आयकर विभाग की छापेमारी से चर्चा में आए कल्कि भगवान के आश्रम से 500 करोड़ से अधिक की संपत्ति बरामद हुई है। खुद को विष्णु का 10वां अवतार कहने वाले और कल्कि भगवान के नाम से मशहूर विजय कुमार के अलग-अलग आश्रमों पर आयकर विभाग ने छापेमारी की। इस छापेमारी में करीब 500 करोड़ की संपत्ति जब्त हुई है। बताया जा रहा है कि आयकर विभाग को खुफिया जानकारी मिली थी कि कल्कि महाराज की संस्था अपनी कमाई को छिपा रही है।
आयकर विभाग द्वारा सोमवार को चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलुरु, चित्तूर और कुप्पम में 'व्हाइट लोटस' की संपत्तियों पर छापेमारी की गई। इस दौरान 44 करोड़ रुपये नकद, 20 करोड़ रुपये के अमेरिकी डॉलर, 115 करोड़ रुपये के अज्ञात बैंक खाते, 85 करोड़ रुपये के हवाला के माध्यम से विदेशी निवेश और और 90 किलोग्राम सोने के जेवरात जब्त किए गए। बरामद सामानों की कीमत 105 करोड़ बताई जा रही है। इसके अलावा 409 करोड़ की कैश रशीदें भी जब्त की गई हैं।
40 जगहों पर आयकर विभाग के 300 अधिकारियों ने मारे छापे
चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलुरु, चित्तूर और कुप्पम सहित कुल 40 जगहों पर आयकर विभाग के 300 अधिकारियों ने छापे मारे। कल्कि महाराज का साम्राज्य आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु से लेकर विदेशों तक फैला है। कल्कि भगवान' उर्फ विजय कुमार 70 साल का है और ये खुद को भगवान विष्णु का 10वां अवतार बताता है। इसके आश्रम को खुद कल्कि महाराज, उसकी पत्नी और उसका बेटा एनकेवी कृष्णा चलाता है।
आयकर विभाग द्वारा ये छापेमारी कल्कि भगवान के आश्रमों के साथ-साथ उनके बेटे कृष्णा से जुड़े ठिकानों पर भी की गई है। इस दौरान ये भी जानकारी सामने आई है कि कि इस समूह ने अमेरिका, चीन, सिंगापुर, यूएई समेत कई देशों में निवेश किया है। इस आश्रम पर जमीनों को हड़पने और टैक्सी के आरोप हैं।
खुफिया जानकारी के बाद की गई ये कार्रवाई
16 अक्टूबर की कार्रवाई पर आयकर विभाग ने कहा कि इनकम टैक्स की धारा 1961 के तहत विभाग ने अवैध कंपनियों और ट्रस्ट्रों के खिलाफ कार्रवाई की। ऐसी खुफिया जानकारी मिली थी कि दर्शन और आध्यात्म के विभिन्न आवासीय परिसर में पिछले एक साल से वेलनेस कोर्स और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
शुरुआती छापेमारी के दौरान इनकम टैक्स विभाग ने ट्रस्ट के मैनेजर लोकेश देसाजी से वित्तीय लेन-देन को लेकर पूछताछ की थी। एलआईसी के क्लर्क के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाले विजय कुमार नायडू उर्फ 'कल्कि भगवान' ने नौकरी छोड़ दी थी। इसके बाद एक शिक्षण संस्थान की स्थापना की। लेकिन संस्थान का दिवाला निकला तो नायडू भूमिगत हो गया। किसी को नायडू के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। बताया जाता है कि इसके बाद अचानक अपने आप को विष्णु का दसवां अवतार 'कल्कि भगवान' बताते हुए नायडू साल 1989 में चित्तूर में ऊपर हुआ।
अध्यात्म से पहले एलआईसी में क्लर्क था कल्कि महाराज
साल 1980 में लोगों को वैकल्पिक शिक्षा मुहैया कराने के लिए कल्कि महाराज ने जीवाश्रम नाम की संस्था बनाई। इसने देश-विदेश में रियल एस्टेट, निर्माण, खेल जैसे क्षेत्रों में भी अपनी किस्मत आजमाई। इतना ही नहीं इसके आश्रमों में ट्रस्ट और कंपनियों की तरफ से वेलनेस भी कोर्स चलाए जाते हैं। वेलनेस कोर्स विदेशियों को आकर्षित करते हैं, जिससे बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा हासिल की गई। विजय कुमार उर्फ कल्कि महाराज अध्यात्म से पहले एलआईसी में क्लर्क था।