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अवमानना मामले में अरुंधती को नहीं मिली राहत

सुप्रीम कोर्ट ने प्रख्यात लेखिका अरुंधती राय के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय के आपराधिक अवमानना नोटिस पर रोक लगाने से आज इंकार कर दिया। अरुंधती राय ने एक साप्ताहिक पत्रिका में लिखे लेख में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जी.एन. साइबाबा को लगातार जेल में रखने पर सवाल उठाया था।
अवमानना मामले में अरुंधती को नहीं मिली राहत

शीर्ष अदालत ने अरुंधती राय को उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के एकल न्यायाधीश के समक्ष 25 जनवरी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने से छूट देने से भी इंकार कर दिया। न्यायमूर्ति जे.एस. खेहड़ और न्यायमूर्ति सी नागप्पन की पीठ ने अरुंधती राय को सोमवार को न्यायालय में पेश होने का निर्देश देते हुए उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए।

इस लेखिका की ओर से जब वरिष्ठ अधिवक्ता चंदर उदय सिंह ने उनके व्यक्तिगत रूप से पेश होने पर रोक लगाने का अनुरोध किया और कहा कि उनके पुतले जलाए जा रहे हैं तो न्यायालय ने कहा कि सारे मामले पर विचार के बाद ही आदेश दिया जा रहा है। पीठ ने कहा, आपको न्यायालय में पेश होने में किसी प्रकार का भय नहीं होना चाहिए। आप जाइए और पेश होईए। हम यहां हैं। हमने नोटिस जारी किया है और हम इस पर गौर कर रहे हैं। हमने सावधानी पूर्वक इस पर विचार किया है। इसके बाद एक बार फिर वकील ने राय को व्यक्तिगत रूप से पेशी से छूट देने का अनुरोध किया। इस पर पीठ ने कहा, हम न तो आपको इसकी अनुमति दे रहे हैं और न ही इससे इकार कर रहे हैं।

बंबई उच्च न्यायालय ने साइबाबा की गिरफ्तारी और पिछले साल उनकी जमानत याचिका रद्द होने के संदर्भ में व्यक्त किए गए विचारों को लेकर पिछले साल 23 दिसंबर को राय को अवमानना नोटिस जारी किया था। गढ़चिरौली पुलिस ने सितंबर, 2014 में साइबाबा को माओवादियों से कथित संबंधों के आरोप में गिरफ्तार किया था। वह पिछले साल जून से जमानत पर हैं।

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