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भारतीय गूगल डूडल से जान रहे भारत का इतिहास, आज जानिए रुखमाबाई को

गूगल भारतीय विभूतियों पर डूडल बना रहा है। कई बार ऐसी विभूतियों पर डूडल बनाए जा रहे हैं, जिनके बारे में...
भारतीय गूगल डूडल से जान रहे भारत का इतिहास, आज जानिए रुखमाबाई को

गूगल भारतीय विभूतियों पर डूडल बना रहा है। कई बार ऐसी विभूतियों पर डूडल बनाए जा रहे हैं, जिनके बारे में भारतीय लोग भी संभवतः कम जानते हैं या फिर बिलकुल भी परिचित नहीं हैं। आज गूगल ने ऐसी ही एक विभूति पर डूडल बनाया है।

आज रुखमाबाई (रुकमाबाई) का 153वां जन्मदिन है। 22 नवंबर 1864 को मुंबई में जन्मी रुखमाबाई का जीवन बहुत संघर्षमय रहा। रुखमाबाई की शादी 11 साल की उम्र में हो गई थी। लेकिन उन्होंने इस शादी को मानने से इनकार कर दिया और तमाम विरोधों के बाद भी डॉक्टर बन कर दिखाया।  

भारत और ब्रिटेन की पहली महिला डॉक्टर रूखमाबाई राऊत उस वक्त अपनी पढ़ाई पूरी की जब महिलाएं शिक्षा और दूसरे अधिकारों से वंचित थीं। उन्होंने हिंदू शादियों में कानून के प्रावधान की भी बात की जिसके बाद हिंदू मैरिज एक्ट पर बात शुरू हुई। इसके लिए उन्होंने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। उन्होंने अपने पति के साथ न रहने के बारे में खुल कर तब बोला जब लड़कियों से शादी में उनकी मर्जी तक नहीं पूछी जाती थी। यह बात सन1884 की है। इसी सन में उनके पति दादाजी भीकाजी ने बंबई हाई कोर्ट में रुखमाबाई को अपने साथ रखने के लिए अर्जी दायर की थी। फैसले में जज ने जब रुखमाबाई को कहा कि या तो वह पति के साथ रहें या जेल जाएं दो निर्भीक रुखमाबाई का जवाब था कि वह जेल जाना पसंद करेंगी।

उनके द्वारा लड़ी गई लंबी लड़ाई का नतीजा यह हुआ कि 1955 में हिंदू मैरिज एक्ट रोशनी में आया। रुकमाबाई अ हिंदू लेडी नाम से अखबारों में स्तंभ भी लिखा करती थीं। उनकी पढ़ाई के लिए बहुत सारे लोगों ने उस जमाने में ‘क्राउड फंडिंग’ की थी। इसी पैसों से वह ब्रिटेन पढ़ने गईं। 25 सितम्बर 1991 को 91 की उम्र में यह सेवाभावी डॉक्टर संसार से विदा हो गई। 

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