Advertisement

कारवालों को चमचमाती बसों में बैठाएंगेः गोपाल राय

इस प्रयोग से लोगों को कार मुक्त होकर आवाजाही की आदत डालने में सफल होने का दावा कर रही है दिल्ली सरकार
कारवालों को चमचमाती बसों में बैठाएंगेः गोपाल राय

दिल्ली देश की पहली राजधानी और इकलौता शहर बन गया, जिसने प्रदूषण रोकने के लिए निजी गाड़ियों का सम-विषम (ऑड-इवन) प्रयोग किया। यह प्रयोग कितना सफल हुआ या नहीं, इससे प्रदूषण कम हुआ या नहीं ये सब बाद के विश्लेषण से सामने आएगा। इस बारे में जब आउटलुक ने दिल्ली सरकार के परिवहन और श्रम मंत्री गोपाल राय से बातचीत की, तो उन्होंने बताया कि दिल्ली के परिवहन को सुधारने के लिए कई स्तरों पर काम चल रहा है, जिसमें से एक छोटा सा प्रयोग सम-विषम नंबरों का था। पेश है, आउटलुक की ब्यूरो प्रमुख भाषा सिंह की परिवहन मंत्री गोपाल राय से हुई विस्तृत बातचीत का अंश-

दिल्लीवासियों को सम-विषम नंबर के चक्कर में बहुत परेशानी झेलनी पड़ रही है, आखिर ये विचार आया कैसे ?

दिल्ली के परिवहन और प्रदूषण स्तर को सुधारने की दिशा में हम जो योजना तैयार कर रहे हैं, सम-विषम नंबर उसका एक छोटा सा हिस्सा है। यह भी एक लंबी प्रक्रिया में आया। हमने दिल्ली के परिवहन को सुधाने का गंभीर प्रयास 29 जुलाई 2014 से शुरू किया, जब पहली ट्रांसपोर्ट कान्फरेंस की। इसमें विशेषज्ञों ने बहुत अहम सुझआव दिए। दूसरा सम्मेलन 22 सितंबर को किया और फिर शुरुआत की, अब बस करें अभियान की शुरुआत। फिर 22 अक्टूबर को कार फ्री डे की घोषणा की। बाद में हमने प्रदूषण और परिवहन को सुधाने को, दिल्ली के टॉप एजेंडे में रखा। अब यह प्रयोग पंद्रह दिनों का ही था और इसका बाद इसके असर पर बैठकर चर्चा होगी।

सम-विषम नंबर से तो प्रदूषण उतना नियंत्रण में नहीं होता दिख रहा, जितना दावा था, अब अगला कदम क्या ?

दिल्ली सरकार का यह पहला कदम है, जो दिल्ली और केंद्र के बीच लड़ाई में नहीं फंसा। दिल्ली की जनता का भी इसे अभूतपूर्व सहयोग मिला। दिल्ली की जनता ने अपने और अपने बच्चों के भविष्य के लिए इसके समर्थन में कष्ट उठाया। आगे की पूरी योजना है हमारे पास। हम जन परिवहन को इतना चाक-चौबंद करना चाहते हैं कि लोग खुद ही कार का सहारा न लें। हमने बेहद आधुनिक बसों के लिए अंतर्राष्ट्रीय टेंडर (एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेंस्ट) जारी कर रखा है, जो 15जनवरी को पूरा हो है। इसके अलावा दिल्ली में 2000 बसें उतारनी है, जिनमें से 1000 बसों का टेंडर हो चुका है। छह नए डिपो मई तक तैयार हो जाएंगे। अगर चमचमाती बसे होंगे और घर तक पहुंचाने वाली फीडर बसें होंगी, तो कार वाले कार को छोड़ इन बसों में बैठेंगे। ये तो हमें करना ही होगा, एक बेतरह विकल्प के साथ लोगों को जन परिवहन की ओर लाना। तमाम विकसित देशों में ऐसा हुआ है। 

बसों को उतारने से क्या लोग अपनी कारों को छोड़ देंगे ?

बसें ही नहीं, पूरी व्यवस्था को लोगों के लिए सुविधाजनक बना रहे हैं। हम टिकट के लिए एक कॉमन मोबिलिटी कार्ड भी शुरू करने जा रहे हैं। यह मेट्रो, बस और कल्सटर बसों में इस्तेमाल होगा। जीपीएस, सीटीसी कैमरा आदि की भी योजना है।

कितना पैसा इन तमाम योजनाओं के लिए आवंटित किया है या करने की सोच रहे है ?

पैसा हमारे पास है। धन की कमी नहीं होगी। अभी अलग से कुछ नहीं किया गया है क्योंकि उसकी जरूरत नहीं है। एक बात साफ है कि इस योजना की राह में कोई अड़चन नहीं आएगी।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad