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रंगीले ‘राजा’ की देश छोड़कर भागने की क्या है कहानी

देश के सत्रह बैकों का 7 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज चुकाए बिना यूनाइटेड ब्रेवरिज ग्रुप के चेयरमैन विजय माल्या देश छोडक़र ब्रिटेन चले गए हैं। मामले का खुलासा तब हुआ जब सुप्रीम कोर्ट में सरकारी बैंकों के कंसोर्शियम की अर्जी पर सुनवाई हो रही थी। उसी दौरान सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल ने बताया कि माल्या दो मार्च को ही भारत छोड़ चुके हैं जबकि बैंकों की ओर से यह अर्जी दी गई थी कि माल्य का पासपोर्ट जब्त किया जाए और देश छोडऩे की इजाजत न मिले। इस बात को लेकर कोर्ट ने बैंकों से कहा कि वो माल्या को नोटिस भेज सकते हैं और उनके भारत आने के लिए कह सकते हैं। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 30 मार्च को निर्धारित की है। इसके अलावा माल्या के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉड्रिंग की जांच भी शुरू कर दी है।
रंगीले ‘राजा’ की देश छोड़कर भागने की क्या है कहानी

गौरतलब है कि सत्रह बैंकों का लोन चुका नहीं पाने के कारण माल्या पर केस दर्ज करने के लिए बैंकों की ओर से अर्जी लगाई गई थी। सरकारी बैंकों की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने इस केस में तुरंत सुनवाई करने की गुजारिश की। जिसे न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति यूयू ललित की बेंच ने मान लिया था। लेकिन इस बात की की आशंका भी जताई थी कि माल्या देश छोडक़र जा सकते हैं। माल्या ने भी कुछ दिन पहले एक बयान जारी करके कहा था कि सरकारी बैंकों के देश में 11 लाख करोड़ रुपये का बकाया है लेकिन उन्हें जानबूझकर डिफाल्टर बना दिया गया है। माल्या ने कुछ दिन पहले ही ब्रिटेन में बसने की इच्छा भी जताई थी। हाल ही माल्या के जन्मदिन की पार्टी में शामिल होने वाले एक नजदीकी ने आउटलुक को बताया कि माल्या देश छोडऩा नहीं चाहते थे लेकिन जिस तरीके से उन्हें डिफाल्टर पेश किया गया उससे वे बहुत आहत थे। शायद इसलिए भी माल्या देश छोडऩा चाहते हों।

गौरतलब है कि सरकारी बैंकों में सर्वाधिक कर्ज स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का है जिससे माल्या ने 1600 करोड़ रुपये का कर्ज लिया हुआ है। किंगफिशर एयरलाइंस के नाम पर लिए गए इस कर्ज का न तो माल्या ने ब्याज चुकाया और न ही कोई धनराशि लौटाई। इस बीच कंपनी मामलों के मंत्रालय में दर्ज शिकायत के बाद सीरियस फ्राड इन्वेस्टिगेशन कार्यालय ने जांच शुरू कर दिया कि बैंकों से लिया गए कर्ज का इस्तेमाल कहीं और तो नहीं किया जा रहा है। इस कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक माल्या के कार्यालय से इन पैसों का कोई हिसाब नहीं मिल पाया। इतना ही नहीं अन्य बैंकों से लिए गए कर्ज के बारे में भी कोई खास जानकारी नहीं मिल पाई है। सूत्रों के मुताबिक जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है। क्योंकि माल्या के स्वामित्व वाली कई कंपनियों के रिकार्ड को भी खंगाला जा रहा है साथ ही बैंकों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। क्योंकि किंगफिशर को ब्लैकलिस्ट किए जाने के बाद भी कई बैंकों ने कर्ज दिया था। प्रवर्तन निदेशालय ने किंगफिशर के सीएफओ ए. रघुनाथन और आईडीबीआई बैंक के कई अधिकारियों को भी आरोपी बनाया है। मामले की जांच सीबीआई भी कर रही है।

सीबीआई के एक अधिकारी के मुताबिक माल्या जानबूझकर बैंकों का कर्ज नहीं चुकाना चाहते। इसमें बैंकों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। सीबीआई के अधिकारी के मुताबिक अगर कोई कंपनी पहले से ही डिफाल्टर होने की स्थिति में दिख रही थी तो बैंकों ने कर्ज क्यों दिया। अभी तक स्टेट बैंक के अलावा दो अन्य बैंकों ने ही माल्या को डिफाल्टर घोषित किया गया है। कुछ बैंकों को इस बात की उक्वमीद है कि उनका पैसा वापस मिल जाएगा। जानकारी के मुताबिक यूनाइटेड ब्रेवरिज की 33 प्रतिशत संपत्तियों की कीमत 7 हजार करोड़ रुपये है। लेकिन इनमें आधे से ज्यादा संपत्तियां स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पास गिरवी हैं। इसी तरह से मैंगलोर केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स के एक तिहाई शेयर्स गिरवी हैं। जबकि रियल एस्टेट के क्षेत्र में समूह ने जो निवेश किया है उसका सारा किराया भी गिरवी में जाता है।
28 साल की उम्र में पिता की मृत्यु के बाद माल्या यूनाइटेड ब्रेवरिज ग्रुप के चेयरमैन बने थे।

रसूखदार शौक रखने वाले माल्या उस समय चर्चा में जाए जब किंगफिशर एयरलाइंस की शुरूआत की और देश में हवाई यात्रा करने वालों को नई तरह की सौगात दी। नए साल पर जारी होने वाले कैंलेंडर पर विशेष तरह की फोटोग्राफी से लेकर तमाम नेताओं के घर महंगे गिक्रट भिजवाने का शौक रखने वाले माल्या राज्यसभा सांसद भी रहे। किंगफिशर एयरलाइंस की बढ़ती लोकिप्रयता के बाद माल्या ने कई शराब कंपनियों को भी खरीदा। इसके बाद फार्मूला रेसिंग टीम स्पाइकर के अलावा इंडियन प्रीमियर लीग की टीम रॉयल चैलेजर्स बेंगलुरु में निवेश किया । बेंगलुरु में यूनाइटेड ब्रेवरिज नाम से सिटी भी बनाया। साल 2012 में माल्या के बुरे दिनों की शुरूआत हुई जब किंगफिशर एयरलाइंस के कर्मचारियों ने वेतन न मिलने के कारण हड़ताल करना शुरू किया। आयकर विभाग की टीम ने एयरलाइंस के एकाउंट को सील कर दिया और बाद में एयरलाइंस का लाइसेंस ही रद्द कर दिया गया। ब्रिटिश कंपनी डियागो ने माल्या की कंपनी के ज्यादातर शेयर खरीद लिया और बाद में कंपनी के चेयरमैन पद से हटने के लिए दबाव बनाना शुरू किया। जिसे माल्या ने मना कर दिया। बाद में डियागो से समझौते के बाद माल्या को 515 करोड़ रुपये मिले थे। जिसके बारे में कहा जाता है माल्या ने इस पैसे का निवेश विदेश में कर दिया।
अब बैंकों के सामने बड़ी समस्या यह है कि अगर माल्या स्वदेश नहीं लौटे तो बकाया वसूल पाना मुश्किल है। क्योंकि माल्या की कंपनी के ज्यादातर कागजात स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अधीन हैं। ऐसे में अन्य बैंकों के लिए कर्ज वसूलना मुश्किल भरा हो सकता है। माल्या कहां हैं इस बात की जानकारी किसी को नहीं है। माल्या के प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर कहा है कि माल्या से उनकी बातचीत केवल ईमेल के जरिए होती हैं वह कहां हैं इस बात की जानकारी नहीं है।

बैंकों का माल्या पर कितना बकाया?
(पैसा करोड़ रुपए में)
- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया - 1600
- पंजाब नेशनल बैंक- 800
- आईडीबीआई- 800
- बैंक ऑफ इंडिया- 650
- बैंक ऑफ बड़ौदा- 550
- यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया- 430
- सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया- 410
- यूको बैंक-320
- कॉर्पोरेशन बैंक- 310
- स्टेट बैंक ऑफ मैसूर- 150
- इंडियन ओवरसीज बैंक- 140
- फेडरल बैंक- 90
- पंजाब एंड सिंध बैंक- 60
- एक्सिस बैंक- 50

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