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मुम्बई में अम्बानी और अडानी के विरूद्ध एआईकेएससीसी का प्रदर्शन, कहा-पीएम बोल रहे हैं तानाशाही की भाषा

मुम्बई में आज एआईकेएससीसी बांद्रा कुर्ला काम्प्लेक्स में अबानी और अडानी के मुख्यालय पर प्रदर्शन...
मुम्बई में अम्बानी और अडानी के विरूद्ध एआईकेएससीसी का प्रदर्शन, कहा-पीएम बोल रहे हैं तानाशाही की भाषा

मुम्बई में आज एआईकेएससीसी बांद्रा कुर्ला काम्प्लेक्स में अबानी और अडानी के मुख्यालय पर प्रदर्शन किया जिसमें 15,000 से ज्यादा किसानों ने भाग लिया। एआईकेएससीसी ने किसानों की मांग के खिलाफ प्रधानमंत्री के तानाशाह पूर्ण भाषा की आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा था कि सुधारों के अमल से उन्हें कोई नहीं रोक सकता। देश के लोगों को ये बात साफ होनी चाहिए कि ये सुधार वे हैं जो कॉरपोरेट व विदेशी कम्पनियों का मुनाफा बढ़ाएंगे और किसानों को बर्बाद कर देंगे।

एआईकेएससीसी ने हरियाणा और यूपी की भाजपा सरकारों द्वारा किये जा रहे दमन की निन्दा की है। हरियाणा में मुख्यमंत्री को काला झंडा दिखाने वाले कई किसानों को उठाकर हिरासत में लिया गया है। यूपी में फर्जी केस व कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी चल रही है और मुख्यमंत्री एक तरफ खुद धमकी दे रहे हैं और दूसरी ओर किसानों की मदद करने के फर्जी दावे ठोक रहे हैं।

एआईकेएससीसी के वर्किंग ग्रुप ने कहा है कि कृषि मंत्री का पत्र दिखाता है कि सरकार किसानों की 3 नये खेती के कानून रद्द करने की मांग को हल नहीं करना चाहती। इनमें समस्या कानून के उद्देश्य में ही लिखी है, जो कहते हैं कि कॉरपोरेट को अब कृषि उत्पाद में व्यापार करने का, किसानों को ठेकों में बांधने का और आवश्यक वस्तु के आवरण से मुक्त खाने के सामग्री को स्टॉक कर कालाबाजारी करने की छूट होगी, का कानूनी अधिकार देते हैं। यह भी लिखा है कि इन सभी कारपोरेट पक्षधर व किसान विरोधी पहलुओं को सरकार बढ़ावा देगी।

एआईकेएससीसी का कहना है कि मंत्री ने जानबूझकर वार्ता के दौरान के तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर दावा किया है कि वे विनम्रता और खुले मन से चर्चा चाहते हैं। सच यह है कि एआईकेएससीसी ने तथा अन्य संगठनों ने सरकार को इन कानूनों को रद्द करने के लाखों पत्र भेजे हैं, जिसे सरकार ने अनसुना कर दिया है। जब आन्दोलन दिल्ली पहुँचा तो सरकार ने नेताओं को मजबूर किया कि वे धारावार आलोचना पेश करें। और नेताओं ने सर्वसम्मति से इस आलोचना के साथ 3 दिसम्बर को सरकार को यह समझा दिया कि अगर किसानों की जमीन व जीविका बचनी है तो ये तीनो कानून वापस होने होंगे। पर सरकार ने खुद-ब-खुद 8 मुद्दे छांट लिये और अब वह यह दावा कर रही है कि यही 8 मुद्दे मुख्य हैं।

एआईकेएससीसी ने कहा है कि विश्व भर में कारपोरेट छोटे मालिक किसानों की खेती की जमीनें छीन रहे हैं और जल स्रातों पर कब्जा कर रहे हैं ताकि वे इससे ऊर्जा क्षेत्र, रीयल स्टेट और व्यवसायों को बढ़ावा दे सकें। इसकी वजह से किसान विदेशी कम्पनियों और उनकी सेवा करने वाली सरकारों के खिलाफ खड़े हो रहे हैं। भारत में चल रहे वर्तमान आन्दोलन को इसी वजह से दुनिया भर में समर्थन मिला है और 82 देशों में लोगों ने किसानों के समर्थन में प्रदर्शन किये हैं।

मुम्बई में आज एआईकेएससीसी बांद्रा कुर्ला काम्प्लेक्स में अबानी और अडानी के मुख्यालय पर प्रदर्शन किया जिसमें 15,000 से ज्यादा किसानों ने भाग लिया। एआईकेएससीसी ने किसानों की मांग के खिलाफ प्रधानमंत्री के तानाशाह पूर्ण भाषा की आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा था कि सुधारों के अमल से उन्हें कोई नहीं रोक सकता। देश के लोगों को ये बात साफ होनी चाहिए कि ये सुधार वे हैं जो कॉरपोरेट व विदेशी कम्पनियों का मुनाफा बढ़ाएंगे और किसानों को बर्बाद कर देंगे।

एआईकेएससीसी ने हरियाणा और यूपी की भाजपा सरकारों द्वारा किये जा रहे दमन की निन्दा की है। हरियाणा में मुख्यमंत्री को काला झंडा दिखाने वाले कई किसानों को उठाकर हिरासत में लिया गया है। यूपी में फर्जी केस व कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी चल रही है और मुख्यमंत्री एक तरफ खुद धमकी दे रहे हैं और दूसरी ओर किसानों की मदद करने के फर्जी दावे ठोक रहे हैं।

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