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दलेर मेहंदी: जेल में जन्मदिन ‘ना ना ना रे’!

“आखिर कबूतरबाजी के आरोप में पॉप गायक को जेल जाना ही पड़ा, दो साल अब वे जेल में दर्दी रब रब गा कर अपना...
दलेर मेहंदी: जेल में जन्मदिन ‘ना ना ना रे’!

आखिर कबूतरबाजी के आरोप में पॉप गायक को जेल जाना ही पड़ा, दो साल अब वे जेल में दर्दी रब रब गा कर अपना वक्त काटेंगे

तकरीबन ढाई दशक पहले 1997 में मृत्युदाता में अमिताभ बच्चन पर फिल्माए गए ‘ना ना ना रे’ से बॉलीवुड में एंट्री करने वाले ‘सिंग इज किंग’ दलेर मेहंदी पहली बार अपना अगला जन्मदिन जेल में मनाएंगे। उससे कुछ साल पहले ही ‘बोलो ता रा रा’,‘दर्दी रब रब’ और ‘बल्ले बल्ले’ जैसी लगातार तीन सुपरहिट पंजाबी पॉप संगीत एल्बम से दलेर मेहंदी तहलका मचा चुके थे। लेकिन, हाल में पंजाब में पटियाला सेशन कोर्ट के एडिशनल सेशन जज एच.एस. ग्रेवाल ने 19 साल पहले कबूतरबाजी (मानव तस्करी) के आरोप में दो साल जेल की सजा सुनाई है। सो, 18 अगस्त को दलेर को 55वां जन्मदिन अपने परिजनों की बजाय पूर्व क्रिकेटर तथा कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू के साथ मनाना पड़ेगा। वजह यह कि यहां की जेल में बैरक नंबर 10 में कैद दलेर को मुंशी का काम सौंपा गया है जबकि ‘रोडरेज’ मामले में एक साल की सजा काट रहे सिद्धू भी मई से इसी बैरक में बंद क्लर्की कर रहे हैं।

पटियाला जिले के गांव बलबेड़ा के बक्शीस सिंह ने 2003 में दलेर मेंहदी और उनके बड़े भाई शमशेर सिंह के खिलाफ विदेश भेजने का झांसा देकर बीस लाख रुपये की ठगी का आरोप लगाया था। बक्शीश सिंह की शिकायत पर पटियाला ग्रामीण पुलिस थाने में दलेर और उनके भाई समेत चार लोगों पर कबूतरबाजी का मामला दर्ज हुआ। कबूतरबाजी यानी अवैध तरीके से लोगों को विदेश भेजने का धंधा। विदेशों में शो के लिए जाने वाले दलेर पर आरोप हैं कि वे और उनके बड़े भाई शमशेर अपनी टीम में शामिल करके लोगों को विदेश भेजते थे और बदले में मोटी रकम वसूलते थे। दलेर मेहंदी और शमशेर 1998-99 में अमेरिका के दो दौरों के दौरान 10 लोगों को अपनी संगीत मंडली का हिस्सा बताकर साथ ले गए और उन्हें वहीं छोड़ आए। अमेरिका ले जाने के बदले इन लोगों से मोटी राशि वसूली गई।

बक्शीश ने पुलिस को दर्ज कराई शिकायत में आरोप लगाया था कि दलेर ने 3 लड़कियों सहित 10 लोगों को अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को भेजा था। दलेर ने उसे भी विदेश भेजने के लिए पैसे लिए थे लेकिन विदेश नहीं भेजा और न ही उसकी रकम वापस लौटाई। इस मामले में दलेर से पहले बड़े भाई शमशेर सिंह पर 19 सितंबर 2003 को मानव तस्करी का मामला दर्ज हुआ। शमशेर से पूछताछ के बाद पटियाला पुलिस ने दलेर को भी नामजद कर लिया। बाद में दलेर के बड़े भाई से रिश्ते बिगड़ गए। 2017 में शमशेर सिंह नहीं रहे।

हालांकि तीन साल बाद 2006 में पंजाब पुलिस ने मेहंदी बंधुओं को निर्दोष करार देने के लिए कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की थीं लेकिन कोर्ट ने मामले को बंद नहीं किया क्योंकि दोनों भाइयों के खिलाफ कई सारे सबूत थे। 15 साल तक सुनवाई के बाद 2018 में पटियाला की ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उन्हें 2 साल कैद और 2 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी। सजा 3 साल से कम होने की वजह से दलेर को जमानत मिल गई। दलेर ने ट्रायल कोर्ट की सजा को पटियाला सेशन कोर्ट में चुनौती दी जहां चार साल से सुनवाई के बाद याचिका खारिज होने पर 14 जुलाई को दलेर मेहंदी को गिरफ्तार किया गया।

पंजाब जेल विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आउटलुक को बताया, “पटियाला सेंट्रल जेल के बैरक नंबर 10 में नवजोत सिंह सिद्धू के साथी कैदी दलेर मेहंदी को भी बैरक से बाहर निकलने की इजाजत नहीं है। सुरक्षा कारणों से दलेर मेहंदी पर भी यह पाबंदी लगाई गई है। अब बैरक नंबर 10 में सिद्धू और दलेर के अलावा तीन और कैदी बंद हैं। फर्श पर बिछी दरी पर सोने वाले दलेर जेल का सादा भोजन खा रहे हैं।” सिद्धू के साथ दलेर की जुगलबंदी के अलावा पटियाला सेंट्रल जेल में एक और हाई प्रोफाइल कैदी पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री तथा शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल के साले बिक्रम मजीठिया ड्रग्स तस्करों को संरक्षण देने के आरोप में बैरक नंबर 11 में कैद हैं।

टैक्सी ड्राइवर से ‘दलेर’ गायकी का सफर

पटना साहिब में 18 अगस्त 1967 को  जन्मे दलेर को बचपन से ही गाने का शौक लग गया। पिता अजमेर सिंह चंदन भी पटना साहिब गुरुदारे में गुरुबाणी शब्द कीतर्न जत्थे में नामी गायक थे। पांच भाइयों में शमशेर सिंह के बाद दूसरे नंबर के दलेर के छोटे भाई मीका सिंह भी संगीत की दुनिया में धमाल मचा रहे हैं। दलेर ने अपनी बेटी अजीत कौर का विवाह पंजाब के राजगायक रहे दिल्ली से भाजपा सांसद हंसराज हंस के बेटे नवराज हंस के साथ किया है। दलेर ने 1995 में बड़ी ‌दिलेरी के साथ गायकी में पांव रखा। 2003 में कबूतरबाजी के आरोपों से घिरे दलेर का संगीत की बुलंदियों का सितारा ढलान पर आने लगा।

बीबीसी के साथ 2008 में एक इंटरव्यू में दलेर ने कहा, “अमेरिका के बर्कले सिटी में मैं टैक्सी चलाता था। एक दिन मैंने देखा वहां शहर में भारी भीड़ थी। आलम यह था कि मैंने 12 घंटे में ही तीन हजार डॉलर कमा लिए थे। पता चला कई साल बाद बीटल गायक सर पॉल मैक्टनी का शो हो रहा था। शो में करीब  60 हजार लोग पहुंचे थे।  वहीं से मुझे भारत आकर अपना संगीत सफर शुरू करने की प्रेरणा मिली। भारत लौटने पर मैं जिस भी म्यूजिक कंपनी के पास काम के लिए गया वे कहते कि क्या तुम खुद को पंकज उधास से बड़ा बना लोगे, क्या तुम ग़ुलाम अली से अच्छा गाते हो? लंबे अरसे तक मुझे संघर्ष करना पड़ा। सोने की चेन, अंगूठी सब बिक गई। दुखी होकर वापस अमेरिका चला गया। पूरा परिवार परेशान था पर मैंने कभी एक आंसू नहीं बहाया। मैंने उन्हें समझाया कि बाबा गुरुनानक पर भरोसा रखो, सब ठीक हो जाएगा। एक साल बाद फिर संगीत की धुन पर सवार हो वापस भारत लौट आया।” लेकिन अब फिर वही अंधियारे दिन लौट आए हैं, अलबत्ता वजह कुछ और है।

दलेर का सफरनामा

दलेर मेहंदी

 1995 में मैग्नासाउंड के साथ आए पहले एल्बम “बोलो ता रा रा” से ही दलेर मेहंदी की बुलंद आवाज का जादू चल गया और रिकॉर्ड 2 करोड़ से अधिक कैसेट बिके।

 1996 में दूसरे एल्बम “दर्दी रब रब” ने दलेर के आलोचकों को भी मोह लिया

 1997 में मैग्नासाउंड के बैनर पर ही तीसरे एल्बम ‘बल्ले बल्ले’ ने कई नए रिकॉर्ड कायम किए। मैग्नासाउंड ने दलेर को “सुपरलिटीव (उच्चतम शिखर)” कहा। इसी एल्बम के चलते उन्हें “द टर्बंड टॉरनेडो” और “सुल्तान ऑफ स्विंग” जैसे टाइटल से नवाजा गया। उन्होंने बॉलीवुड में मृत्युदाता फिल्म के “ना ना ना रे” गाने से बतौर गायक और संगीतकार प्रवेश किया

चौथे एल्बम ‘तुनक तुनक’ ने मेहंदी को ब्रांड बना दिया। खौफ फिल्म में रवीना टंडन पर ‘अंख लड़ती है लड़ने दे’ फिल्माया गया।

2000 में  प्रियंका चोपड़ा पर फिल्माया एल्बम एक दाना के गाने, ‘सजन मेरे सतरंगिया’ में लोक, रॉक और पॉप संगीत के मिश्रण है, जो  शादियों में खूब बजाया जाता है।

2001 में दलेर ने यूनिवर्सल म्यूजिक के बैनर तले ‘काला कौआ काट खाएगा’ से नया उदाहरण पेश किया।

2003 में कबूतरबाजी के आरोपों से घिरे दलेर मेहंदी ने अपना रुख फिर से बॉलीवुड फिल्मों की और किया। मकबूल फिल्म के लिए ‘रु-ब-रु’ गाना गाया।

2004 में ए.आर. रहमान के साथ लकीर फिल्म में ‘नच ले’ गाने से नया आयाम गढ़ा।

2014 में नवरात्रि के समय दलेर मेहंदी ने हनुमान चालीसा का गायन कर नई शुरुआत की। इसी साल ‘जा मेरे ट्विटर पे’ गाया आया।

2017 में दलेर की आवाज का दम बाहुबली-2 में ‘जियो रे बाहुबली’ गाने में देखने को मिला। इसी साल पोस्टर बॉयज और पैसा वसूल फिल्मों में भी अपनी गायकी की छाप छोड़ी।

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