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अगर अखिलेश से सुलह नहीं हुई तो कल नए मोर्चे का ऐलान कर सकते हैं मुलायम

उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए सोमवार यानी 25 सितंबर का दिन अहम हो सकता है। इसी दिन समाजवादी पार्टी के...
अगर अखिलेश से सुलह नहीं हुई तो कल नए मोर्चे का ऐलान कर सकते हैं मुलायम

उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए सोमवार यानी 25 सितंबर का दिन अहम हो सकता है। इसी दिन समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव लखनऊ के राम मनोहर लोहिया ट्रस्ट में प्रेस कांफ्रेंस करने जा रहे हैं। माना जा रहा है कि मुलायम सिंह यादव इस दिन नए मोर्चे को लेकर बड़ा ऐलान कर सकते हैं।

एनडीटीवी के मुताबिक, आज रात तक अगर अखिलेश यादव से कोई समझौता नहीं होता है तो 25 सितंबर को नई पार्टी की घोषणा हो सकती है। मुलायम की नई पार्टी का नाम 'अखिल भारतीय समाजवादी पार्टी' हो सकता है। यादव खानदान की पारिवारिक लड़ाई लंबे समय से चली आ रही है। दो गुट बने हुए हैं। इसमें मुलायम और उनके छोटे भाई शिवपाल एक तरफ और अखिलेश और मुलायम के चचेरे भाई रामगोपाल यादव दूसरी तरफ माने जाते हैं। शनिवार को हुई समाजवादी पार्टी के राज्य सम्मलेन में मुलायम नहीं पहुंचे थे।

जानकारी के मुताबिक, इस प्रेस कांफ्रेंस में शिवपाल सिंह यादव भी उनके साथ मौजूद रहेंगे। यही नहीं मुलायम सिंह यादव की पुरानी पार्टी लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह को भी प्रेस कांफ्रेंस में बुलाए जाने की खबर है। चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के मुताबिक, लोकदल एक पंजीकृत और गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल है। इसकी स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह ने वर्ष 1980 में की थी और मुलायम उसके संस्थापक सदस्य थे।

मुलायम के बयानों पर गौर करें तो परिवार और पार्टी में दरार के पीछे वह राम गोपाल यादव को ही दोषी मानते हैं। यही कारण है कि पिछले दिनों लोहिया ट्रस्ट की बैठक में अध्यक्ष के तौर पर मुलायम सिंह यादव ने राम गोपाल यादव को बाहर का रास्ता दिखा दिया।

उधर समाजवादी पार्टी पर अखिलेश यादव और राम गोपाल यादव पूरी तरह से काबिज हो चुके हैं। मुलायम पार्टी के संरक्षक जरूर हैं, लेकिन वह किसी भी कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेते। वहीं शिवपाल की हैसियत भी पार्टी में सिर्फ विधायक की ही रह गई है।

प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त जब सपा की लड़ाई चरम पर थी और मुलायम ने खुद को पार्टी के मामलों से लगभग अलग कर लिया था। उस वक्त भी उनके अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही थीं। उस समय भी लोकदल अध्यक्ष सुनील सिंह ने उनसे अपनी पार्टी के निशान पर चुनाव लड़ने की पेशकश की थी।

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