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शहीद एसपी के परिजनों का अंतिम संस्कार से इंकार

गुरदासपुर जिले के एक पुलिस थाने में घुसे सशस्त्र उग्रवादियों ने कल सात व्यक्तियों को मार डाला था। इनमें चार नागरिक और बलजीत सिंह सहित तीन पुलिसकर्मी शामिल थे। इनकी मौत से सदमे मे आए परिवार के लोग अब सरकार से खफा हैं।
शहीद एसपी के परिजनों का अंतिम संस्कार से इंकार

कपूरथला। दीनानगर में सोमवार 27 जुलाई को आतंकवादियों का मुकाबला करते हुए अपने प्राणों की आहूति देने वाले पुलिस अधिकारी बलजीत सिंह के परिवार वालों ने उनका अंतिम संस्कार करने से यह कहते हुए इंकार कर दिया है कि पहले राज्य सरकार उनके पुत्र को पुलिस अधीक्षक रैंक और उनकी पुत्रियों को तहसीलदार के पद के लिए नियुक्ति पत्र दे।

पंजाब सरकार ने कल ऐलान किया था कि उग्रवादियों के खिलाफ अभियान में जान गंवाने वाले पुलिस बल के प्रत्येक सदस्य के परिजन को सरकारी नौकरी दी जाएगी। इसके अलावा प्रत्येक परिवार को दस-दस लाख रुपये की वित्तीय सहायता भी दी जाएगी।

दिवंगत पुलिस अधीक्षक (खुफिया) शहीद बलजीत सिंह की पत्नी कुलवंत कौर ने बताया कि उनके ससुर, पुलिस निरीक्षक अक्षर सिंह के निधन के बाद उनके पति को नियुक्ति मिलने में करीब दो साल का समय लगा था जिस वजह से परिवार को लंबे समय तक परेशानी का सामना करना पड़ा था। कुलवंत कौर ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने उग्रवादियों से लड़ने के लिए पुलिस बल को आधुनिक हथियार मुहैया नहीं कराए थे। बलजीत सिंह के परिवार में पत्नी के अलावा उनका पुत्र मनिन्दर सिंह, पुत्रियां परमिंदर कौर और रविंदर कौर हैं।

शहीद बलजीत सिंह एक पुलिस कर्मी अक्षर सिंह के पुत्र थे। पंजाब में 1984 में उग्रवाद चरम पर था और उन्हीं दिनों अक्षर सिंह उग्रवादियों के हाथों मारे गए थे। वर्ष 1984 में उग्रवादियों के हाथों पिता के मारे जाने के बाद बलजीत 1985 में एएसआई के तौर पर पुलिस बल में शामिल हुए थे। उन्होंने फगवाड़ा थाना प्रभारी के तौर पर काम किया था और मानसा में सतर्कता विभाग में भी अपनी सेवाएं दी थीं। इसके बाद उन्हें सातवीं आईआरबी बटालियन में उप कमांडेंट का पद दिया गया था।

वहीं परिजनों की नाराजगी पर पूछे जाने पर एसएसपी आशीष चौधरी ने संपर्क करने पर बताया कि उन्हें ऐसी किसी मांग की जानकारी नहीं है, वह इस बारे में जानकारी लेंगे। उपायुक्त दलजीत सिंह मंगत ने बताया कि यह मुद्दा उनसे संबद्ध नहीं है।

 

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