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सदी के 16वें साल में 60 की माया

बीते दो दशक में अगर उत्‍तर प्रदेश के सियासत की बात करें तो बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती के प्रभाव को नजरअंजाद नहीं किया जा सकता।
सदी के 16वें साल में 60 की माया

भले ही लोकसभा के चुनाव में बसपा को उत्‍तर प्रदेश में एक भी सीट नहीं मिली हो लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता। 15 जनवरी 1956 को जन्मी मायावती उत्‍तर प्रदेश की चार बार मुख्‍यमंत्री रह चुकी हैं। मायावती को भारत की सबसे युवा महिला मुख्‍यमंत्री के साथ-साथ प्रथम दलित महिला मुख्‍यमंत्री होने का श्रेय भी जाता है।

समर्थकों के बीच ‘बहनजी’ के नाम से मशहूर मायावती ने अपने कॅरियर की शुरूआत स्कूल शिक्षिका के रूप में की थी और कांशीराम की विचारधारा और कर्मठता से प्रभावित होकर राजनीति में प्रवेश किया। उत्‍तर प्रदेश की सियासत में सोशल इंजीनियर का प्रयोग करके मायावती ने कई बार सत्‍ता हासिल की और अभी भी इसी तरह के प्रयोग में जुटी हुई हैं। अपने शासनकाल में कई विवादों और घोटालों के आरोपों से घिरी हुई मायावती की राजनीति करने की अपनी शैली है। पार्टी में मायावती का एकाधिकार है और जो फैसला उन्होने ले लिया उसे कोई बदल नहीं सकता। इसलिए उनके शासनकाल में तमाम नौकरशाह से लेकर राज्य सरकार का हर कर्मचारी खौफजदा हो जाता है। उत्‍तर प्रदेश में साल 2017 के विधानसभा चुनाव में मायावती की असली राजनीतिक परीक्षा भी होनी है।

 

 

 

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