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अमेरिकन दुष्टता या नासमझी

‘महान’ अमेरिकी प्रशासन सात वर्षों में भारत के ही नहीं अंतरराष्ट्रीय पहचान बना चुके सुपर स्टार शाहरुख खान के नाम और चेहरे का ठीक से रिकार्ड नहीं रख पाया। अमेरिका के लास एंजलिस हवाई अड‍्डे पर आज शाहरुख खान को फिर से ‘प्रतिबंधित यात्री’ के नाम पर रोककर बिठा दिया गया।
अमेरिकन दुष्टता या नासमझी

अमेरिका महाशक्ति की तरह दुनिया को ज्ञान बांटता है। आतंकवाद के खिलाफ मिसाइलें चलाकर अंतरराष्ट्रीय साझेदारी चाहता है। काले धन और तस्करी रोकने के लिए अत्याधुनिक टेक्नालॉजी के उपयोग का दावा करता है। इन सबसे बढ़कर मानव अधिकारों की रक्षा के नाम पर लोकतांत्रिक देशों को भी निर्देश शैली में सलाह देता है। पिछले ही दिनों भारत की कुछ हिंसक घटनाओं पर अमेरिकन प्रशासन ने चिंता के साथ सलाह दे दी। इस सबके बावजूद ‘महान’ अमेरिकी प्रशासन सात वर्षों में भारत के ही नहीं अंतरराष्ट्रीय पहचान बना चुके सुपर स्टार शाहरुख खान के नाम और चेहरे का ठीक से रिकार्ड नहीं रख पाया। अमेरिका के लास एंजलिस हवाई अड‍्डे पर आज शाहरुख खान को फिर से ‘प्रतिबंधित यात्री’ के नाम पर रोककर बिठा दिया गया। अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने शाहरुख खान नाम वाले 80 हजार लोगों की एक सूची बनाई हुई है, जिन्हें अमेरिका के किसी हवाई अड‍्डे पर आने-जाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। समान नाम वाले लोग विभिन्न देशों में हो सकते हैं। लेकिन समान नाम वाले लोग अपराधी तो नहीं हो सकते। विशेष रूप से 2009 में शाहरुख खान को न्यूयॉर्क हवाई अड्डे पर घंटों तक रोककर पूछताछ एवं शीर्ष भारतीय-अमेरिकी अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद छोड़ा गया था। जब उस समय उनके नाम-फोटो-पृष्ठभूमि के साथ रिकॉर्ड ठीक कर दिया गया था, तब इस बार उनके अमेरिका पहुंचने पर दुष्टतापूर्ण व्यवहार क्यों किया गया? पहली बार भी अमेरिकी प्रशासन ने खेद व्यक्त कर दिया था। लेकिन 2012 में शाहरुख को न्यूयॉर्क हवाई अड्डे पर ‘संदिग्‍ध’ एवं प्रतिबंधित श्रेणी के विदेशी यात्री कहकर रोक दिया गया। उस समय वह येल विश्वविद्यालय के सम्मानित अतिथि वक्ता के रूप में आमंत्रित किए गए थे। दुबारा वरिष्ठ अधिकारियों के हस्तक्षेप एवं पूछताछ के बाद उन्हें प्रवेश की अनुमति मिली। ऐसा भी नहीं कि अमेरिका में शाहरुख की फिल्में नहीं चलतीं और न ही उनका कभी कोई आपराधिक रिकॉर्ड रहा। अब तीसरी बार परेशान किए जाने के बाद नई दिल्ली स्थित अमेरिकी राजदूत और वाशिंगटन के कोई अधिकारी खेद व्यक्त कर रहे हैं। लेकिन नामसमझी या दुष्टता को देखते हुए इस औपचारिकता को क्या पर्याप्त माना जा सकता है? अमेरिका ही नहीं दुनिया के किसी भी लोकतांत्रिक देश को अकारण किसी भी सभ्य नागरिक को, पर्याप्त वैधानिक दस्तावेज होने पर नाम, धर्म, जाति, लिंग, क्षेत्र और देश के नाम पर अपमानित नहीं करना चाहिए। बहरहाल भारत सरकार को भविष्य में शाहरुख खान या डॉ. कलाम जैसे नामी व्यक्तियों के साथ दुर्व्यवहार रोके जाने का मुद्दा जोरदार ढंग से अमेरिकी सरकार के सामने रखना चाहिए।

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