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एसएयू सार्क देशों के सभी सदस्यों को सीमाओं के पार शिक्षा प्रदान करने में निभा सकता है अहम भूमिकाः प्रोफेसर जिया-उल-कय्यूम

नई दिल्ली, एसएयू के गवर्निंग बोर्ड के अध्यक्ष और पाकिस्तान के उच्च शिक्षा आयोग के कार्यकारी निदेशक...
एसएयू सार्क देशों के सभी सदस्यों को सीमाओं के पार शिक्षा प्रदान करने में निभा सकता है अहम भूमिकाः प्रोफेसर जिया-उल-कय्यूम

नई दिल्ली, एसएयू के गवर्निंग बोर्ड के अध्यक्ष और पाकिस्तान के उच्च शिक्षा आयोग के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर जिया-उल-कय्यूम ने दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय का दौरा किया। प्रोफेसर कय्यूम ने कहा कि एसएयू अपने अधिदेश और चरित्र को देखते हुए एक अद्वितीय संस्थान है, और यह सार्क देशों के सभी सदस्यों को सीमाओं के पार शिक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

कय्यूम की यात्रा को एसएयू में दक्षिण एशियाई अध्ययन संस्थान (आईएसएएस) में उनकी विशेष टिप्पणियों द्वारा चिह्नित किया गया था, जिसने शैक्षणिक उत्कृष्टता पर वार्षिक विशिष्ट व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया था। इस श्रृंखला का पहला व्याख्यान एसएयू के अध्यक्ष प्रोफेसर के के अग्रवाल ने दिया और प्रोफेसर जिया-उल-कय्यूम की अध्यक्षता में हुआ। उन्होंने एसएयू के उच्च अधिकारियों, डीन, अध्यक्ष, संकाय और छात्रों के साथ बातचीत की।

प्रोफेसर कय्यूम ने रेखांकित किया कि वे विश्वविद्यालय अत्याधुनिक परिसर से युक्त हैं। प्रोफ़ेसर कय्यूम ने सार्क देशों में अधिक अकादमिक सहयोग और साझेदारी को बढ़ावा देने और बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। अपने भाषण में उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि सार्क क्षेत्र के सभी देशों के सामने आज जो आम चुनौतियाँ हैं, उन्हें देखते हुए एसएयू इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि युवा लोग बदलाव के उत्प्रेरक हैं और शिक्षा इस क्षेत्र के लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकती है।

प्रोफेसर के के अग्रवाल जो इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के पहले संस्थापक कुलपति और राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष भी रहे है। उन्होने जोर देकर कहा कि एसएयू सार्क क्षेत्र पर केंद्रित एक अनूठी संस्था है। उन्होंने रेखांकित किया कि पारंपरिक अनुशासनात्मक कार्यक्रमों के अलावा, एसएयू जलवायु परिवर्तन, हरित संक्रमण और स्थिरता और दक्षिण एशियाई अध्ययन संस्थान पर अंतःविषय केंद्र जैसे उत्कृष्टता के केंद्र स्थापित करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। हाल ही में एसएयू में दक्षिण एशियाई अध्ययन संस्थान की शुरुआत की गई और इसके निदेशक प्रोफेसर संजय चतुर्वेदी ने भी इस बात को रेखांकित किया कि दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय के पीछे मूल तर्क है- दक्षिण एशियाईपन - एक ऐसा विचार जो सीमाओं के पार पुल बनाता है।

दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय (एसएयू) एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय है जिसकी स्थापना, वित्तपोषण और रखरखाव दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के आठ सदस्य देशों की सरकारों द्वारा किया जाता है। ये देश हैं- अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका। एसएयू ने शैक्षणिक वर्ष 2010 से अपना संचालन शुरू किया। इसकी डिग्रियों को सभी आठ सार्क देशों द्वारा मान्यता प्राप्त है।

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