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जम्मू-कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ कार्रवाई, नेताओं के दफ्तर, घर और संपत्ति सील

देश में लगातार बढ़ रही आतंकी गतिविधियों को देखते हुए , जम्मू-कश्मीर में कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी...
जम्मू-कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ कार्रवाई, नेताओं के दफ्तर, घर और संपत्ति सील

देश में लगातार बढ़ रही आतंकी गतिविधियों को देखते हुए , जम्मू-कश्मीर में कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। गुरुवार को केंद्र सरकार ने कश्मीर घाटी के जमात-ए-इस्लामी संगठन पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही शुक्रवार के बाद शनिवार को भी इस संगठन के खिलाफ जबरदस्त कार्रवाई की। आज भी ये कार्रवाई जारी है, जिसके तहत संगठन के कई नेताओं को हिरासत में ले लिया गया है।

जमात-ए-इस्लामी संगठन के नेताओं के खिलाफ UAPA (अनलॉफुल ऐक्टिविटी प्रिवेन्शन ऐक्ट) के तहत कार्रवाई की जा रही है। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इस मामले की जानकारी देते हुए पुलिस अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार रात घाटी के शहर और अन्य जगहों पर आवासीय संपत्तियों सहित कई संपत्तियां सील कर दी गई हैं। उन्होंने बताया कि सील की गईं संपत्तियां जमात ए इस्लामी संगठन के नेताओं और कार्यकर्ताओं से संबंधित हैं।

अधिकारी ने बताया कि श्रीनगर में संगठन के कई बैंक अकाउंट्स को भी सील कर दिया गया है। वहीं, जम्‍मू एवं कश्‍मीर के किश्तवाड़ में भी जमात के खिलाफ छापेमारी हुई है। 

कार्रवाई के दौरान कई बड़े नेता हिरासत में

जमात के खिलाफ कार्रवाई के दौरान इसके कई बड़े नेताओं को हिरासत में लिया गया है। बताया जाता है कि इसके 200 से ज्‍यादा सदस्‍यों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है। जमात के खिलाफ कार्रवाई में जुटे अधिकारियों का कहना है कि इसके पास 4,500 करोड़ रुपये की संपत्ति होने का अनुमान है। हालांकि यह वैध है या अवैध, इस बारे में जांच के बाद ही पता चल पाएगा।

चार दिन में 200 से अधिक गिरफ्तार

माना जा रहा है कि बीते चार दिनों में करीब 200 से अधिक जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर के नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। वहीं, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने जम्मू कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी पर पाबंदी लगाने के केंद्र के फैसले की शुक्रवार को निंदा की और कहा कि यह राज्य के राजनीतिक मुद्दे से बाहुबल से निपटने की केंद्र सरकार की पहल का एक अन्य उदाहरण है।

4,500 करोड़ की संपत्ति

सरकार ने शुक्रवार को इंस्पेक्टर जनरल और जिला मैजिस्ट्रेटों को जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने की इजाजत दे दी थी। 350 से ज्यादा सदस्यों को शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया था। बता दें कि संगठन घाटी में 400 स्कूल, 350 मस्जिदें और 1000 सेमिनरी चलाता है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि संगठन के पास ₹4,500 करोड़ की संपत्ति होने की संभावना है जिसकी जांच के बाद यह पता चलेगा कि यह वैध है या अवैध।

जमात-ए-इस्लामी पर सरकार ने लगाया प्रतिबंध

इससे पहले जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद पर एक बड़ी कार्रवाई करते हुए केंद्र सरकार ने अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के संगठन जमात-ए-इस्लामी पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया है कि इस संगठन का संबंध आतंकी संगठनों के साथ रहा है।

गृह मंत्रालय ने जारी की थी अधिसूचना

इस संबंध में गुरुवार शाम गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी करते हुए जमात-ए-इस्लामी पर पांच साल का प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया था। मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना में यह कहा कि जमात-ए-इस्लामी ऐसी गतिविधियों में शामिल रहा है जो कि आंतरिक सुरक्षा और लोक व्यवस्था के लिए खतरा हैं। ऐसे में केंद्र सरकार इसे एक विधि विरूद्ध संगठन घोषित करती है।

चरमपंथियों और आतंकियों की मदद करता रहा है यह संगठन

मंत्रालय द्वारा जारी किए गए अधिसूचना में कहा गया है कि जमात-ए-इस्लामी, जम्मू कश्मीर के आतंकी संगठनों के साथ नजदीकी संबंध रहे हैं। इतना ही नहीं यह संगठन जम्मू-कश्मीर के अतिरिक्त दूसरी जगहों पर भी चरमपंथियों और आतंकियों की मदद करता रहा है।

नफरत फैलाने के इरादे से काम करने वाला एक संगठन’

इसके अलावा इसको नफरत फैलाने के इरादे से काम करने वाला एक संगठन भी बताया गया है, जिसके बाद मंत्रालय ने सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के लिहाज से संगठन को प्रतिबंधित करने के आदेश दिए हैं। बता दें कि हाल ही में एजेंसियों ने कश्मीर घाटी से जमात-ए-इस्लामी के तमाम सदस्यों को गिरफ्तार किया था।

 

22 फरवरी को गिरफ्तार हुए थे अलगाववादी नेता

 

घाटी में 22 फरवरी को हुई एक बड़ी कार्रवाई के दौरान पुलिस ने जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट और जमात-ए-इस्लामी के 130 से अधिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया था। 22 फरवरी की रात दक्षिण, मध्य और उत्तरी कश्मीर के इलाकों में यह छापेमारी की गई थी, जिसमें जमात संगठन के प्रमुख अब्दुल हामिद फयाज सहित दर्जनों नेताओं को हिरासत में लिया गया।

 

इस कार्रवाई के बाद महबूबा मुफ्ती ने जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की निंदा की थी। इसके अलावा पूर्व राज्यमंत्री सज्जाद लोन ने इस कार्रवाई पर सवालिया निशान लगाए थे।

 

क्या है जमात-ए-इस्लामी

 

जमात-ए-इस्लामी कश्मीर घाटी में अलगावादियों और कट्टरपंथियों का प्रचार-प्रसार करता है। वह सैयद सलाहुद्दीन के आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के लिए आतंकियों की भर्ती, धन और साजो-सामान में मदद करता है। अधिकारियों के मुताबिक,  दक्षिण कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी के बड़ी संख्या में कार्यकर्ता हैं। हिजबुल मुजाहिदीन पाकिस्तान के सहयोग से प्रशिक्षण देने के साथ ही हथियारों की आपूर्ति कर रहा है। जमात-ए-इस्लामी पर कश्मीर घाटी में आतंकवादी गतिविधियों की सक्रिय अगुआई करने का आरोप है। पाकिस्तान में छिपा सैयद सलाहुद्दीन पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों के संगठन यूनाइटेड जेहाद काउंसिल का सरगना है।

पहले भी इस संगठन को प्रतिबंधित किया जा चुका है

इससे पहले भी दो बार जमात-ए-इस्लामी संगठन की गतिविधियों के कारण इसे प्रतिबंधित किया जा चुका है। पहली बार जम्मू कश्मीर सरकार ने इस संगठन को 1975 में दो साल के लिए प्रतिबंधित किया था जबकि दूसरी बार केंद्र सरकार ने 1990 में इसे प्रतिबंधित किया था जो दिसंबर 1993 तक जारी रहा था।

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