भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हो या फिर कांग्रेस तथा सपा-बसपा और आरएलडी का गठबंधन हो, केवल चुनाव के समय अपने घोषणापत्र में कर्ज माफी या फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को डेढ़ गुना करने का वादा तो करते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद सब भूल जाते हैं। इसलिए अबकी बार किसानों ने सभी पार्टियों को सबक सिखाने के लिए नोटा का बटन दबाने का फैसला किया है।
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वीएम सिंह ने आउटलुक को बताया कि अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर 30 नवंबर 2018 को देशभर के दो सौ से ज्यादा संगठनों के बैनर तले लाखों किसान ने राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन किया था। जंतर मंतर पर हुई रैली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा सांसद डीराजा, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला, शरद यादव और शरद पवार के साथ समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधि एवं अन्य पार्टियों ने नेताओं ने भाग लिया था।
किसानों के दोनों बिलों को समर्थन देने का दिया था आश्वासन
रैली में भाग लेने आए नेताओं ने किसानों के दोनों बिलों को संसद में समर्थन देने का आश्वासन दिया था, लेकिन उसके बाद हुए लोकसभा सत्र में किसी ने भी संसद में किसानों के इन दोनों बिलों के मुद्दों को नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ ही कांग्रेस या फिर अन्य पार्टियां किसानों से डर गई है, यही कारण है कि किसानों की प्रमुख मांगों जैसे कि पूर्ण कर्ज माफी या फिर न्यूनतम समर्थन मूल्य को लागत का डेढ़ गुना करने के वादे को अपने घोषणापत्र में भी शामिल नहीं किया है।
चुनाव के समय किसानों को सभी पार्टियां बनाती हैं मोहरा
वीएम सिंह ने कहा कि सभी पार्टियां केवल चुनाव के समय किसानों को मोहरा बनाती है, लेकिन चुनाव के समय किसानों के लिए की गई घोषणाओं पर अमल कोई नहीं करता। समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार की कैबिनेट ने ही उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के बकाया का ब्याज भुगतान माफ करने का प्रस्ताव पारित किया था। यही नहीं वर्ष 2009 में वरुण गांधी पर दर्ज सभी मुकदमों को तत्कालीन सपा की अखिलेश सरकार के समय ही समाप्त किया गया था , जिसमें राज्य के अधिकारियों ने अपने ब्यान बदल दिए थे। उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी फसलें समर्थन मूल्य से नीचे दाम पर बेचनी पड़ती हैं। किसानों को आलू और प्याज सड़क पर फैंकने पड़ते है। राहुल गांधी राफेल की बात तो करते हैं, लेकिन किसानों को अपनी फसलों का उचित मूल्य कैसे मिले, इसकी किसी भी पार्टी या नेता को फिक्र नहीं है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा और सपा में है सबसे बड़ा गठबंधन
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश में मिलावटी गठबंधन की बात तो करते हैं, लेकिन पीलीभीत में तो सबसे बड़ा गठबंधन भाजपा और सपा में ही है। यही कारण है कि भाजपा से वरुण गांधी को टिकट मिलनें के चंद सेंकड बाद ही सपा से हेमराज का टिकट फाइनल हो गया। अगर भाजपा से वरुण गांधी को टिकट नहीं मिलता, तो वरुण गांधी को सपा का टिकट मिलना तय था। उन्होंने कहा कि किसानों की नाराजगी के कारण ही अखिलेश सरकार को पिछले विधानसभाव चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था।