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दलित चेहरों को जगह देकर मोदी ने चलाया जाति कार्ड

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रिमंडल में 19 नए चेहरे शामिल करने के दौरान जातिस संबंध और चुनावी बिसात का रखा ध्यान
दलित चेहरों को जगह देकर मोदी ने चलाया जाति कार्ड

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में जो फेरबदल किया है, उसमें जातिगत समीकरणों का खास ख्याल रखा है। कुल 19 नए चेहरों में पांच दलित हैं, दो आदिवासी, बाकी ब्राहमण, पटेल, मराठा, बनिया आदि जाति समुदाय से हैं। उत्तर प्रदेश से तीन सांसदों को जगह मिली है और तीनों जिन जाति समूहों से जुड़े हुए हैं, उन पर भाजपा को बहुत उम्मीद है। एक ब्राहमण (महेंद्र नाथ मिश्रा), एक दलित (कृष्णा राज) और एक ओबीसी-कुर्मी (अनुप्रिया पटेल) को जगह दे कर भाजपा ने अपने वोट बैंक के फोकस को स्पष्ट कर दिया है। महेंद्र नाथ मिश्रा को जगह मिलना इसलिए भी खास है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में हो रहे विकास कामों की निगरानी करते हैं और तमाम विकास परियोजनाओं की निगरानी के लिए बनी कमेटी के चेयरमैन भी है। नए चेहरों में ऐसे तमाम लोग हैं जिनका मोदी के साथ व्यक्तिगत राफ्ता बहुत अच्छा रहा है, या संबंध बहुत पुराने रहे हैं।

दलित नेताओं में जिस बड़े और राष्ट्रीय छवि वाले को जगह मिली है, वह है रामदास अठावले। महाराष्ट्र में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के नेता रामदास अठावले ने जिस तरह से शपथ के बाद अंबेडकर के मिशन को आगे बढ़ाने की बात कही, उससे साफ है कि भाजपा उन्हें एक दलित कार्ड के रूप से इस्तेमाल करने के लिए गंभीर है। महाराष्ट्र के बाहर वह पंजाब और उत्तर प्रदेश में कई कार्यक्रमों में जाते रहे हैं। अर्जुन राम मेघवाल भी राजस्थान के भाजपा सांसद है और दलित समुदाय से हैं। संसद और बाहर वह दलित मुद्दों पर लगातार बहुत सक्रिय बने रहते हैं। कर्नाटक के प्रमुख दलित नेता रमेश सी. झिगाझिनागी को मंत्रिमंडल में जगह देकर कर्नाटक में चुनावी समय में दलित वोटों को लिंगायत वोटों के साथ खींचने की कोशिश भाजपा ने की है। उत्तराखंड से तमाम बड़े दावेदारों को किनारे करके दलित तेज-तर्रार नेता अजय टमटा को जगह देकर उत्तराखंड मे रणनीति में बदलाव के संकेत दिए हैं। यहां से तीन पूर्व मुख्यमंत्री भी अपनी दावेदारी जता रहे थे, लेकिन उन्हें राज्य में हरीश सरकार गिराकर भाजपा की सरकार बनवाने में वे सफल नहीं हो पाए, लिहाजा उन्हें इंट्री नहीं मिली।

अपने गृह राज्य गुजरात का खास ख्याल रखने के साथ-साथ वहां मची अशांति को नियंत्रित करने का कोशिस दिखाई देती है। पटेल समाज में बढ़ती नाराजगी को कम करने के लिए मनसुख एल. मानडया को जगह मिली। साथ ही गुजरात के आदिवासी और मोदी के बहुत पुराने साथी जसवंत सिंह सुमनभाई भाभोर को भी शामिल किया गया। संघ के विश्वासपात्र और मोदी के पुराने साथी परषोत्तम रुपाला का शामिल होना तो लगभग तय ही था। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की पंसद के नेताओं की जगह अमित शाह द्वारा चुने गए, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुराने विश्वसनीय नेताओं सीआर. चौधरी और पीपी. चौधरी को जगह मिली। पीपी चौधरी संघ के पुराने नेता हैं और सेरवी महेशा संस्था से जुड़े हुए हैं।  

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