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पीएम बनने की चाह नहीं, ए‍क आदमी की नैतिक शक्ति पीएम की शक्ति से ज्‍यादा

नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा है कि भारत का प्रधानमंत्री बनने की उनके मन में कोई चाह नहीं है। उन्होंने इस बारे में कभी नहीं सोचा। सत्‍यार्थी ने कहा कि आम लोगों की ताकत और एक आम आदमी की नैतिक शक्ति दुनिया में किसी प्रधानमंत्राी या नेता से लाखों गुना ज्यादा है।
पीएम बनने की चाह नहीं, ए‍क आदमी की नैतिक शक्ति पीएम की शक्ति से ज्‍यादा

उन्‍होंने प्रतिक्रिया स्वरूप की जाने वाली मुस्लिम विरोधी हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि इस्लाम का मतलब अमन है। उन्होंने तमाम देशों से आग्रह किया कि वे अपने यहां शरणार्थियों खासकर बच्चों का स्वागत करें एवं इस्लाम की छवि धूमिल करने वाले कुछ लोगों की हरकतों की वजह से सभी लोगों को एक चश्मे से नहीं देखें। 

सत्यार्थी ने अमेरिका में 2016 नोबेल पीस प्राइज फोरम के शुरूआती सत्र में कहा, इस्लाम का मतलब अमन होता है। पवित्र कुरान में सैकड़ों संदर्भ एेसे हैं जहां शांति, न्याय, स्वतंत्राता और समता की शिक्षा दी गई है। उनसे साइप्रस के एक लड़के ने मुसलमानों के खिलाफ प्रतिक्रिया स्वरूप की जाने वाली हिंसा और कुछ नेताओं द्वारा बयानबाजी के बारे में सवाल किया था। इस लड़के ने अपने सवाल में सीरिया और इराक से शरण के लिए पश्चिमी देशों की ओर भाग रहे लोगों का भी हवाला दिया। फोरम में एक छोटी बच्‍ची ने भारत का पीएम बनने की मंशा के बारे में सत्‍यार्थी से पूछा था। 

सत्यार्थी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुट्ठी भर लोग इस्लाम को गलत ढंग से पेश कर रहे हैं और अपने स्वार्थी राजनीतिक उद्देश्यों तथा कभी-कभी भावनात्मक कारणों से धर्म को बदनाम कर रहे हैं जबकि दुनिया भर के मुसलमान मानवता एवं शांति के दूत रहे हैं और मुस्लिम देशों के लोगों ने सच बोलने का साहस दिखाया है। नोबेल पुरस्कार विजेता ने कहा, मुट्ठी भर लोग धर्म को गलत ढंग से पेश कर रहे हैं। कट्टरपंथ पैदा कर रहे हैं, युवा लोगों को गुमराह कर रहे हैं। हम सभी जानते हैं कि आईएसआईएस और अन्य आतंकी संगठन इस्लाम के नाम की आड़ में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, हम उस चलन और व्यवहार का विरोध करते हैं जो इस्लाम को गलत ढंग से पेश कर रहा है। सत्यार्थी ने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी बच्चा शरणार्थी नहीं बनना चाहता और कोई भी बच्चा कभी युद्ध, चरमपंथ या संघर्ष की स्थिति के लिए जिम्मेदार नहीं रहा। उन्होंने कहा, परंतु बच्चे सबसे ज्यादा पीड़ित हैं। उनको शरणार्थी बनने के लिए विवश किया गया है। हमें उन्हें अब और पीड़ित नहीं करना चाहिए।

 

 

 

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