Advertisement

सिंगापुर की मंदी से भारतीयों के मंसूबे अधूरे

सिंगापुर में निर्माण गतिविधियों में नरमी और विदेशी कामगारों की नियुक्ति को लेकर कड़े नियमों के चलते भारत व बांग्लादेश में 10,000 से ज्यादा लोगों की नौकरी की आस अधूरी रह गई है।
सिंगापुर की मंदी से भारतीयों के मंसूबे अधूरे

सिंगापुर डेली की रिपोर्ट के मुताबिक, अग्रिम अनुमानों से पता चलता है कि निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर पिछले साल घटकर तीन प्रतिशत रह गई जो 2013 के छह प्रतिशत की तुलना में आधी है।

विदेशी कामगारों पर कड़े नियमों के कारण नये कामगारों के लिए रोजगार की संभावना भी घटी है जबकि कंपनियां अपने मौजूदा कामगारों को काम पर रखे हुए है और बेहतर विकल्प के लिए उनका कौशल बढ़ा रही हैं। नये नियम के तहत विदेशी कामगारों की नियुक्ति पर कर लगाए जाने से भी इस पर असर पड़ा है। इस तरह के बदलावों की वजह से कई कामगार अपने-अपने देशों में बेकार पड़े हैं और उनका कर्ज का बोझ भी बढ़ता जा रहा है।

औसतन एक नये कामगार को यहां नौकरी पाने के लिए 7000 सिंगापुरी डाॅलर (5,598 डाॅलर) खर्च करना पड़ता है और इसमें से 2000 सिंगापुरी डाॅलर भारत और बांग्लादेश में प्रशिक्षण केंद्रों पर खर्च होता है जहां सिंगापुर के बिल्डिंग एंड कंस्टक्शन अथाॅरिटी (बीसीए) योग्यता कार्यक्रम के तहत कौशल परीक्षण किया जाता है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad