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मई का महीना कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अहम, सोच समझकर बनानी होगी रणनीतिः मेडिकल एक्सपर्ट्स

कोरोना के प्रकोप को रोकने के लिए देश में लागू लॉकडाउन 3 मई को खत्म हो रहा है। इसके बाद के हालात पर मेडिकल...
मई का महीना कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अहम, सोच समझकर बनानी होगी रणनीतिः मेडिकल एक्सपर्ट्स

कोरोना के प्रकोप को रोकने के लिए देश में लागू लॉकडाउन 3 मई को खत्म हो रहा है। इसके बाद के हालात पर मेडिकल एक्सपर्टस ने सोच समझकर फैसले लेने का सुझाव दिया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि मई के महीने में कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई अहम हो सकती है। इसमें कोरोना बनने या बिगड़ने (मेक या ब्रेक) वाला साबित हो सकता है। जिसके चलते ग्रीन जोन में जरूरी चीजों के लिए कुछ छूट दी जा सकती है लेकिन हॉटस्पॉट्स में ज्यादा सख्ती की जरूरत है।

एक्सपर्ट्स ने सुझाव दिया कि रेलवे, हवाई यात्रा, अंतर-राज्यीय बस सेवा, मॉल, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, धार्मिक स्थल और दूसरे सार्वजनिक जगहों को कम से कम मई के महीने के लिए बंद रखा जाना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को मुख्यमंत्रियों से कहा था कि देश को कोरोनोवायरस के खिलाफ लड़ाई जारी रखते हुए अर्थव्यवस्था को महत्व देना होगा।

पीएम ने दिए हैं लॉकडाउन बढ़ाने के संकेत

केंद्र ने बुधवार को स्पष्ट संकेत दिए कि चल रहे देशव्यापी लॉकडाउन को कई जिलों में पर्याप्त छूट के साथ  3 मई से आगे बढ़ाया जाएगा। मेडिकल एक्सपर्ट्स का मानना है कि हॉस्पॉट्स में आक्रामक कंटेनमेंट स्ट्रैटजी अपनाने और ग्रीन जोन में छूट का दायरा और बढ़ाने की जरूरत है। पिछले 15 दिनों में देश के हॉटस्पॉट्स जिलों की संख्या 170 से घटकर 129 पर आ गई है। दूसरी ओर नॉन-हॉटस्पॉट जिलों यानी ऑरेंज जोन्स की संख्या 207 से बढ़कर 297 हो चुकी है। वैसे थोड़ी चिंता की बात यह है कि कोरोना से अछूते जिलों की संख्या भी इस दौरान घटी है। 15 दिन पहले देश में 325 ऐसे जिले थे जहां कोरोना नहीं पहुंचा था लेकिन अब उनकी संख्या घटकर 307 हो चुकी है।

मई में मेक और ब्रेक वालेे हालात

पल्मोनोलॉजी और क्रिटिकल केयर, फोर्टिस नोएडा के अपर निदेशक डॉक्टर राजेश कुमार के मुताबिक, बहुत ही सावधानी की जरूरत है। वायरस के फैलने की रफ्तार को रोकने के लिए जरूरी है कि रेड जोन में कंटेनमेंट को फॉलो किया जाए और ग्रीन जोन्स में बहुत ही सावधानी से पाबंदियों को हटाया जाए। उन्होंने कहा कि मई का महीना कोरोना के खिलाफ लड़ाई में 'मेक ऑर ब्रेक' का रहने वाला है। उन्होंने कहा कि हमें समझने की जरूरत है कि लॉकडाउन वायरस को खत्म नहीं करेगा, बस उसके फैलाव को धीमा करेगा। उन्होंने रेड जोन्स में लॉकडाउन को कम से कम दो हफ्ते या उससे भी ज्यादा वक्त तक बढ़ाने की वकालत की है।

रेल, हवाई यात्रा और इंटर-स्टेट बसों पर रोक जारी रहे

दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के जाने-माने लंग सर्जन डॉक्टर अरविंद कुमार की सलाह है कि रेल और हवाई यात्रा के साथ-साथ इंटर-स्टेट बस सर्विस पर भी कम से कम मई महीने तक रोक जारी रहनी चाहिए। साथ ही मॉल्स, शॉपिंग कॉम्पलेक्स, धार्मिक स्थानों और दूसरे सार्वजनिक जगहों को अभी और एक महीने तक बंद ही रखा जाना चाहिए।

डॉक्टर कुमार का मानना है कि अब तक कोरोना के प्रकोप से अछूते रहे जिलों को सील किया जाना चाहिए। वहां सोशल डिस्टेंसिंग के साथ सीमित गतिविधियों को इजाजत हो। ग्रीन जोन्स में भी लगातार हाथों को धोना, मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना लोगों की लाइपस्टाइल का हिस्सा हो। वे जिले जहां से नए केसों के आने का सिलसिला बना हुआ है, वहां तब तक लॉकडाउन जारी रखना चाहिए जब तक कि वहां कोरोना केसों का ग्राफ गिरने नहीं लगे। मई के महीने में बहुत ही सावधानी की जरूरत है। वायरस के फैलने की रफ्तार को रोकने के लिए जरूरी है कि रेड जोन में कंटेनमेंट को फॉलो किया जाए और ग्रीन जोन्स में बहुत ही सावधानी से पाबंदियों को हटाया जाए।

छूट हो सकती है विनाशकारी साबित

मैक्स हेल्थकेयर में इंटरनल मेडिसिन के एसोसिएट डायरेक्टर डॉक्टर रोमेल टीकू कहते हैंकि ऐसे अहम समय में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में कोई बड़ी छूट 'विनाशकारी' साबित हो सकती है। उनके मुताबिक पाबंदियों को कम से कम एक और महीने तक बरकरार रखना चाहिए। वह भी मॉल्स, स्कूल, कॉलेज, बाजार आदि को पूरे मई महीने तक बंद रखने के हक में हैं। उनका कहना है कि एक भी गलती वायरस को बहुत ज्यादा फैला सकती है और अब तक किए गए अच्छे कामों पर पानी फेर सकती है। डॉक्टर टीकू ने कहा कि जब नए केस लगातार बढ़ रहे हैं तो ऐसे समय में लॉकडाउन हटाना ठीक नहीं रहेगा। ग्रीन जोन्स में कुछ आर्थिक गतिविधियों को इजाजत दी जा सकती है लेकिन इसमें हमें बहुत सावधान रहना होगा।

भारत में स्थिति अन्य देशों के मुकाबले बेहतर

अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में स्थिति अभी तक काफी बेहतर दिख रही है। 1000 मौतों को बेंचमार्क मानें तो भारत में जब 31 हजार से ज्यादा केस पहुंचे तब मौत का आंकड़ा हजार के पार पहुंचा। दूसरी ओर इटली में संक्रमण के 15113, यूके में 17,089, फ्रांस में 22,304, स्पेन में 21,571 और बेल्जियम में 15,348 मामलों के होते-होते मौत का आंकड़ा एक हजार पार कर गया था। यह दिखाता है कि भारत में अभी मृत्यु दर कम ही है।  डबलिंग रेट यानी केसों के दोगुने होने की दर के मामले में भारत में 2000 से 4000 केस पहुंचने में सिर्फ  3 दिन लगे थे। लेकिन इसे 16 हजार से 32 हजार तक पहुंचने में 10 दिन लगे। अमेरिका, इटली, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन की तुलना में भारत में डबलिंग रेट बेहतर है।

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