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किसी भी सभ्य समाज की पहली जरूरत है कानून, इसका लाभ हर व्यक्ति को मिलेः जस्टिस दीपक मिश्रा

नई दिल्ली, क़ानून का लाभ समाज के हर वर्ग और हर व्यक्ति को मिलना चाहिए। क़ानून का अंतिम मक़सद ही यही...
किसी भी सभ्य समाज की पहली जरूरत है कानून, इसका लाभ हर व्यक्ति को मिलेः जस्टिस दीपक मिश्रा

नई दिल्ली, क़ानून का लाभ समाज के हर वर्ग और हर व्यक्ति को मिलना चाहिए। क़ानून का अंतिम मक़सद ही यही है।देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा ने ये बातें कहीं। वे आज गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ एंड लीगल स्टडीज (यूएसएलएलएस) द्वारा आयोजित "कानून की पवित्रता और इसमें अवसर" विषय पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि कानून किसी भी सभ्य समाज की पहली आवश्यकता है। समाज में कानून कई मौलिक कारणों से आवश्यक है, जैसे कि व्यवस्था बनाए रखना, अधिकारों की रक्षा करना और न्याय को बढ़ावा देना, इत्यादि। कानून का अध्ययन छात्रों को नैतिकता से अवगत कराता है और उन्हें सही और गलत के ज्ञान से लैस करता है। यह छात्रों के लिए एक पथ प्रदान करता है जिससे वे समाजिक मूल्यों को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने वाले कानूनों के विकास में योगदान कर सकते हैं और उभरते हुए मुद्दों का सामना कर सकते हैं।

इस अवसर पर पद्मश्री प्रोफेसर (डॉ) महेश वर्मा, कुलपति, आईपी यूनिवर्सिटी ने ऐसी अकादमिक व्याख्यानों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हम सभी अपने दैनिक जीवन में खुशी का पीछा कर रहे हैं। नए विचारों का अन्वेषण करने में आनंद लें। सीखने की पूरी यात्रा आनंदमय होनी चाहिए। पवित्रता के बिना कानून का अस्तित्व नहीं है। धर्मऔर धैर्य साथ-साथ चलते हैं। हमारी कानूनी प्रणाली में बहुत सारे परिवर्तन हो रहे हैं, और हमें सुधारों के साथ तालमेल बैठाने की आवश्यकता है।

प्रोफेसर डॉ जीएस बाजपेयी, कुलपति, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली ने इस अवसर पर कहा कि ख़ुशी और आनंद की निर्भरता आर्थिक संपन्नता पर नहीं है।विपरीत परिस्थितियों में भी हमें अपना संबल और विश्वास नहीं खोना चाहिए। यूएसएलएलएस की डीन प्रो. क्वीनी प्रधान ने इस अवसर पर स्वागत भाषण दिया और कुलसचिव डॉ. कमल पाठक ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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