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चीन के राष्ट्रपति का पाकिस्तान के साथ 46 अरब डॉलर का करार

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग आज यहां पाकिस्तान की अपनी पहली सरकारी यात्रा पर पहुंचे जहां शी की इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच 46 अरब डॉलर की एक आर्थिक गलियारा परियोजना के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है।
चीन के राष्ट्रपति का पाकिस्तान के साथ 46 अरब डॉलर का करार

 इससे दोनों देशों के बीच अच्छे-बुरे हर दौर में साथ रहते हुए और मजबूत होने की संभावना है। चीन के राष्ट्रपति और उनकी पत्नी पेंग लियुआन के यहां नूर खान हवाई अड्डे पर पहुंचने पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। उनका स्वागत पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन, प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, सेना प्रमुख राहील शरीफ और मंत्रिमंडल के सदस्यों ने किया। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना के तहत चीन के अल्पविकसित पश्चिमी क्षेत्र को पाक के कब्जे वाले कश्मीर के रास्ते पाकिस्तान के अरब सागर से जुड़े ग्वादार बंदरगाह को सड़कों, रेलवे, व्यावसायिक पट्टियों, ऊर्जा योजनाओं और पेट्रोलियम पाइपलाइनों के मिश्रित नेटवर्क से जोड़ा जाना है। पाकिस्तान के योजना एवं विकास मंत्री अहसान इकबाल ने कहा कि सीपीईसी परियोजना की कुल अनुमानित लागत 46 अरब डालर है। उन्होंने कहा यह कोई एक परियोजना नहीं है बल्कि इसमें ऊर्जा उत्पादन, बुनियादी ढांचा विकास और कारोबारी क्षेत्र से जुड़ी कई परियोजनाएं शामिल हैं। शुरुआत में ध्यान बिजली पर रहेगा और कुछ परियोजनाएं तीन साल में तैयार हो जाएंगी। इनसे करीब 10,400 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। शी पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन से मिलेंगे जो उनके सम्मान में भोज का आयोजन करेंगे। उन्हें पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान - निशान-ए-पाकिस्तान - से सम्मानित किया जाएगा। शी से प्रधानमंत्री नवाज शरीफ वार्ता करेंगे और उसके बाद दोनों देशों में विभिन्न समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। शी चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के महासचिव भी हैं। अहसान ने कहा कि 28 अरब डालर की परियोजनाएं तैयार हैं और इनमें से कुछ परियोजनाओं के काम की शुरूआत की भी औपचारिकता हो सकती है। सीपीईसी से पाकिस्तान में बड़े आर्थिक बदलाव की उम्मीद है। चीन ने अपने अशांत मुस्लिम बहुल शिचियांग प्रांत और पाकिस्तान में तालिबान के खतरे के बावजूद इस महत्वाकांक्षी परियोजना को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। इस गलियारे को 1979 के काराकोरम राजमार्ग के बाद दोनों देशों के बीच सबसे बड़ी संपर्क परियोजना करार दिया जा रहा है। यह पश्चिम एशिया से तेल -गैस आयात का मार्ग छोटा हासिल करने की चीन की महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है। चीन ने पाक अधिकृत कश्मीर के जरिए इस 3,000 किलोमीटर के गलियारे के निर्माण पर भारत की चिंता को दरकिनार करते हुए कहा कि यह वाणिज्यिक परियोजना है।

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