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सुप्रीम कोर्ट से उद्धव ठाकरे गुट को झटका, चुनाव आयोग की कार्रवाई रोकने से किया इनकार

शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। पार्टी के चुनाव चिन्ह को लेकर चुनाव आयोग की...
सुप्रीम कोर्ट से उद्धव ठाकरे गुट को झटका,  चुनाव आयोग की कार्रवाई रोकने से किया इनकार

शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। पार्टी के चुनाव चिन्ह को लेकर चुनाव आयोग की कार्रवाई रोकने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर चुनाव आयोग की कार्रवाई पर रोक की मांग थी। इसमें कहा गया था कि विधायकों की अयोग्यता पर फैसले से पहले चुनाव आयोग पार्टी सिंबल पर सुनवाई न करे।

चुनाव आयोग को यह तय करना है कि असली शिवसेना कौन सी है। शिवसेना पार्टी पर दूसरा दावा सीएम एकनाथ शिंदे गुट ने किया है। शिवसेना बनाम शिवसेना मामले की जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाले पांच जजों की संविधान पीठ ने सुनवाई की। पिछली सुनवाई में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि सवाल यह है कि इस मामले में चुनाव आयोग का दायरा तय किया जाएगा लेकिन एक सवाल है कि क्या चुनाव आयोग को आगे बढ़ना चाहिए या नहीं, तो ऐसे में हम अर्जी पर विचार कर सकते है।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने सिब्बल से पूछा कि शिंदे ने चुनाव आयोग में कब अर्जी दी और किस हैसियत से दी। सदन के सदस्य होने के तौर पर या पार्टी के सदस्य के तौर पर? सिब्बल ने इसपर कहा कि चुने हुए सदस्य के तौर पर. पूरे विवाद की शुरुआत 20 जून से हुई जब शिवसेना का एक विधायक एक सीट हार गया, विधायक दल की बैठक बुलाई गई।  फिर उनमें से कुछ गुजरात और फिर गुवाहाटी चले गए। उन्हें उपस्थित होने के लिए बुलाया गया था और एक बार जब वे उपस्थित नहीं हुए तो उन्हें विधान सभा में पद से हटा दिया गया था।

शिंदे गुट के नीरज किशन कौल ने कहा कि चुनाव आयोग के सामने चुनाव चिन्ह की कार्रवाई का सुप्रीम कोर्ट में चल रही कार्रवाई से कोई लेना देना नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में स्पीकर की शक्ति पर सुनवाई है जो चुनाव आयोग के सामने कार्रवाई से पूरी अलग है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि केवल ये तथ्य कि संविधान पीठ को मामला भेजा गया है, संवैधानिक प्राधिकरण को कानून की शक्ति के तहत अपनी शक्तियों का सहारा लेने से नहीं रोकता है। कोर्ट के सामने एक मुद्दा किसी पार्टी में विभाजन पर निर्णय लेने के लिए चुनान आयोग की शक्ति है लेकिन यह अपने आप में प्राधिकरण को आगे बढ़ने से नहीं रोकता है, यदि उनके पास कानून के तहत अधिकार है।

बता दें कि जून में शिवसेना नेतृत्व के खिलाफ एकनाथ शिंदे और 39 अन्य विधायकों ने विद्रोह कर दिया, जिसके बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी सरकार गिर गई थी। शिंदे ने अपने समर्थक विधायकों के साथ बहुत दिन तक गुजरात और गुवाहाटी में समय गुजारा, फिर महाराष्ट्र लौटकर भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर नयी सरकार बनायी। जिसमें देवेंद्र फडणवीस ने 30 जून को उप मुख्यमंत्री और शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

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