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झारखंडः समन्‍वय समिति ने कहा सरकार के एजेंडे को आगे बढ़ाने में भाजपा बाधक, भाजपा ने समिति को घेरा

रांची। एजेंडे के अनुसार झारखंड की हेमंत सरकार कैसे चले इसके लिए गठित समन्‍वय समिति की पहली बैठक में...
झारखंडः समन्‍वय समिति ने कहा सरकार के एजेंडे को आगे बढ़ाने में भाजपा बाधक, भाजपा ने समिति को घेरा

रांची। एजेंडे के अनुसार झारखंड की हेमंत सरकार कैसे चले इसके लिए गठित समन्‍वय समिति की पहली बैठक में नेताओं ने भाजपा पर ठीकरा फोड़ा। कहा कि भाजपा एजेंडे को आगे बढ़ाने में बाधक बनी हुई है। छात्र संगठनों के लगातार चल रहे आंदोलन को देखते हुए नियोजन नीति पर भी समन्‍वय समिति का फोकस रहा। बैठक में नियोजन नीति और ओबीसी आरक्षण जैसे मसलों की चर्चा करते हुए कहा गया कि सरकार नीतिगत निर्णय करती है तो भाजपा के लोग हाई कोर्ट में जाकर अटका देते हैं। रही सही कसर राजभवन से पूरी हो जाती है। सरना धर्म कोड, पिछड़ों को आरक्षण, मॉब लिंचिंग विधेयक जैसे विधेयकों की चर्चा करते हुए कहा गया कि राजभवन ने कमियां तलाशकर उन्‍हें वापस कर दिया है।

झामुमो सुप्रीमो व राज्‍य समन्‍वय समिति के अध्‍यक्ष शिबू सोरेन के आवास पर शनिवार को समन्‍वय समिति की पहली औपचारिक बैठक हुई। बैठक के बाद समिति के सदस्य विनोद पांडेय व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि जनता का हित हमारी सरकार के लिए सबसे उच्‍च प्राथमिकता है। सरकार निर्णय कर रही है मगर भाजपा हमेशा अड़ंगा डाल रही है। उसका रवैया ठीक नहीं है। 1932 के खतियान आधारित स्‍थानीय नीति और पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण वाले विधेयक को सदन से पास कराकर मंजूरी के लिए राज्‍यपाल के पास भेजा गया मगर तकनीकी अड़चन बताकर वापस कर दिया गया। भाजपा ने अदालत में जाकर ब्रेक लगवा दिया। नेताओं ने सरकार से आग्रह किया कि लंबित मामलों की समीक्षा कर जल्‍द राज्‍य हित में इसे लागू कराये। नेताओं ने कहा कि युवाओं और स्‍थानीय लोगों में हमारी सरकार से उम्‍मीदें हैं। और हम उनकी उम्‍मीदों पर खरे भी उतरेंगे।

विनोद पांडेय ने कहा कि जनगणना कॉलम में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड यानी सरना धर्म कोड का मामला आदिवासियों की पहचान से जुड़ा मामला है। सरकार ने आते ही सर्वसम्‍मत प्रस्‍ताव सदन से पास कराकर केंद्र को भेजा है। इसकी मंजूरी के लिए समन्‍वय समिति की एक कमेटी जल्‍द ही राष्‍ट्रपति और केंद्रीय नेताओं से मिलेगी। बैठक में निजी क्षेत्रों पर स्‍थानीय को 75 प्रतिश आरक्षण, सरना धर्म कोड, मॉबलिंचिंग विधेयक, 1932 के खतियान आधारित स्‍थानीयता नीति सहित विभिन्‍न मसलों पर मंथन किया गया। यह भी तय हुआ कि सरकार के एजेंडे को आगे बढ़ाने, सरकार को याद कराने के लिए हर माह समन्‍वय समिति की बैठक होगी। समिति ने सरकार को सलाह दी है कि स्थानीय नीति जनभावना से जुड़ा बड़ा मसला है। कमियों को दुरुस्‍त कर सरकार जल्‍द इसे लागू कराये। प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष व समन्‍वय समिति के सदस्‍य राजेश ठाकुर ने कहा कि सरकार हर स्तर पर काम करना चाहती है, कर रही है। नीतिगत निर्णय ले रही है मगर विपक्षी भाजपा का अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है। अदालत और राज्‍यपाल का सहारा लेकर वे एजेंडे में अड़ंगा डाल रहे हैं।

समिति की पहली बैठक में जनता की उम्‍मीदों पर पानी फेरा: भाजपा

इधर, भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष दीपक प्रकाश ने समन्‍वय समिति की बैठक पर सवाल उठाते हुए कहा कि कि पहली बैठक ने राज्य के सवा तीन करोड़ जनता की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। भ्रष्टाचार,महिला उत्पीड़न, जमीन की लूट, खान खनिज की लूट जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे समन्वय समिति के एजेंडे में शामिल नहीं हुए। उन्होंने कहा कि समन्वय समिति ने जन भावनाओं के अनुरूप नियोजन नीति की बात की है। इससे स्पष्ट है कि हेमंत सरकार जनभावनाओं पर खरी नहीं उतर रही है। आज हजारों युवा बेरोजगार सड़कों पर उतरकर सरकार की नीति का प्रबल विरोध कर रहे।

राज्य में रोज नए नए घोटाले उजागर हो रहे । भ्रष्ट ऑफिसर्स दलाल बिचौलिए मालामाल हो रहे हैं। ईडी की कारवाई में मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि जेल में हैं। सड़क बिजली, पानी, स्वास्थ्य व्यवस्था, विधिव्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। स्वयं मुख्यमंत्री  नियम विरुद्ध फैसले को लेकर कटघरे में खड़े हैं। ट्रिपल टेस्ट के बिना निकाय चुनाव को टाला जा रहा है। लेकिन इस विषय पर समन्वय समिति ने कोई राय नहीं दी। उच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद नेता प्रतिपक्ष का मामला  ठंडे बस्ते में है। आज नेता प्रतिपक्ष के बिना लोकायुक्त,सूचना आयोग,महिला आयोग का गठन नही हो सका है फिर भी यह मुद्दा समन्वय समिति का एजेंडा नही बना। समन्वय समिति को राज्यपाल पर उंगली उठाने से पहले अपनी नाकामियों को ठीक करने की पहल करनी चाहिए। राज्यपाल ने फाइलों में जो सवाल खड़ा किए हैं उसका विधि सम्मत जवाब देना चाहिए।

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