुना है।

2008 में परिसीमन के बाद यह सीट वजूद में आई। इस लोकसभा सीट के अन्तर्गत केरल के तीन जिलों कोझिकोड, वायनाड और मलप्पुरम की सात विधानसभा सीटें आती हैं। 2009 और 2014 के चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के एमवाई शनावास जीते थे। 2014 के चुनाव में कांग्रेस और सीपीआई के बीच कड़ी टक्कर हुई थी। कांग्रेस के एमवाई शनावास ने सीपीआई कैंडिडेट पीआर सत्यन मुकरी को 20,870 वोटों से हराया था। नवंबर, 2018 में शनावास का निधन हो गया। इसके बाद से ही यह सीट खाली है। इस बार सीपीआई ने इस सीट से पीपी सुनेर को टिकट दिया है।

2011 की जनगणना के अनुसार वायनाड जिले की कुल आबादी 8,17,420 है। इसमें से 4,01,684 पुरुष और 4,15,736 महिलाएं शामिल हैं। जिले की 89.03 प्रतिशत आबादी साक्षर है। वायनाड में 4,04,460 (49.48%) हिंदू आबादी निवास करती है। इसके अलावा 2,34,185 (28.65%) जनसंख्या मुस्लिम समुदाय की है। ईसाई समुदाय की बात करें तो जिले में उनकी आबादी 1,74,453 (21.34%) है।

 

 

 

 

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