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किसानों ने सरकार की अपील को फिर किया खारिज, कहा- कानून रद्द नहीं हुए तो रेलवे ट्रैक पर होंगे धरने

दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन 15वें दिन जारी है। बुधवार को केंद्र सरकार ने प्रस्ताव भेजे थे, उन...
किसानों ने सरकार की अपील को फिर किया खारिज, कहा- कानून रद्द नहीं हुए तो रेलवे ट्रैक पर होंगे धरने

दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन 15वें दिन जारी है। बुधवार को केंद्र सरकार ने प्रस्ताव भेजे थे, उन सभी प्रस्तावों को किसानों ने खारिज कर दिया है। कई दौर की केंद्र सरकार के साथ चली वार्ता बेनतीजा रही जिसके बाद बुधवार को किसानों ने अपने आंदोलन को तेज करने का ऐलान किया। किसान संगठन आज केंद्र सरकार के साथ होने वाली वार्ता का बहिष्कार करेंगे। किसान तीनों कानूनों को रद्द करने से पहले अपना आंदोलन वापस लेने को तैयार नहीं हैं। वहीं, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सरकार का पक्ष सामने रखा और किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की।

कृषि मंत्री के बाद किसानों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। किसान नेता बूटा सिंह ने कहा, ‘हमने 10 दिसंबर तक का अल्टीमेटम दिया है। अगर प्रधानमंत्री हमारी बात नहीं सुनते हैं और कानून को रद्द नहीं करते हैं तो हम रेलवे ट्रैक को ब्लॉक कर देंगे। आज की बैठक में फैसला लिया गया कि देश के सभी लोग पटरियों पर उतरेंगे। संयुक्त किसान मंच एक तारीख तय करेगा और इसकी घोषणा करेगा।

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि यदि केंद्र 15 में से हमारी 12 मांगों पर सहमत हो रहा था, इसका मतलब है कि बिल सही नहीं हैं, तो उन्हें नष्ट क्यों नहीं किया जाना चाहिए। हमने एसएसपी पर एक कानून की मांग की थी, लेकिन वे अध्यादेश के माध्यम से 3 बिल लाए थे। हमारा विरोध शांतिपूर्वक जारी रहेगा।

वहीं, भारतीय किसान यूनियन के बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने माना है कि कानून व्यापारियों के लिए बनाए गए हैं। यदि कृषि राज्य का विषय है, तो उन्हें इसके बारे में कानून बनाने का अधिकार नहीं है।

इससे पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करएक बार फिर साफ कर दिया है कि कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा, लेकिन किसानों की आपत्तियों और शंकाओं को दूर करने के लिए संशोधन किए जा सकते हैं। कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार लिखित में भरोसा देने के लिए भी तैयार है। उन्होंने कहा कि किसान सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर विचार करें और जब भी वे बात करना चाहेंगे, सरकार तैयार है। उन्हें ठंड में बैठे किसानों की चिंता है।

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