आज पूरे देश में भाई बहन के प्रेम के प्रतीक का पर्व रक्षाबंधन मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में रक्षाबंधन के त्योहार का विशेष महत्व होता है। वैदिक पंचांग के अनुसार हर वर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। इस साल रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा। ऐसा कहा जाता है कि जब भी भद्रा होती है तो इस दौरान राखी बांधना शुभ नहीं होता है। राखी हमेशा भद्राकाल के बीत जाने के बाद ही बांधी जाती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भद्राकाल को एक विशेष समय बताया गया है। इस दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है। भद्रा का समय विष्टीकरण कहलाता है। माना जाता है कि भद्राकाल के दौरान किए गए कार्य अशुभ होते हैं।
ज्योतिषाचार्यो के अनुसार, भाइयों को राखी बांधने के लिए बहनों को आज लंबा इंतजार करना होगा। इस बार रक्षाबंधन पर कई घंटों तक भद्रा का साया रहेगा। भद्रा का यह साया सुबह 6:05 बजे से लेकर दोपहर 1:32 तक रहेगा। शास्त्रों के अनुसार भद्रा काल राखी नहीं बांधी जा सकती। बहनें दोपहर 1.32 बजे के बाद अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकेगी। इस साल रक्षाबंधन पर सर्वार्थ सिद्धि योग, शोभन योग और रवि योग का भी शुभ संयोग बन रहा है।
भद्राकाल
भद्राकाल- पूर्णिमा तिथि के प्रारंभ के साथ भद्रा की शुरुआत
भद्राकाल की समाप्ति- 19 अगस्त 2024 को दोपहर 1:30 पर
भद्रा मुख- 19 अगस्त को प्रातः 10:53 से दोपहर 12:37 तक
भद्रा पूंछ- 19 अगस्त को प्रातः 09:51 से प्रातः 10:53 तक
भद्रा के कारण राखी बांधने का मुहूर्त दोपहर में नहीं है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01:30 से रात्रि 09:07 तक रहेगा। कुल मिलाकर शुभ मुहूर्त 07 घंटे 37 मिनट का रहेगा।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त आरंभ - दोपहर 01:30 के बाद
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त समापन- रात्रि 09:07 तक
भाई बहन के प्यार के सबसे बड़े त्योहार रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं। तिलक लगाती हैं और उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहन को आजीवन रक्षा का वचन देता है। भाई को राखी बांधने की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, भाई को राखी बांधने से पहले उनकी आरती उतारें और फिर माथे पर तिलक लगाएं। भाई के दाहिने हाथ में राखी बांधना शुभ होता है, क्योंकि दाहिने हाथ से किए गए कार्यों जैसे दान आदि को भगवान स्वीकार करते हैं। इसके बाद भाइयों को अपनी बहनों के पैर छूने चाहिए। इसके साथ ही इस दिन भाइयों की ओर से बहनों को कुछ उपहार देने की भी परंपरा है।