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तिरंगे में लपेटकर दिल्ली पुलिस ने मोर को दफनाया, छिड़ा विवाद

अब तक तिरंगे में शव लपेटे जाने का प्रोटोकॉल सिर्फ शहीद जवानों और देश की महान हस्तियों तक सीमित था। इसके...
तिरंगे में लपेटकर दिल्ली पुलिस ने मोर को दफनाया, छिड़ा विवाद

अब तक तिरंगे में शव लपेटे जाने का प्रोटोकॉल सिर्फ शहीद जवानों और देश की महान हस्तियों तक सीमित था। इसके लिए बाकायदा नियम भी बनाए गए हैं लेकिन दिल्ली पुलिस ने एक मृत मोर के शव को तिरंगे में लपेटकर दफनाने का काम किया है। दिल्ली पुलिस के इस कारनामे के बाद विवाद शुरू हो गया है। कई लोग इसे तिरंगे का अपमान कह रहे हैं जबकि पुलिस का तर्क है कि मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है और उसे तिरंगे में दफनाकर पूरा सम्मान दिया गया है।

शुक्रवार को पुलिस को एक घायल मोर की सूचना मिली, जो हाई कोर्ट के गेट नंबर पांच के बाहर था। पुलिस उसे वहां से चांदनी चौक के जैन बर्ड अस्पताल ले गई जहां उस मृत बता दिया गया। इसके बाद उसे जौनापुर के अस्पताल ले जाया गया जहां उसका पोस्टमॉर्टम हुआ और फॉरेस्ट अधिकारी के सामने उसे तिरंगे में लपेटकर दफनाया दिया गया।

तिरंगे पर तिलक मार्ग पुलिस स्टेशन के अफसर ने कहा कि उसने महज प्रोटोकॉल का पालन किया है क्योंकि मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है और इस नाते यह सम्मान दिया गया।

विशेषज्ञों का मानना है कि मोर को तिरंगे में लपेटना गलत है और पुलिसकर्मियों ने वन्यजीव कानून का उल्लंघन किया है। इस तरह का कोई प्रोटोकॉल नहीं है और यह गतिविधि वन्यजीव संरक्षण एक्ट, 1972 के उल्लंघन के दायरे में आ सकती है। एक्ट के तहत शेड्यूल-वन जानवरों के शवों पर राज्य का अधिकार होता है और उनको जलाए जाने या दफनाने का अधिकार स्टेट फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के पास होता है।

वन्य जीव कार्यकर्ता गौरी मौलेखी का कहना है कि उन्होंने पिछले महीने वन विभाग को एक पत्र लिखा था, जब जनकपुरी पुलिस स्टेशन में एक मृत मोर मिला था। मौलेखी ने कहा, 'तिरंगे में लिपेटकर दफनाना वन्यजीव संरक्षण एक्ट का उल्लंघन है क्योंकि कोई एनजीओ या पुलिस मृत जानवर का पोस्टमॉर्टम नहीं करा सकती और न उसे दफना सकती है। ऐसे मामले वन विभाग को फॉरवर्ड किए जाते हैं और वही उनको दफनाना या जलाने की कार्यवाही करते हैं ताकि उनके अंगों की तस्करी न हो सके। मोर वगैरा के मामले में सही प्रोटोकॉल फॉलो नहीं किया जाता है। मैंने विभाग को लिखकर हर पुलिस स्टेशन को नियमों से अवगत कराने के लिए कहा है।'

अंतिम संस्कार में तिरंगे के इस्तेमाल के हैं यह नियम

फ्लैग कोड ऑफ इंडिया के में प्रावधान है कि तिरंगे का इस्तेमाल किसी भी चीज को लेने, देने, पकड़ने या ले जाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इसमें यह भी कहा गया है कि स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस या किसी उत्सव के अवसर पर तिरंगे को फहराए जाने से पहले इसमें फूल रखने की इजाजत है। तिरंगे में लपेटकर अंतिम संस्कार करने के लिए भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं। प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री, केंद्र और राज्यों के पूर्व या वर्तमान मंत्री, शहीद जवान या इस तरह के किसी सम्मानित व्यक्ति के अंतिम संस्कार में ही तिरंगे का इस्तेमाल होता है। इसके अलावा राज्य सरकार अगर किसी सम्मानित व्यक्ति के अंतिम संस्कार में तिरंगे के इस्तेमाल की इजाजत या निर्देश दे तब वैसी स्थिति में तिरंगे में शव को लपेटा जा सकता है। हाल ही में सुपरस्टार श्रीदेवी के अंतिम संस्कार में तिरंगे का इस्तेमाल हुआ था। महात्मा गांधी देश के पहले व्यक्ति थे जिनके शव को तिरंगे में लपेटा गया था।

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