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दशहरे के मौके पर अमृतसर के जोड़ा में बड़ा रेल हादसा, 70 से ज्यादा की मौत

पंजाब के अमृतसर में दशहरा देख रहे करीब 70 से अधिक लोगों की रेलगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई, जबकि 40 से...
दशहरे के मौके पर अमृतसर के जोड़ा में बड़ा रेल हादसा, 70 से ज्यादा की मौत

पंजाब के अमृतसर में दशहरा देख रहे करीब 70 से अधिक लोगों की रेलगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई, जबकि 40 से अधिक घायलों की स्थिति गंभीर है। अमृतसर में जोड़ा फाटक के पास  रेलवे ट्रैक के किनारे रावण दहन का कार्यक्रम चल रहा था।इस दौरान पठानकोट से अमृतसर आ रही एक ट्रेन की चपेट में आने से यह दिल दहला देने वाली दुर्घटना घटी।

वहीं इस हादसे में उस शख्स की भी ट्रेन से कटकर मौत हो गई, जो रामलीला में रावण का किरदार निभाता था। बताया जा रहा है कि जिस समय रावण का पुतला जल रहा था, ठीक उसी वक्त रावण बने दलबीर सिंह की ट्रेन से कटकर मौत हो गर्इ। इस घटना के बाद दलबीर के परिवार का रो-रोकर हाल-बेहाल है।  हादसे के लिए परिवार ने  स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है।

हादसे के मद्देनजर पंजाब में राजकीय शोक घोषित किया गया जिसके तहत सभी कार्यालय और शिक्षण संस्थान बंद रहेंगे। हादसे के बाद इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस और पंजाब पुलिस के जवान घटनास्थल पर पहुंच गए हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं।

हादसे के 16 घंटे बाद अमृतसर पहुंचे अमरिंदर सिंह

हादसे के 15 घंटे बाद एयरपोर्ट पर ही में सीएम ने अधिकारियों के साथ अहम बैठक की और राहत और बचाव कार्यों का जायजा लिया। बैठक में क्राइसिस मैनेजमेंट टीम के अधिकारी भी मौजूद रहे। लोगों में इस बात को लेकर भी गुस्सा था कि आखिर कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने हादसे वाली जगह पर जाने के लिए सुबह का इंतजार क्यों किया। मुख्यमंत्री ने तत्काल प्रभाव से मृतकों के परिजनों के भुगतान के लिए तीन करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि जारी की है तथा सीएमओ को बैंक से आरटीजीएस कराने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने अस्पताल जाकर घायलों से मुलाकात की तथा चिकित्सकों को सभी के इलाज के लिए पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए।

कैसे हुआ हादसा? 

शुक्रवार को जोड़ा फाटक के पास जब रेललाईन के निकट विजयदशमी पर्व पर रावण का पुतला जलाया जा रहा था। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में महिलाएं, बच्चे और लोग इस दृश्य को देख रहे थे। वे सभी इस बात से बिलकुल बेखबर थे कि कुछ पल में ही उनका हर्षोल्लास मातम में बदल जाएगा। तभी वहां जालंधर से अमृतसर जा रही डीएमयू रेलगाड़ी तेज गति से गुजरी और उसने पटरी पर खड़े होकर दशहरा पर्व का नजारा देख रहे लोगों को अपनी चपेट में ले लिया। इन लोगों को पटाखों की आवाज में रेलगाड़ी के आने का अहसास तक नहीं हुआ। इस दौरान अनेक लोग रावण का पुतला दहन होने का दृश्य अपने मोबाइल कैमरों में कैद करने में मशगूल थे और अचानक रेलगाड़ी ने इन्हें लील लिया।

पांच लाख के मुआवजे का ऐलान

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हादसे पर दुख जताते हुए ट्वीट किया, 'अमृतसर में हुए दर्दनाक रेल हादसे की खबर सुनकर गहरा दुख पहुंचा है। मैंने सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को हादसे की चपेट में आए लोगों की मदद करने की अपील की है। जिला प्रशासन को युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य जारी रखने का निर्देश दिया है।‘

मुख्यमंत्री ने कहा, 'मैं राहत कार्य पर नजर रखने के लिए तुरंत अमृतसर रवाना हो रहा हूं। मेरी सरकार की तरफ से हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को पांच लाख रुपये दी जाएगी और घायलों को पंजाब के किसी भी अस्पताल में मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान की जाएगी।'

वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मृतक परिवार को दो लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये देने का ऐलान किया है। 

पीएम ने जताया दुख

हादसे पर पीएम नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर अपनी संवेदना प्रकट की है। पीएम का कहना है कि अमृतसर में ट्रेन दुर्घटना से बेहद दुखी हूं। उन लोगों के परिवारों के लिए मेरी गहरी संवेदनाएं है जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया और मैं प्रार्थना करता हूं कि घायल लोग जल्द ठीक हो जाएं। अधिकारियों से तुरंत सहायता प्रदान करने के लिए कहा गया है।

हादसे पर राजनीति भी शुरू

इस मामले में पंजाब कैबिनेट मंत्री नवजोत सिद्धू अपनी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू का बचाव करते आए। आपको बता दें यहां दशहरे का आयोजन हुआ था। वहां नवजोत कौर सिद्धू  मुख्यातिथि के तौर पर पहुंची। हादसे की सूचना मिलने पर वह वहां से चली गई  थी। पति सिद्धू ने उनका बचाव करते कहा कि हादसे पर राजनीति न करें।
अगर कोई यह सोचे कि यह जानबूझकर किया गया या उकसाने पर किया गया तो यह गलत है। उन्होंने कहा कि हादसा ट्रेन चालक की गलती के कारण हुआ। उसने हार्न नहीं दिया। इस कारण एक सैंकडे में ट्रेन ने मासूम लोगों को कुचल डाला। सिद्धू ने कहा कि जब दुर्घटना होती है तो किसी को बताकर नहीं होती।  लोग जो बात कर रहे हैं वह राजनीतिक बातें कर रहे हैं।  राजनीतिक रोटियां नहीं सेंकनी चाहिए।  सिद्धू ने कहा कि इस घटना पर आरोप-प्रत्यारोप का खेल नहीं खेला जा सकता। रावण दहन आजकल बटन से होता है जिससे आग तेजी से लगती है।  इस दौरान जब आतिशबाजी गलत दिशा में जाती है तो लोग पीछे हटते हैं। इसी दौरान वहां मौजूद लोगों को पता नहीं चला होगा।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताई पूरी कहानी
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एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि जिस वक्त ये तज रफ्तार ट्रेन घटनास्थल से गुजरी, बहुत सारे लोग ट्रैक पर बैठकर और खड़े होकर रावण दहन देख रहे थे। कुछ मोबाइल फोन पर रावण दहन की वीडियो बना रहे थे। बताया जा रहा है कि जब रावण के पुतले को आग लगाई गई तो मंच से लोगों से पीछे हटने की अपील की गई। इस वजह से भी काफी लोग मैदान से पीछे हटकर रेलवे ट्रेक पर चले गए थे। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया जा रहा है। इसमें दिख रहा है कि लोग रावण दहन देख रहे हैं और मोबाइल से उसका वीडियो भी बना रहे हैं। तभी बाईं ओर से तेज रफ्तार ट्रेन अचानक आती है। वीडियो से पता लगता है कि वहां मौजूद लोगों को ट्रेन के आने की भनक तक नहीं लगी। 
इस कार्यक्रम में मंच पर पंजाब के कैबिनेट मंत्री सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू भी मौजूद थीं। हादसे के वक्त घटनास्थल पर ही मौजूद रहे अन्य चश्मदीद अमरजीत ने बताया, रावण को आग लगाई गई, पटाखे बज रहे थे। इस बीच एकदम से ट्रेन आ गई। किसी को ट्रेन के आने की आवाज सुनाई नहीं दी। मैंने दो लड़कों का हाथ खींचकर उन्हें बचाया। मैंने देखा कि 25-30 लोगों की लाशें बिछ गई हैं। मैंने इन लाशों को उठाकर दूसरी जगह पहुंचाया। मेरे हाथ पूरे खून से भर गए, मैं अभी-अभी इन्हें धोकर आया हूं। उनमें कई मेरे पहचान के लोग थे।   अमित कुमार का घर घटनास्थल के पास ही है। वह घटना के वक्त अपने घर की छत पर मौजूद थे। उन्होंने बताया, ट्रेन बहुत स्पीड में आई, ट्रेन ने कोई हॉर्न नहीं दिया। उस ट्रेन ने वहां खड़े सभी लोगों को कुचल दिया। स्टेज से कहा गया था कि लोग पटरी से दूर होकर खड़े रहें। ये आयोजन हर साल होता है।

बिना अनुमति के करवाया जा रहा था कार्यक्रम

धोबी घाट में दशहरा कार्यक्रम किसी भी सरकारी विभाग की अनुमति के बिना करवाया जा रहा था बल्कि इस जगह पर हर वर्ष हजारों की संख्या में लोग रावण दहन देखने के लिए आते हैं और हर बार प्रबंधक पुलिस फोर्स के साथ अपने वालंटियर लगाकर लोगों की सुरक्षा के लिए मुस्तैद होते थे लेकिन इस बार बिना वालंटियर एवं चंद पुलिस कर्मचारियों के सहारे हजारों लोगों की सुरक्षा थी। जब रावण दहन हुआ तो एकाएक रेलवे ट्रेक पर दो गाडिय़ों की क्रॉसिंग थी। रावण दहन के समय पटाखों की गूंज में लोग अपने कान बंद किए ट्रेन आने पर रेलवे ट्रैक पर लोगों की भगदड़ मच गई, जिसमें सैंकड़ों लोग इन दोनों ट्रेनों की चपेट में आ गए।

नगर निगम अस्टेट अधिकारी सुशांत भाटिया ने बताया कि विभाग से किसी प्रकार की कार्यक्रम को लेकर अनुमति नहीं ली गई है। अगर कार्यक्रम को लेकर प्रबंधकों द्वारा अनुमति ली भी जाती तो भी अनुमति नहीं मिलनी थी, बाकी घटना बहुत दुखदायी है। इस संबंध रेलवे के स्टेशन डायरैक्टर अमृत सिंह ने बताया कि उक्त स्थान पर रेलवे लाइनों के पास दशहरा मनाने की न तो कोई अनुमति रेलवे ने प्रदान की है और न ही परमिशन लेने के लिए किसी ने रेलवे को लिखित रूप से सूचित किया था।

 

 

 

 

 

 

 

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