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पाकिस्तान से परमाणु करार में जुटा अमेरिका

इस महीने के अंत में होने वाली प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की अमेरिका यात्रा से पहले अमेरिका पाकिस्तान के परमाणु हथियारों और डिलीवरी सिस्टम की नई सीमाएं तय करने से जुड़े एक समझौते पर बातचीत कर रहा है। यह समझौता भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु संधि जैसा समझौता हो सकता है।
पाकिस्तान से परमाणु करार में जुटा अमेरिका

द वाशिंगटन पोस्ट ने दोनों देशों के बीच की इन वार्ताओं की जानकारी रखने वाले एक सूत्र के हवाले से कहा कि पाकिस्तान से (हथियारों की) सीमा पर विचार करने के लिए कहा गया है। अखबार के अनुसार पाकिस्तान अपने हथियारों और डिलीवरी सिस्टम से जुड़े अपने परमाणु कार्यक्रम को वहां तक सीमित करने के लिए सहमत होगा, जहां तक यह भारत के परमाणु खतरे के खिलाफ उसकी अपनी असल सुरक्षा के लिए जरूरी है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ऐसा संभव है कि पाकिस्तान एक तय दूरी से आगे तक जा सकने वाली मिसाइलें तैनात नहीं करने पर सहमत हो जाए।’ दैनिक समाचार पत्र ने सूत्र के हवाले से कहा कि इस तरह के समझौते के बदले में, अमेरिका 48 देशों वाले परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की ओर से छूट का समर्थन कर सकता है। अमेरिका इस समूह का सदस्य है। अखबार के अनुसार अमेरिका के अनुरोध पर, इस समूह ने भारत को उन नियमों से छूट दे दी थी, जो कि परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने वाले देशों के साथ परमाणु व्यापार को प्रतिबंधित करते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया कि इस तरह का समझौता पाकिस्तान के साथ ठीक उस तरह की असैन्य परमाणु संधि का रास्ता खोल सकता है, जैसी कि वर्ष 2005 में भारत के साथ की गई थी। हालांकि व्हाइट हाउस ने अखबार की इस खबर की प्रमाणिकता की न तो पुष्टि की और न ही उसे नकारा है। उसने बस इतना ही कहा कि अमेरिका शरीफ के दौरे से पहले विभिन्न मुद्दों पर पाकिस्तान के साथ नियमित संपर्क में है।

ओबामा प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर पीटीआई भाषा को बताया, ‘हम प्रधानमंत्री शरीफ की 22 अक्टूबर को होने वाली यात्रा की तैयारी कर रहे हैं और विभिन्न मुद्दों पर पाकिस्तान सरकार से लगातार संपर्क में बने हुए हैं। हम इन चर्चाओं की विशिष्ट बातों पर टिप्पणी करने से इंकार करते हैं। हाल ही में अमेरिकी नेतृत्व की अगुवाई में अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के जखीरे में होती तेज वृद्धि पर चिंता जाहिर की थी।

द वाशिंगटन पोस्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ वार्ताओं की गति धीमी रहेगी और इनमें लंबा समय लगेगा क्योंकि पाकिस्तान अपने परमाणु कार्यक्रम को बहुमूल्य मानता है इसलिए वार्ताएं धीमी और मुश्किल होंगी। और यह स्पष्ट नहीं है कि इस्लामाबाद वांछनीय सीमाओं को स्वीकार करने के लिए तैयार होगा। लेकिन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के 22 अक्तूबर को होने वाले वाशिंगटन दौरे से पहले मुद्दे पर धैर्यपूर्वक चर्चा हो रही है।

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