Advertisement

जजों की नियुक्त करें ताकि गरीबों को न्याय मिले

कैम्पेन फॉर ज्यूडिशियल एकाउंटबिल्टी एंड रिफॉर्म्स ने लॉ कमीशन की सिफारिशों को तुरंत लागू करने की मांग की
जजों की नियुक्त करें ताकि गरीबों को न्याय मिले

जजों की कमी को लेकर देश के प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने भावुक अपील की। इस अपील का कितना असर होगा और कब तक होगा, इसके बारे में अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता है लेकिन इससे सरकार में जजों की इतने बड़े पैमाने पर कमी को लेकर जो असंवेदनशीलता है, वह जरूर उजागर हुई। कैम्पेन फॉर ज्यूडिशियल एकाउंटबिल्टी एंड रिफॉर्म्स ने केंद्र सरकार से मांग है कि कोलिजियम द्वारा भेजी गई 170 सिफारिशों को तुरंत लागू किया जाए। खास तौर से तुरंत जजों की नियुक्ति की जाए ताकि न्यायपालिका का जो काम बाधित हो रहा है, वह न हो।

इस कैंपेन के संयोजक प्रशांत भूषण का कहना है कि देश का प्रधान न्यायधीश अगर इस कदर परेशान है तो इससे यह समझना चाहिए कि हालात कितने बुरे हैं। न्यायिक सुधारों की मांग बहुत समय से लंबित पड़ी हुई है, जिसे तुरंत लागू किया जाना चाहिए। साथ ही ग्राम न्यायालय बिल का जो मूल स्वरूप था, उसे वैसे ही आगे बढ़ाना चाहिए, ताकि करोड़ों की संख्या में न्याय की आस में भटक रहे ग्रामीणों को थोड़ी राहत मिले। लॉ कमीशन ने वर्ष 1987 में यह सिफारिश की थी कि जजों की सख्या में पांच गुना वृद्धि होनी चाहिए, दस लाख की आबादी पर 50 जज होने चाहिए। जजों की कमी से युद्ध स्तर पर निपटने की बात कहते है सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस वी.एन. खरे। जस्टिस खरे का कहना है कि सालों से जजों की नियुक्ति को लेकर हर कोने से मांग उठती रही है लेकिन सरकारें इसकी अनदेखी करती रही है। दरअसल, न्याय देना हमारी राजनीतिक प्राथमिकता नहीं है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad