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हांगकांग में प्रदर्शनों को कुचलने के लिए सेना तैनात कर सकता है चीन, सरकार ने दिए संकेत

चीन हांगकांग में हो रहे लोकतंत्र समर्थकों के विरोध प्रदर्शनों को किसी भी कीमत पर खत्म करना चाहता है।...
हांगकांग में प्रदर्शनों को कुचलने के लिए सेना तैनात कर सकता है चीन, सरकार ने दिए संकेत

चीन हांगकांग में हो रहे लोकतंत्र समर्थकों के विरोध प्रदर्शनों को किसी भी कीमत पर खत्म करना चाहता है। चीन की सेना ने बुधवार को लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों को चेतावनी दी है कि वह हांगकांग सरकार के अनुरोध पर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए उसकी मदद के लिए आ सकती है। चीन को प्रत्यर्पण करने की अनुमति देने वाले विधेयक के खिलाफ चीन विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं।

प्रत्यर्पण योजना पर शुरू हुए थे प्रदर्शन

हांगकांग की सरकार ने जब से चीन को प्रत्यर्पण की अनुमति देने की योजना बनाई है, तभी से वहां हजारों लोग सड़कों पर हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं। इस समय चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी हांगकांग में पूर्व ब्रिटिश बस्ती के गैरीसन में मौजूद है।

हांगकांग के गैरीसन में सेना मौजूद

चीन की सेना पर श्वेत पत्र जारी करते हुए रक्षा विभाग के प्रवक्ता कर्नल वू क्वियान ने मीडिया को बताया कि सेना हांगकांग के एक गैरीसन में मौजूद है। अगर स्थानीय सरकार अनुरोध करती है तो उसे तैनात किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम हांगकांग की घटनाओं खासतौर पर केंद्रीय सरकार के संपर्क कार्यालय पर चरमपंथियों द्वारा 21 जुलाई को किए गए हिंसक हमले पर नजर रखे हुए हैं।

पार्टी के चिन्ह पर कालिख पोतने से चीन गुस्से में

रविवार को प्रदर्शनकारियों का गुस्सा हांगकांग में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यालय पर उतरा और पार्टी के चिन्ह पर कालिख पोत दी। इस पर क्रोधित चीन ने प्रतिक्रिया दी कि प्रदर्शनकारियों ने एक राष्ट्र, दो व्यवस्था के मूल सिद्धांत को चुनौती दी है।

1997 के बाद का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन

प्रत्यर्पण विधेयक को लेकर विरोध प्रदर्शन तेज होने से चीन असमंजस में फंस गया है। हालांकि चीन समर्थित हांगकांग के चीफ एक्जीक्यूटिव कैरी लैम ने 9 जुलाई को विधेयक को निलंबित करने की घोषणा कर दी थी। लेकिन प्रदर्शनकारी लगातार विरोध कर रहे हैं। उनकी संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है और यह संख्या 20 लाख तक पहुंच गई है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि विधेयक को पूरी तरह वापस लिया जाना चाहिए। हांगकांग में ताजा प्रदर्शन 1997 के बाद के सबसे बड़े विरोध प्रदर्शन बताए जा रहे हैं। ब्रिटेन ने 1997 में चीन को हांगकांग सौंपा था।

मूल सिद्धांत को चुनौती बर्दाश्त नहीं

वू ने कहा कि चरमपंथी प्रदर्शनकारियों का व्यवहार केंद्रीय सरकार के अधिकार को चुनौती देने वाला है और वे एक राष्ट्र, दो व्यवस्था के सिद्धांत को चुनौती दे रहे है। यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हांगकांग में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना तैनात किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि गैरीसन लॉ के अनुच्छेद 14 में इसका स्पष्ट उल्लेख है। हालांकि इस कानून का विवरण नहीं दिया।

हांगकांग में सेना तैनाती का नियम

हांगकांग स्थित साउथ चायना मॉर्निंग पोस्ट ने वू की टिप्पणी पर रिपोर्ट देते हुए अनुच्छेद के बारे में कहा कि बेसिक लॉ (हांगकांग का संविधान) के मुताबिक हांगकांग की सरकार कानून व्यस्था बनाए रखने और आपदा राहत के लिए केंद्रीय सरकार से सेना के हांगकांग गैरीसन से मदद मांग सकती है। रिपोर्ट के अनुसार हांगकांग सरकार के ऐसे किसी भी अनुरोध की मंजूरी होनी चाहिए। अनुरोध किए जाने पर गैरीसन से सेना निश्चित कार्य के लिए भेजी जाएगी और उसे पूरा करने के तुरंत बाद वापस लौट जाएगी।

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